मोदाणी मॉडल की खासियत यह है कि व्यवसायिक घरानों से गहरे रिश्ते गांठने से मोदी का इकबाल कम नहीं हुआ है. बल्कि सत्ता डंके की चोट पर उगाही कर रही है और पूंजीपति तबके के सामने घुटने टेकने की जगह उनपर हुक्म फटकार रही है.
बरेलवियों ने कभी भी स्थानीय रीति-रिवाजों को 'हिंदुवाना' के रूप में लेबल करने पर जोर नहीं दिया, देवबंदियों ने इस्लाम के शुद्धतावादी संस्करण पर ध्यान केंद्रित किया. दोनों का उद्देश्य एक नई 'इस्लामिक' राजनीति पर हावी होना है.
भारतीय रिजर्व बैंक बेशक पुरातनपंथी ही बना हुआ है, लेकिन व्यापक अर्थव्यवस्था को विदेशी पोर्टफोलियो पूंजी के बाहर चले जाने का जोखिम झेलना पड़ सकता है, जिससे रुपये पर दबाव बढ़ेगा और यह शेयर बाजार के लिए बुरी खबर होगी
‘क्रोनिज़्म’ निंदनीय है, और यह अच्छी बात है कि इस पर जोरदार बहस जारी है. लेकिन अविश्वसनीय रूप से ताकतवर, अमीर, सफल कंपनियों के साथ-साथ सरकारी नीति की सबसे बड़ी विफलता भारत की ब्रांडलेस ग्रोथ है.
आजीवन राजस्थान रोडवेज का बस पास और अंततः जो सबको अपनी ओर खींचता है वह है- राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में सैनिकों की मूर्तियां और उनके नाम पर स्कूलों या कॉलेजों का नाम रखा जाना.
बीबीसी की निष्पक्षता वाला गुण जो उसने मोदी के डॉक्युमेंट्री के दौरान दिखाया था, तब छिप गया जब फुटबॉल प्रस्तुतकर्ता गैरी लीनेकर ने ब्रिटिश सरकार की अप्रवासन नीति (इमीग्रेशन पॉलिसी) के खिलाफ ट्वीट किया.
2001 के बाद से, कश्मीर में जिहाद कई बार कमजोर पड़ता रहा है, और एक मजबूत लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था बनाने की नाकामी की वजह से इसमें फिर से उभार देखने को मिला.
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सरकार से भुगतान करने को कहा. लेकिन यह बोझ निर्दोष करदाताओं द्वारा नहीं उठाया जा सकता, जिनकी इस त्रासदी में कोई भूमिका नहीं थी.