आज से पांच साल बाद सभी जाति और वर्ग के लिए उम्र और अटैंप्ट की अलग-अलग सीमा समान कर दी जाए, वरना उच्च पदों पर एससी-एसटी-ओबीसी के अफसरों का अकाल बना रहेगा.
तलाक-ए-हसन को अक्सर “बेहतर” तरीका कहा जाता है क्योंकि यह प्रक्रिया तीन महीने तक चलती है, लेकिन यह न्यायसंगत नहीं है. भारत में यह अभी भी एकतरफा और न्यायिक व्यवस्था से बाहर चलने वाली प्रक्रिया है.