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Saturday, 20 April, 2024
होमराजनीति‘पिशी-भायपो’ से ऊब चुका है बंगाल, लोगों को ‘चावल चोर’ सरकार नहीं चाहिए: धर्मेंद्र प्रधान

‘पिशी-भायपो’ से ऊब चुका है बंगाल, लोगों को ‘चावल चोर’ सरकार नहीं चाहिए: धर्मेंद्र प्रधान

केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का कहना है, कि उन्हें ममता बनर्जी की सत्ता वापसी का कोई कारण नहीं आता, क्योंकि अंदर ही अंदर मतदाताओं के बीच, उनके खिलाफ एक मज़बूत लहर है.

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नंदीग्राम: केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, जो चुनावों के लिए पश्चिम बंगाल में डेरा डाले हुए हैं, का कहना है कि बंगाल के लोग पिशी-भायपो (बुआ-भतीजे) से ऊब चुके हैं, और मतदाताओं के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के ‘कुशासन और लूट’ के खिलाफ, ‘अंदर ही अंदर एक मज़बूत लहर है’.

प्रधान मुख्यमंत्री के भतीजे अभिषेक बनर्जी की बात कर रहे थे, जो चुनावों से पहले से ही बीजेपी के मुख्य निशाने पर रहे हैं, जिसमें पार्टी उनपर सिंडिकेट्स चलाने का आरोप लगा रही है, जो आम लोगों से उगाही करते हैं.

दिप्रिंट के साथ एक ख़ास इंटरव्यू में, बीजेपी के एक स्टार प्रचारक, प्रधान ने कहा कि उन्हें कोई वजह नज़र नहीं आती, कि बनर्जी को वापस आना चाहिए, क्योंकि बंगाल के लोगों ने उनके खिलाफ बग़ावत कर दी है.

उन्होंने कहा, ‘भायपो और पिशी मां (बनर्जी) एक ही चीज़ हैं, भायपो भ्रष्टाचार सिंडिकेट के अध्यक्ष हैं, जो कट मनी को बढ़ावा देती है. लोग इस कल्चर से तंग आ चुके हैं. कोविड के दौरान भी उन्होंने गेहूं और चावल की लूट बंद नहीं की, जो केंद्र ने ग़रीबों के लिए भेजा था. बंगाल में लोग नारे लगाते हैं, ‘चावल चोर टीएमसी सरकार नहीं चाहिए. ये तो कुशासन की हद है’.

प्रधान एक हफ्ते से अधिक समय, बंगाल में एक ऐसी सीट -नंदीग्राम में प्रचार कर रहे थे, जिसपर कांटे की टक्कर है, जहां बनर्जी अपने पूर्व शागिर्द और बीजेपी नेता सुवेंदु आधिकारी के खिलाफ खड़ी हैं. प्रधान, जो राज्य की 20 से अधिक सीटों के प्रभारी हैं, अब उत्तरी कोलकाता की नौ विधान सभा सीटों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.

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मंत्री ने कहा, ‘मुझे कोई वजह नज़र नहीं आती, कि बनर्जी को फिर से (सत्ता में) वापस आना चाहिए, क्योंकि महिलाओं और युवा मतदाताओं में उनके खिलाफ विरोध की लहर है. उन्होंने केवल भाई-भतीजावाद, तथा भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है, और आम लोगों को ख़ौफज़दा किया है. ये सब बीजेपी के पक्ष में एक बड़े समर्थन के रूप में तब्दील होगा. ममता बनर्जी के पास लोगों के लिए कोई जवाब नहीं है, जो विकास के बारे में पूछ रहे हैं’.


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‘केंद्र से ग़रीबों के लिए आवंटित चावल की लूट’

प्रधान ने कहा कि बनर्जी के राज में भाई-भतीजावाद बंगाल की थीम बन गया था.

उन्होंने आगे कहा, ‘ममता के 10 साल के राज में कोई विकास नहीं हुआ है. बंगाल हिंसा, भाई-भतीजावाद, भ्रष्टाचार के लिए जाना जाता रहा. अगर आप विकास पर ध्यान नहीं देंगे, तो लोग सवाल पूछेंगे ही. यही कारण है कि बंगाल के लोगों ने, ममता को हराने के लिए बग़ावत कर दी है, बंगाल के साथ साथ वो नंदीग्राम से भी हारेंगी’.

उन्होंने आगे कहा, ‘युवाओं में नाराज़गी है, ग़रीबों की जेब ख़ाली करने की वजह से, महिलाओं में भी उनके प्रति ग़ुस्सा है. लोकतंत्र में लोग नेताओं को वोट इसलिए देते हैं, ताकि वो काम कर सकें और विकास करा सकें, लेकिन जब लोग सवाल पूछते हैं, तो आप उन्हें ख़ौफज़दा करते हैं’.

