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Friday, 29 March, 2024
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दिल्ली में कोविड की चपेट में सैकड़ों डॉक्टर, पर उनकी हेल्थ को नज़रअंदाज़ करती सरकार की नई गाइडलाइन

कोविड की तीसरी लहर दिल्ली में डॉक्टरों को अपनी चपेट में ले रही है लेकिन सरकार की नई गाइडलाइन्स उसकी अनदेखी करती हुई नज़र आ रही हैं.

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नई दिल्लीः कोरोना की तीसरी लहर की शुरुआत के साथ ही दिल्ली में स्थितियां बिगड़नी शुरू हो गई हैं. स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ कहे जाने वाले डॉक्टरों को भी कोरोना काफी तेजी से अपनी चपेट में ले रहा है. सूत्रों के जरिए दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक देश की राजधानी में अब तक एक हजार डॉक्टर कोरोना संक्रमित हो चुके हैं.

लेकिन इससे भी ज्यादा चिंता का विषय कोविड मरीज़ों का इलाज कर रहे डॉक्टरों की ड्यूटी को लेकर जारी की गई सरकार की नई गाइडलाइन्स हैं.

कोविड ड्यूटी के बाद डॉक्टरों को नहीं मिलेगी क्वारेंटाइन की सुविधा

पहले के नियम के मुताबिक यदि जो भी डॉक्टर कोविड वॉर्ड में ड्यूटी करता था उसके बाद उसे 14 दिन के लिए क्वारेंटाइन होने की सुविधा दी जाती थी, लेकिन अब सरकार द्वारा जारी की गई नई गाइडलाइन्स के मुताबिक ऐसा नहीं होगा. एफएआईएमए के पूर्व प्रेसिडेंट नेशनल एडवाइजर और लेडी हार्डिंग व कलावती हॉस्पिटल में सीनियर रेजिडेंट पीडियाट्रिक डॉ. राकेश बागडी ने बताया, ‘नई गाइडलाइन्स के मुताबिक डॉक्टरों को जब तक कोविड के कोई लक्षण नहीं आते हैं तब तक उन्हें क्वारेंटाइन होने की छूट नहीं दी जाएगी.’

एफएआईएमए के प्रेसिडेंट डॉ रोहण कृष्णन के मुताबिक, ‘क्वारेंटाइन की सुविधा न दिए जाने से स्थितियां काफी खराब हो सकती हैं क्योंकि मशीनें खरीदी जा सकती हैं, फ्रैब्रिकेटेड बिल्डिंग बनाई जा सकती हैं, लेकिन फैब्रिकेटेड डॉक्टर्स नहीं बनाए जा सकते. एक डॉक्टर को बनने में दशकों लग जाते हैं और अगर उनका स्वास्थ्य खराब होता है तो स्थिति काफी भयावह हो सकती है.’

वहीं डॉ. बागडी का कहना है कि, ‘अगर सरकार एक्सपोज़र के बाद 14 दिन के क्वारेंटाइन की सुविधा न भी दे पाए तो कम से कम 7 दिन तक तो क्वारेंटाइन रहने की सुविधा जरूर मिलना चाहिए.’ हालांकि, उन्होंने इसे पीछे का कारण बताते हुए यह भी कहा कि चूंकि इस बार कोविड के मामले भी ज्यादा आ रहे हैं और दूसरी बात लक्षण ज्यादा गंभीर नहीं है तो शायद इसलिए भी सरकार ने ऐसी गाइडलाइन्स जारी की होंगी.

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टाइट मास्क लगा के काम करना होगा मुश्किल

डॉक्टर राकेश बागड़ी का कहना है कि, ‘दिल्ली में लगभग एक हज़ार डॉक्टर संक्रमित हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि पहले ड्यूटी के बाद डॉक्टर्स को 14 दिन का क्वारेंटाइन मिलता था लेकिन अब उसे खत्म कर दिया है. बिना लक्षण वाले लोगों को टाइट मास्क लगा के काम करने के लिए कहा गया है. लेकिन पूरा दिन टाइट मास्क लगाना संभव नहीं है और डॉक्टर्स के साथ-साथ दूसरे लोगों को भी खतरा ज्यादा है.’

