उद्धव ठाकरे के संबोधन के एक दिन बाद गुरुवार को, पार्टी के संस्थापक बाल ठाकरे के बेटे, सीएम के लिए अपना समर्थन दिखाने के लिए पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ता शिवसेना भवन में एकत्र हुए.
ओपीएस और ईपीएस को 2016 में पार्टी प्रमुख जे. जयललिता के निधन के बाद स्थापित दोहरे नेतृत्व की एक इनोवेटिव अवधारणा के तहत अन्नाद्रमुक का समन्वयक और सह-समन्वयक बनाया गया था.
नामांकन के लिए पीएम मोदी ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा जिसका रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने समर्थन किया. इसके बाद दूसरे सेट के प्रस्तावकों में बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री थे.
बागी शिवसेना खेमे का दावा है कि विधायक कभी मुख्यमंत्री से मिल तक नहीं पाते थे और उन्हें ‘उद्धव के करीबी कुछ लोगों’ के जरिये उनसे संपर्क साधना पड़ता था. उन्होंने एमवीए में अपने साथ ‘सौतेले व्यवहार’ का आरोप भी लगाया है.
संजय राउत ने कहा कि संख्या बल कागज में ज्यादा हो सकती है लेकिन अब यह लड़ाई कानूनी लड़ाई होगी. हमारे जिन 12 लोगों ने बगावत शुरू की है उनके खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की है.
भाजपा का मानना है कि वह महाराष्ट्र में सरकार बनाने से महज एक कदम दूर रह गई है लेकिन फिलहाल अपने पत्ते चलने में वो पूरी सावधानी बरत रही है—और एमवीए सरकार के अपने आप ही गिरने का इंतजार कर रही है.
एकनाथ शिंदे द्वारा विद्रोह करने के बाद गुरुवार को उद्धव ठाकरे ने पार्टी के विधायकों की एक मीटिंग बुलाई जिसमें 55 में से सिर्फ 13 विधायकों ने हिस्सा लिया.
शिवसेना नेता राउत ने कहा, 'उद्धव ठाकरे बहुत जल्द वर्षा बंगले में वापस आएंगे. गुवाहाटी के 21 विधायकों ने हमसे संपर्क किया है और जब वे मुंबई लौटेंगे, तो वे हमारे साथ रहेंगे.'
मेरा आकलन यह है कि भारतीय सेना उभरती टेक्नोलॉजी को पूर्ण परिवर्तन की खातिर नहीं बल्कि चरणबद्ध बदलाव के लिए अपना रही है, जबकि पूर्ण परिवर्तन वक़्त की मांग है