रांची: झारखंड में आए दिन पुलिस आम आदमियों को अपने क्रूर चेहरे से परिचय करवा रही है. कभी माओवादी समर्थक बताकर, तो कभी धर्म की आड़ में, कभी केवल अपने ‘ईगो’ को जस्टिफाई करने के लिए पुलिस लगातार लोगों को हिरासत में ले रही है.
इसी साल फरवरी में लातेहार में माओवादियों की मदद करने के आरोप में अनिल सिंह को थाने के अंदर उनके गुदामार्ग में पेट्रोल डाल कर पीटा गया. जमशेदपुर में औरंगजेब और आरजू को थाने में जबरन समलैंगिक संबंध बनाने को कहा गया. बोकारो में कालीचरण केवट को इतना पीटा गया कि उसकी मौत हो गई. वहीं साहिबगंज में देबू तुरी की भी मौत हिरासत में ही हो गई.
दिप्रिंट ने अपनी पड़ताल में साल 2020-2022 तक के मामले सामने लाने की कोशिश की है जिसमें पता चला कि कुल 33 लोगों के साथ पुलिस ने ज्यादती की है. इसमें 10 लोगों की मौत और 23 लोगों के साथ मारपीट हुई है और इसमें कुछ लोग घायल भी हुए हैं. इसमें आठ मामले साल 2022 में हुए हें.
पुलिस की ज्यादती में शिकार हुए लोगों में 23 आदिवासी और 4 मुस्लिम शामिल हैं. बाकि दलित और अन्य समुदाय के लोग हैं.
पुलिस प्रवक्ता अमोल वी होमकर ने दिप्रिंट से कहा कि, ‘इसमें कुछ मामले अनुसंधान अंतर्गत (जांच-पड़ताल जारी) है एवं कुछ मामलों में जांच चल रही है. कुछ में सीआईडी जांच/ अनुसंधान चल रहा है. जांच/ अनुसंधान के बाद उचित्त और जल्द से जल्द कार्रवाई की जाएगी.अगर कोई दोषी पाया जाता हैं तो निश्चित रूप से न्यायसंगत कठोर कार्यवाही की जाएगी.’
इस तरह के अत्याचार के खिलाफ बतौर विपक्षी दल लगातार आवाज उठाकर सत्ता में आने वाली हेमंत सोरेन सरकार भी इस पर नियंत्रण नहीं कर पा रही है. गौरतलब है कि ये सब तब हो रहा है जब राज्य में एक आदिवासी मुख्यमंत्री है.
आलम ये है कि लोकसभा में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी की ओर से दिए गए जवाब के मुताबिक साल 2017 से 28 मार्च 2021 तक झारखंड में पुलिस कस्टडी में 13 लोगों की मौत हुई है. वहीं इस दौरान न्यायिक हिरासत में 194 लोगों की मौत हुई है.
वहीं अगर नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ें को देखें तो इस दौरान किसी भी पुलिसकर्मी को सजा नहीं मिली है वहीं सिर्फ दो के खिलाफ चार्जशीट दायर हो पाई है.
दिप्रिंट ऐसे ही कुछ मामलों पर नज़र डाल रहा है:
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9 मार्च 2022- सुभाष मोदक: थाने में पिटाई
झारखंड के चंदनकियारी में चोरी के आरोप में सुभाष मोदक को पुलिस ने 9 मार्च को गिरफ्तार किया और थाने में उसकी बेतहाशा पिटाई की. स्थिति गंभीर होने पर उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
इस मामले को स्थानीय विधायक अमर कुमार बाऊरी ने विधानसभा में उठाया जिसके जवाब में संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने जांच कराने की बात कही.
24 फरवरी 2022- देबू तुरी (35): मौत
साहिबगंज में 21 फरवरी को तालझारी पुलिस ने देबू तुरी को चोरी के आरोप में पूछताछ के लिए उठाया था और चार दिन तक थाने में उसकी जमकर पिटाई की गई जिसके बाद हिरासत में ही उसकी मौत हो गयी.
स्थानीय लोगों ने इस पर जबरदस्त हंगामा किया वहीं इस मामले को लेकर विधानसभा में भी दोषी पुलिस अफसरों पर कार्रवाई की मांग की गयी जिसके बाद झारखंड पुलिस ने जांच सीआईडी को सौंप दी.