सात दिन के बाद बिना टेस्ट के ज्वाइन करनी होगी ड्यूटी

गाइडलाइन्स के मुताबिक कोरोना के लक्षण आने पर अगर किसी डॉक्टर को कोविड पॉजिटिव पाया जाता है तो उसे 7 दिन के लिए क्वारेंटाइन होने का छूट है लेकिन उसके बाद बिना किसी जांच के ही दोबारा ड्यूटी ज्वाइन करनी होगी.

एफएआईएमए के प्रेसिडेंट डॉक्टर रोहण कृष्णन जो कि खुद भी कोविड से पीड़ित हैं, उनका कहना है कि, ‘यह न सिर्फ मरीजों के लिए बल्कि दूसरे डॉक्टरों के लिए भी काफी खतरे वाली बात है. क्योंकि सात दिन के क्वारेंटाइन के बाद बिना किसी टेस्ट के ही आठवें दिन ड्यूटी ज्वाइन करना न सिर्फ मरीजों बल्कि दूसरे स्टाफ के स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है.’ उन्होंने बताया कि, ‘तमाम ऐसे मामले होते हैं जिनमें कोविड लंबे समय तक बना रहता है ऐसे में बिना दोबारा कोविड टेस्ट कराए डॉक्टर्स को ड्यूटी पर लगाना खतरे से खाली नहीं है.’

आगे वह कहते हैं कि, ‘जरूरत इस बात की भी है कि टेस्ट करवाने पर वे दोबारा कोविड पॉजिटिव पाए जाते हैं तो उनका क्वारेंटाइन पीरियड फिर से चार-पांच दिन बढ़ाया जाना चाहिए. और यह सब कुछ योजनाबद्ध तरीके से होना चाहिए.’

उन्होंने ये भी कहा कि अगर इसमें बदलाव नहीं किया गया तो पूरा का पूरा इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रभावित हो जाएगा. इसलिए जमीनी हकीकत को ध्यान में रखकर पॉलिसी बनानी होगी.

नॉन-इमरजेंसी रोगों का इलाज भी है जारी

डॉ रोहण कृष्णन ने बताया कि पिछली बार दूसरी लहर आने पर नॉन-इमरजेंसी टाइप के मेडकिल कंडीशन वाले रोगों जैसे मोतियाबंद, घुटने का इलाज इत्यादि को पहले से ही बंद कर दिया गया था. लेकिन इस बार ऐसा नहीं किया गया है, इसलिए मरीजों के साथ-साथ डॉक्टरों को भी कोविड के होने की संभावनाएं बढ़ गई हैं.

प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट्स की है कमी

इसके अलावा डॉ रोहण कृष्णन ने कहा कि, ‘प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट्स मास्क वगैरह की भी कमी महसूस होती है जहां पर डॉक्टरों को बहुत गिने चुने मात्रा में मास्क प्रोवाइड किया जाता है. सरकार के पास प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट की कमी नहीं होनी चाहिए. ये बहुत जरूरी है.’

होनी चाहिए डॉक्टरों की सुरक्षा

अगर डॉक्टर्स स्वस्थ नहीं रहेंगे तो जिनका इलाज वो कर रहे हैं वो स्वस्थ कैसे हो पाएंगे. साथ ही अगर डॉक्टरों की हालत ज्यादा बिगड़ गई तो ऐसी स्थिति में अस्पतालों में मरीजों के लिए उनकी उपलब्धता को सुनिश्चित नहीं किया जा सकेगा, जिससे स्थितियां भयावह हो सकती हैं.

सरकार ने नहीं बढ़ाई है स्वास्थ्य व्यवस्था

डॉक्टर रोहण कहते हैं कि सरकार का इंतज़ाम पिछली बार की तुलना में वैसा ही है लेकिन चूंकि यह नया वैरिएंट फेफड़ों को ज्यादा प्रभावित नहीं कर रहा है इसलिए अस्पतालों में एडमिट करने की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ रही है, इसलिए अभी अस्पतालों में तुलनात्मक रूप से कम दबाव दिख रहा है.

हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इस बार ज्यादा लोगों को एडमिट करने की जरूरत नहीं पड़ रही है लेकिन आने वाले समय में बढ़ सकता है.


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