एक तरफ जहाँ मुकेश अंबानी ने 2017 में दूरसंचार उद्योग में हड़कंप मचा दिया, वहीं छोटे भाई अनिल अंबानी उधार चुकाने के लिए एक के बाद एक व्यवसाय को बेचते रहे
उन्हें कभी अपनी छड़ी के सिवा किसी और चीज के साथ नहीं देखा गया. उनके मुताबिक बंदूक-पिस्तौल रखना पुलिस अधिकारी की कमजोरी की निशानी थी. फिर भी वे जीतते रहे.
मोदी की लोकप्रियता तो बरकारार है लेकिन 2019 के चुनाव से पहले कांग्रेस में नई जान आ जाती है तो ‘कांग्रेस-मुक्त भारत’ का लक्ष्य हासिल करना आसान नहीं रह जाएगा.
खालिद अहमद संपादक, लेखक, भाषाविद, अखबार के दफ्तर के रहनुमा, एक सच्चे और दुर्लभ सेकुलर अनीश्वरवादी और शायद नास्तिक शख्स थे और मेरे कई मुस्लिम मित्रों में निश्चित रूप से अकेले ऐसे शख्स थे और वह कोई वामपंथी भी नहीं थे, दूर-दूर तक नहीं.