23 फरवरी 2022- अनिल सिंह, छठु सिंह: मारपीट
लातेहार निवासी अनिल सिंह और छठु सिंह को 23 फरवरी की रात एक बजे पुलिस ने नक्सलियों की मदद के आरोप में उसके घर से उठाया जहां पुलिसकर्मियों ने उन्हें लाठी से पीटा.
अनिल सिंह के मुताबिक, ‘मेरे शरीर के पिछले भाग, सीना और पैर में सैंकड़ों बार लाठी से मारा गया. मार खाते-खाते मेरे शरीर के कई भाग से चमड़ी निकल गयी. पिटाई के बाद प्रभारी ने मेरे पीछे से कपड़े के ऊपर से मेरे पैखाने के रास्ते पेट्रोल डाल दिया. मार खाते-खाते मैं बेहोश हो गया. होश आने पर थाना प्रभारी ने अगले दिन सुबह कहा कि मुझे गलती से लाया गया.’
बता दें कि घटना के बाद थाना प्रभारी को लाइन हाजिर किया गया है जबकि मारपीट में शामिल दूसरे पुलिसकर्मी को वहां का प्रभारी थानेदार बनाया गया.
23 फरवरी 2022- भगवान दास किस्कू
गिरिडीह के रहने वाले भगवान दास किस्कू को बिना किसी अरेस्ट वारंट के माओवादी होने के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार किया.
19 फरवरी 2022- कालीचरण केवट: मौत
स्कूल में ताला तोड़ने के प्रयास के आरोप में कालीचरण केवट और संजय सिंह को बोकारो की बालीडीह पुलिस ने गिरफ्तार किया. इस दौरान दोनों के साथ काफी मारपीट की गई और हालत बिगड़ने के बाद अस्पताल में इलाज के दौरान केवट की मौत हो गई.
दिहाड़ी मजदूर का काम करने वाले कालीचरण के परिवार में पत्नी के अलावा एक बच्चा है. झारखंड पुलिस ने इस मामले की जांच सीआईडी से कराने का आदेश दिया है.
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17 फरवरी 2022- हुसैन अंसारी: पिटाई
धनबाद में पुलिस ने सिविल ड्रेस में बीटेक इंजीनियरिंग छात्र की बेरहमी से पिटाई की जिस कारण उसके आंखों की रोशनी जाने का भी डर है. फिलहाल अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है.
बीटेक छात्र के पिता मो हाजी मोफीजुद्दीन अंसारी के अनुसार उनका बेटा घर की ढलाई कराकर पास के होटल में खाना खाने जा रहा था जिसे कुछ पुलिसकर्मियों ने घेर लिया और जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए रॉड से पीटना शुरू कर दिया.
29 जनवरी 2022- बलदेव मुर्मू (21)
हजारीबाग जिला मुख्यालय से लगभग 70 किलोमीटर दूर नरकी खुर्द गांव के रोहनियां टोला निवासी बलदेव मुर्मू को माओवादी होने के आरोप में 29 जनवरी को गिरफ्तार कर करीब 54 घंटे तक हिरासत में रखा गया. वहीं उस पर पुलिस ने दबाव बनाया कि वो खुद को माओवादी स्वीकार करें.
मुर्मू आदिवासी मूलवासी विकास मंच से जुड़े हैं. इस मामले में एनएचआरसी ने संज्ञान लेते हुए हजारीबाग पुलिस से चार सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है.
30 दिसंबर 2021- अमानत हुसैन: घायल
पेशे से शिक्षक अमानत हुसैन को बोकारो जिले की बालीडीह पुलिस ने चोरी के आरोप में गिरफ्तार कर खूब पीटा और उनके पैर से नाखून निकाल दिए. उनकी पत्नी के साथ भी थाने में महिला और पुरुष पुलिसकर्मियों ने बाल खींच कर मारपीट की.
उन्होंने बताया, ‘थानेदार नूतन मोदी के कहने पर मेरे दोनों हाथ और पैर में डंडा बांध दिया गया. इसके बाद दो पुलिस वालों ने अलग-अलग पैर पकड़ा और जहां-तहां डंडे मारने लगे. इतना पीटा कि मेरे दाहिने पैर के अंगूठे से नाखून निकाल दिया.’
मामले के जांच का जिम्मा डीएसपी हेडक्वार्टर मुकेश कुमार को सौंपा गया था लेकिन जांच में थानेदार को हर तरह के आरोप से मुक्त कर दिया गया.