प्रधान ने बनर्जी सरकार पर ये आरोप भी लगाया, कि उसने महामारी के दौरान केंद्र की ओर से, ग़रीबों के लिए भेजे गए चावल की लूट मचाई है.

उन्होंने कहा, ‘केंद्र ने ग़रीब कल्याण स्कीम के तहत चावल भेजा, लेकिन उन्होंने कोविड के दौरान भी ग़रीबों को नहीं बख़्शा, और बेईमानी से वो चावल निकाल लिया. मैं पूरी ज़िम्मेदारी के साथ कह रहा हूं, कि 2 मई को जब नतीजे आएंगे, तो आप देखेंगे कि वो नतीजे परिवर्तन के पक्ष में होंगे’.

बीजेपी पर ‘बाहरी’ होने का उनका ताना ‘खोखला’ है

प्रधान ने इस बात के लिए भी बनर्जी को आड़े हाथों लिया, कि वो ख़ुद को ‘बंगाल की बेटी’ बता रही हैं, और बीजेपी पर ‘बाहरी’ होने का आरोप लगा रही हैं.

ये पूछे जाने पर कि क्या ‘बाहरी’ होने का तंज़, चुनावों को प्रभावित करेगा, प्रधान ने कहा कि बनर्जी का ताना खोखला है.

उन्होंने कहा, ‘बाहरी कौन है? क्या ममता जी ओडिशा नहीं जातीं? वो पुरी में जगन्नाथ (मंदिर) जाती हैं. क्या कोई उन्हें ओडिशा जाने से रोक सकता है? मैं यहां ओडिशा से हूं, मिदनापुर के आधे से अधिक लोग उड़िया बोलते हैं. कैसे कोई मुख्यमंत्री जिसने संविधान के नाम पर शपथ ली हो, दूसरे नागरिकों को बाहरी बता सकती है, और इस पर एक राजनीतिक प्रचार चला सकती है?’

उन्होंने आगे कहा, ‘ये उनकी मायूसी और चुनाव हारने के डर को दर्शाता है’


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ममता के चुनावी एजेंट पर विवाद

प्रधान ने ये भी पूछा कि बनर्जी ने एक ऐसे आदमी को नंदीग्राम में अशांति क्यों फैलाने दी, जिसके ख़िलाफ ग़ैर-ज़मानती वॉरंट निकला हुआ है. वो नंदीग्राम के तृणमूल नेता शेख़ सुफियान की बात कर रहे थे, जो बनर्जी के चुनावी एजेंट हैं.

‘नंदीग्राम में अपने चुनावी एजेंट की मौजूदगी के लिए, ममता सुप्रीम कोर्ट तक चली गईं. हमने चुनाव आयोग से ऐसे तत्वों को संभालने का अनुरोध किया. इससे उनकी हताशा साफ झलकती है…एक वीडियो भी वायरल हुआ, जिसमें उन्होंने हमारे ज़िला उपाध्यक्ष से समर्थन मांगा था. इससे लगता है कि वो चुनाव हारने से कितना डरी हुई हैं. जीत हासिल करने के लिए, वो कुछ भी करने को तैयार हैं, जो निंदनीय और चिंताजनक है’.

कुछ दिन पहले, नंदीग्राम में एक झड़प में तीन लोग घायल हुए थे, जिसके बाद बीजेपी झगड़े में सुफियान की भूमिका को लेकर, ईसी के पास गई थी.

ये पूछे जाने पर कि क्या टीएमसी के दल-बदलू, बीजेपी के अंदर नाराज़गी पैदा कर रहे हैं, प्रधान ने इससे इनकार किया.

उन्होंने आगे कहा, ‘बीजेपी में कोई नाराज़गी नहीं है, टीएमसी के खिलाफ लड़ाई में पार्टी एकजुट है. ममता ने बीजेपी नेताओं में सेंध लगाने की कोशिश की, लेकिन वो अपने प्रयास में नाकाम रहीं. इससे बंगाल के मूड का अंदाज़ा होता है’.

ये पूछने पर कि अगर बीजेपी सत्ता में आ गई, तो पेट्रोलियम मंत्रालय बंगाल के लिए क्या करेगा, प्रधान ने बताया कि उनका मंत्रालय कई परियोजनाओं पर काम कर रहा है.

उन्होंने कहा, ‘अगर बीजेपी सरकार बनाती है, तो हम विशेष प्रयास करके बंगाल का विकास सुनिश्चित करेंगे. हम ‘सोनार बांग्ला’ का सपना पूरा करेंगे’.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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