एस नेगी ने 1952 के आम चुनावों में वोट डाला था और तब से लेकर आजतक उन्होंने कोई भी चुनाव नहीं छोड़ा है. चाहे वो लोकसभा हो विधानसभा हो या फिर पंचायत का चुनाव.
यह जरूरी नहीं है कि यादव या आजाद नरेंद्र मोदी के लिए बड़ी चुनौती साबित होते. लेकिन उनके टक्कर में होने से बीजेपी का राष्ट्रवाद या दलित प्रेम का दावा कमजोर होता.
अक्सर कांग्रेस का ‘मुस्लिम चेहरा’ बताए जाने वाले दिग्विजय सिंह अपनी छवि सुधारने और भोपाल के मुकाबले को ‘हिंदू धर्म बनाम हिंदुत्व’ का रूप देने के लिए प्रयासरत हैं.
राजनीति आम तौर पर तोड़ती है. विभाजन पैदा करती है. लेकिन इस बार उत्तर भारत में खासकर बिहार और यूपी में समाज के वंचित समूहों ने जो एकता बनाई है, उसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं.
सांसद और विधायक अपना वेतन खुद तय करते हैं और बिना किसी बहस के अपना वेतन बढ़ा लेते हैं. इस मायने में राजनीति एक अच्छा व्यवसाय या कमाऊ खेती भी है. अब वह सिर्फ सेवा भाव के लिए नहीं की जा रही है
हरियाणा के सबसे पिछड़े मेवात इलाके में लोकसभा चुनाव को लेकर उदासीनता फैली हुई है. गुरुग्राम लोकसभा सीट के तहत इस इलाके में भाजपा से राव इंद्रजीत सिंह और कांग्रेस से कैप्टन अजय सिंह यादव टक्कर में हैं.