24 नवंबर 2021- युगल लोहरा: पिटाई
रांची के पिठोरिया निवासी और पेशे से लोहार युगल लोहरा पर पुलिस ने आरोप लगाया कि वह मिनी गन फैक्ट्री चलाता है लेकिन स्थानीय अखबार की एक रिपोर्ट के मुताबिक उसके गांव का एक युवक पुलिस के लिए मुखबिरी का काम करता है. आपसी विवाद में मुखबिर ने पुलिस से कहकर लोहरा को जेल भेज दिया. वो अभी तक जेल में हैं.
4 नवंबर 2021- सुमित तुरी (19): मौत
धनबाद में सुमित तुरी के परिजनों का कहना है कि 1 नवंबर को पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया खूब पीटा जिसके बाद 5 नवंबर को लोहा चोरी के मामले में जेल भेज दिया, जहां बीमार पड़ने के बाद उसकी मौत हो गई.
इस मामले पर भीम आर्मी के सदस्यों ने एसएसपी कार्यालय के बाहर धरना दिया था. भीम आर्मी के धनबाद जिलाध्यक्ष लोकेश कुमार ने बताया कि एसएसपी ने कहा था कि पुलिस पिटाई की जांच कराएगी और दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की जाएगी. लेकिन अभी तक न तो कोई कार्रवाई हुई है, न ही परिवार को मुआवजा मिला है.
सुमित तुरी के माता-पिता कचरा चुनने का काम करते हैं. इस मामले की शिकायत एनएचआरसी में की गई है.
25 नवंबर 2021- विरेंद्र मुंडा: जेल में फांसी लगाने से मौत
मर्डर और फिरौती के आरोप में सजा काट रहे विरेंद्र मुंडा ने बिरसा मुंडा जेल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. सुसाइड नोट में लिखा था, ‘जेलर ने मेरा मर्डर किया है ‘.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जेल में बंद रहने के दौरान ही उनके एक परिजन की मौत हो गई थी. जिसके बाद से वह तनाव में थे.
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16 सितंबर 2021- कर्मयोगी संदीप
चोरी के आरोप में कर्मयोगी संदीप को रांची पुलिस ने गिरफ्तार किया था. पूछताछ में कुछ सामने न आने पर उसे हर दिन थाने में हाजरी लगाने को कहा गया और इसी दौरान उसे जमकर पीटा गया. हालत खराब होने पर उसे डोरंडा अस्पताल में भर्ती कराया गया और फिर वहां से रिम्स रेफर दिया गया.
सिटी एसपी ने जांच कराने और दोषी पुलिसकर्मी के खिलाफ कार्रवाई की बात कही थी.
26 अगस्त 2021- मोहम्मद आरजू, मोहम्मद औरंगजेब
जमशेदपुर के रहने वाले मोहम्मद आरजू और मोहम्मद औरंगजेब पर पुलिस ने आरोप लगाया कि दोनों ने शहबाज नाम के लड़के की मदद एक हिन्दू लड़की को भगाने में की थी. पूछताछ के दौरान दोनों को एक दूसरे के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने का दबाव डाला गया.
22 अगस्त 2021- संदीप कुमार और उनका 4 साल का बेटा
रांची के सुखदेव नगर थाना में संदीप कुमार अपने पारिवारिक झगड़े की शिकायत करने गए थे. इस दौरान उनका चार साल का बेटा भी साथ था. किसी बात पर थाना प्रभारी ममता कुमारी नाराज हो गई और उन्होंने संदीप और उनके बेटे की बेरहमी से पिटाई की.
इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने संदीप की शिकायत को स्वीकारा था. हालांकि थाना प्रभारी पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई.
19 अगस्त 2021- धनेश्वर मेहता: मौत
एक्साइज डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने बिना किसी वारंट के दूध कारोबारी धनेश्वर मेहता को गिरफ्तार किया. उन पर आरोप लगाया कि वह दूध के साथ अवैध शराब बेचने के धंधे में भी शामिल हैं.
लॉकअप में रहने के दौरान उनकी तबीयत खराब हुई लेकिन तब तक पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी नहीं दिखाई थी. बाद में बीमार धनेश्वर की एक वीडियो मीडिया में लीक हो गई, उसके बाद पुलिस ने स्वीकार किया कि गिरफ्तारी हुई है.
