क्या महिला पत्रकार एक प्रभाशाली वृद्ध व्यक्ति के प्रभाव को तोड़ने में समर्थ हो सकती हैं, सिर्फ इसलिए क्योंकि उन्होंने एक पत्रकार के गाल खींचे या थपकी दी या यूं ही पूछ लिया कि क्या आप शादीशुदा हैं?
सरकार के लिए यह कोई असाधारण बात नहीं है कि वह अपने अंतिम या अंतिम के दो सालों में अलोकप्रिय हो। असाधारण क्या है? हमने कभी नहीं सोचा था कि यह सब,मास्टर कम्युनिकेटर नरेन्द्र मोदी के साथ होगा।
मसीहा के रूप में मोदी के मंसूबे कामयाब रहे तथा वाजपेई के अधिकतम वोट की तुलना में उन्होंने 5-7 प्रतिशत अधिक वोट जीते। लेकिन वर्तमान स्थिति के हिसाब से संतुलन बिगड़ सकता है।
मीडिया एक-दूसरे से असहमत हो सकती है, लड़-झगड़ सकती है और आलोचना कर सकती है। लेकिन यह तभी बची रह सकती है और पनप सकती है जब ये सब मतभेद भुलाकर एक होकर रहे, खासकर तब जब इसके प्रमुख सिद्धांतों पर हमले हो रहे हों|
केंद्रीय बजट 2025-26 के स्पष्ट लक्ष्य हैं: विकास को गति देना, भारत के उभरते मिडिल-क्लास की खर्च करने की क्षमता को बढ़ाना, प्राइवेट सेक्टर के निवेश को बढ़ावा देना और घरेलू भावनाओं को ऊपर उठाना.