देश की आधी से ज़्यादा आबादी ओबीसी जातियों की है. नरेंद्र मोदी कहते हैं कि वे ओबीसी हैं. ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि मौजूदा सरकार ने ओबीसी के लिए अब तक क्या किया.
मोदी-भाजपा को 2019 में मात देनी है तो यह ताकतवर नेताओं को उनके गढ़ों में हराकर ही दी जा सकती है क्योंकि चुनावी विश्लेषण के लिहाज से यही तर्कपूर्ण दिखता है, चाहे विचारधारात्मक विरोध का तक़ाज़ा कुछ भी हो.
प्रोफेसर कांचा इलैया को पढ़ना इसलिए ज़रूरी है क्योंकि वे मुख्यधारा के समानांतर अपना एक प्रतिपक्ष यानी काउंटर नैरेटिव खड़ा करते हैं. ऐसे वैचारिक संघर्षों से ही दुनिया में ज्ञान का विकास हुआ है. उन्हें पढ़ने के लिए उनसे सहमत होना बिल्कुल ज़रूरी नहीं है.
असम के तिनसुकिया ज़िले के डांगारी में हुई हत्याओं के लिए सात रिटायर्ड फ़ौजियों को आजीवन क़ैद की सज़ा सुनाई गई. पर क्या ये आरोपियों और भारतीय सेना के बीच कोई गुपचुप समझौता है?
बाढ़ के कारण दशकों के सबसे मुश्किल दौर में, पंजाब को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री मोदी आएंगे. अगर उनके पास बिहार दौरे का समय है, तो पड़ोसी पंजाब का एक छोटा सा दौरा क्यों नहीं?