इलाज के लिए उन्हें पहले सदर अस्पताल ले जाया गया. जहां उन्हें रिम्स रेफर कर दिया गया लेकिन बेड न मिलने पर उन्हें मेडिका में भर्ती कराया गया जहां उनकी मौत हो गई. डेड बॉडी लेने के लिए परिजनों को 73,759 रुपए देने पड़े.
12 जून 2021- ब्रह्मदेव सिंह खेरवार: हत्या
शिकार करने जा रहे युवकों की एक टोली को पुलिस ने माओवादी समझ गोली चलाई जिसमें ब्रह्मदेव सिंह खेरवार की मौत हो गई. मामला झारखंड हाई कोर्ट में है. फिलहाल किसी पुलिसकर्मी पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई है.
13 जनवरी 2021- तुलीराम बास्की
दुमका जिले के रामगढ़ थाने में तुलीराम बास्की की पुलिस हिरासत में मौत हो गयी. दुमका एसपी अंबर लकड़ा की ओर से उस वक्त दिए बयान के मुताबिक मृतक तुलीराम बास्की भुस्कीबाड़ी गांव का रहने वाला था. बाइक पर सवार होकर दो व्यक्ति रामगढ़ थाना क्षेत्र के दामोडीह गांव पहुंचे थे. संदेहास्पद लगने पर गांव वालों ने दोनों का पीछा किया और उन्हें भुस्कीपहाड़ी गांव के पास पकड़ लिया.
गांव वालों को उनके पास एक देशी कट्टा मिला जिसके बाद दोनों को पुलिस के हवाले कर दिया गया.
पुलिस हिरासत में हुई मौत पर डीआईजी सुदर्शन मंडल ने कहा था कि हिरासत में हुई मौत को लेकर जांच टीम गठित की गयी है. न्यायिक जांच और सीआईडी जांच हो रही है. हालांकि जांच रिपोर्ट अभी तक सामने नहीं आई है.
9 अक्टूबर 2020- प्रकाश गोराई: मौत
मोबाइल चोरी के आरोप में प्रकाश गोराई को कालूबथान पुलिस स्टेशन ले जाया गया. पुलिस के मुताबिक हिरासत से वह फरार हो गया जिसके बाद उसकी लाश थाने के नजदीक कालूबथान हाई स्कूल के पीछे पेड़ से लटकी मिली.
वहीं उसके पिता धनी गोराई के मुताबिक हिरासत में मौत होने के बाद पुलिस ने लाश को टांग दिया था.
15 जून 2020- सीनू सुंडी, सिदियू जोजो, डोब्रो सोरिन, गोनेर तमोंसी समेत 10 लोग
माओवादियों को सपोर्ट करने के आरोप में पुलिस सीनू सुंडी, सिदियू जोजो, डोब्रो सोरिन, गोनेर तमोंसी के गांव पहुंची. इन पर जबरन हिंदी बोलने का दबाव डाला और घर बना रहे मजदूरों के साथ मारपीट की जिसमें तीन बुरी तरह जख्मी हो गए और बाकियों को भी काफी चोटें आईं थी.
20 मार्च 2021- रोशन होरो: मौत
पुलिस और सीआरपीएफ के एक दस्ते ने चेकिंग के दौरान रोशन होरो को गोली मारी थी. मौके पर ही उसकी मौत हो गई. इसमें एक सीआरपीएफ जवान पर आरोप साबित हुआ था और गिरफ्तारी के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा गया था लेकिन अभी तक उसकी गिरफ्तारी नहीं हुई है.
24 नवंबर 2019- बेचन गंझू
चतरा में बेचन गंझू को पुलिस ने माओवादियों को सपोर्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया. पिटाई के दौरान कहा कि माओवादियों को पकड़वाने में मदद करो.
गिरफ्तारी के बाद उसकी तबीयत खराब हो गई और सदर अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. इसके बाद पोस्टमार्टम के लिए 22 घंटे तक उसकी लाश पड़ी रही.
झारखंड में आदिवासियों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई पर दिप्रिंट ने जब राज्य के आदिवासी मामलों के मंत्री चंपई सोरेन से संपर्क किया तो उन्होंने कहा, ‘आप जो बता रहे हैं हम उसको पहले अपने स्तर पर जांच कराएंगे, तब आपके आंकड़ों पर कुछ प्रतिक्रिया देंगे.’
सोरेन ने कहा, ‘मंत्रालय मेरा है तो जिम्मेवारी भी मेरी है, मैं अपनी जिम्मेवारी बखूबी जानता हूं. पहले मुझे अपने स्तर पर पता करने दीजिए.’
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‘सरकार का पुलिस पर नियंत्रण नहीं’
हेमंत सोरेन सरकार पर निशाना साधते हुए बीजेपी के विधायक और पूर्व मंत्री अमर कुमार बाऊरी ने दिप्रिंट से कहा, ‘इस सरकार के कार्यकाल में पुलिस एट्रॉसिटी के मामले खूब बढ़े हैं क्योंकि सरकार का पुलिस पर नियंत्रण नहीं है.’
उन्होंने कहा, ‘सरकार ने पुलिस पदाधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग में पैसे का खेल किया है. पदाधिकारियों, थानों की बिक्री होती है. ऐसे थानों में लोग लॉ एंड ऑर्डर पर ध्यान न देकर, उगाही पर ध्यान लगाते हैं.’
झारखंड मानवाधिकार आयोग के सचिव से दिप्रिंट ने फोन कॉल और मैसेज के जरिए संपर्क करने की कोशिश की लेकिन इस खबर के छपने तक उनकी प्रतिक्रिया नहीं आई है.
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क्या कहते हैं आंकड़ें
नेशनल कैंपेन अगेंस्ट टॉर्चर के आंकड़ों के मुताबिक साल 2019 में देशभर में 1731 लोगों की मौत कस्टडी में हुई है. यानी हर दिन पांच लोग मरे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि 1,606 मौतें न्यायिक हिरासत में हुईं और 125 मौतें पुलिस हिरासत में हुईं.
2018 के दौरान, हिरासत में कुल 1,966 मौतें हुईं, जिनमें पुलिस हिरासत में 147 मौतें और न्यायिक हिरासत में 1,819 मौतें शामिल थीं. इस साल झारखंड में कुल 6 लोगों की मौत हिरासत में हुई थी.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने लोकसभा में बताया था कि साल 2017-21 तक पुलिस और न्यायिक हिरासत में हुई मौत के मामलों में एनएचआरसी के अनुमोदन पर पीड़ित परिवारों को आर्थिक मदद भी पहुंचाई गई है.
उन्होंने बताया था कि पुलिस कस्टडी में हुई मौत के 10 मामलों में 25,50000 रुपए दिए गए हैं. वहीं न्यायिक हिरासत में हुई मौत के 35 मामलों में 71 लाख रुपए दिए गए हैं.
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डीके बसु गाइडलाइन का हर दिन उल्लंघन क्यों
झारखंड हाई कोर्ट के वकील शैलेष पोद्दार दिप्रिंट को बताते हैं, ‘आपने जिन मामलों का जिक्र किया है, साफ जाहिर है पुलिसकर्मियों द्वारा संवैधानिक मूल्यों, स्वतंत्रता, समानता, न्याय सबका उल्लंघन किया जा रहा है.’
वो बताते हैं कि 18 दिसंबर 1996 में डीके बसु बनाम बंगाल सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक गाइडलाइन जारी किया था जिसे डीके बसु गाइडलाइन के नाम से जानते हैं. इसके मुताबिक, जब पुलिस आपको गिरफ्तार करने आती है, उसे ड्रेस में होना चाहिए जिस पर उनका नाम और पद साफ-साफ लिखा होना चाहिए.
शैलेष पोद्दार ने बताया कि बसु गाइडलाइन के मुताबिक, ‘जब पुलिस किसी को गिरफ्तार करे उसी वक्त उसे अरेस्ट मेमो बनाना होता है जिसमें गवाह के तौर पर एक परिजन या उसका जानने वाले या आसपास का कोई व्यक्ति होना चाहिए. इसमें टाइम, डेट मेंशन होना चाहिए. साथ ही जिसको अरेस्ट किया गया है उसका साइन और अरेस्ट कर के कहां ले जाया जा रहा है, इस बारे में गिरफ्तार हुए व्यक्ति और उसके परिजन को बताना अनिवार्य है.’
(आनंद दत्त स्वतंत्र पत्रकार हैं. उनका ट्विटर हैंडल है @DuttaAnand. उनकी अन्य रिपोर्ट्स पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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