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Friday, 22 November, 2024
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मुकेश और अनिल का व्यावसायिक करियर: बड़े मियाँ तो बड़े मियाँ, छोटे मियाँ…

एक तरफ जहाँ मुकेश अंबानी ने 2017 में दूरसंचार उद्योग में हड़कंप मचा दिया, वहीं छोटे भाई अनिल अंबानी उधार चुकाने के लिए एक के बाद एक व्यवसाय को बेचते रहे

प्यारी हेमा जी! मोदी जी से सीखिए: शोक के वक्त चुप रहते हैं…

कमला मिल की आग का कारण हेमा मालिनी ने अत्यधिक जनसंख्या को बताया. कहीं बेहतर होता अगर वह रिपोर्टर के सवाल को नजरअंदाज कर देतीं और चुप रह जातीं.

कहानी एक शेरदिल आईपीएस अधिकारी की: के.पी.एस. गिल को याद करते हुए

उन्हें कभी अपनी छड़ी के सिवा किसी और चीज के साथ नहीं देखा गया. उनके मुताबिक बंदूक-पिस्तौल रखना पुलिस अधिकारी की कमजोरी की निशानी थी. फिर भी वे जीतते रहे.

मध्यान्तर के बाद, प्रधानमंत्री मोदी के आंसू देते हैं उनके इरादों का पता

अब 2019 लोकसभा चुनाव तक विकास नहीं बल्कि राष्ट्रवाद, हिंदुत्व और भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग के इर्दगिर्द घूमेगी मोदी की राजनीति.

इन नाजुक भावनाओं, जो हर बात पर आहत हो जाती हैं, का क्या करें?

हम भावनाएं आहत होनेवाली ऐसी पीढ़ी के साथ जी रहे हैं जिनको सवाल पूछना नहीं सिखाया गया है. एचओएच यानी ह्युमन्स ऑफ हिंदुत्व उनका ताज़ातरीन शिकार है.

सिर्फ मुंबई ही नहीं, दिल्ली का भी अधिकांश शहरी हिस्सा अग्निकुंड सरीखे हैं

इमारत में आग लगने की हालत में भागने के लिए जगहों की कमी और मॉक फायर ड्रिल न होना अधिकांश शहरों में बेहद आम है. क्या हम सबक सिखने के लिए तैयार हैं?

इस जनवरी से ही शुरू हो जाएगा नरेंद्र मोदी का मिशन-2019

मोदी की लोकप्रियता तो बरकारार है लेकिन 2019 के चुनाव से पहले कांग्रेस में नई जान आ जाती है तो ‘कांग्रेस-मुक्त भारत’ का लक्ष्य हासिल करना आसान नहीं रह जाएगा.

2जी मामला: जिसपर थी सबसे ज्यादा जिम्मेवारी, उन्होंने सबसे ज्यादा आंखें फेरी

2जी घोटाले पर अदालत का फैसला विश्वसनीयता का और बड़ा संकट पैदा कर सकता है क्योंकि इसने मंत्रालय से लेकर ऑडिटर और जांचकर्ता तक सबको शर्मसार कर दिया है.

प्रियंका, पेंग्विन एनुअल लेक्चर और फिल्मी जगत में यौन उत्पीड़न का सवाल

क्या साहित्य वाले इस बार ‘बॉलीवुडीकृत’ हो गया है, क्योंकि प्रियंका चोपड़ा ने साल का पेंग्विन वार्षिक लेक्चर दिया? जवाब हैः क्या अछूता है?

केंद्रीय मंत्री का संविधान पर विवादित बयान, हिंदुत्ववादियों के असली इरादों का खुलासा

अनंत कुमार का विवादित बयान संविधान और बहुलतावादी भारत के लिए उसके असली महत्व पर गंभीर व निष्पक्ष बहस की शुरुआत कर सकता है.

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खालिद एकमात्र ऐसे पाकिस्तानी थे जिनके तर्क कश्मीर के सवाल पर नहीं अटकते थे

खालिद अहमद संपादक, लेखक, भाषाविद, अखबार के दफ्तर के रहनुमा, एक सच्चे और दुर्लभ सेकुलर अनीश्वरवादी और शायद नास्तिक शख्स थे और मेरे कई मुस्लिम मित्रों में निश्चित रूप से अकेले ऐसे शख्स थे और वह कोई वामपंथी भी नहीं थे, दूर-दूर तक नहीं.

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राजनीति

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बिहार में राष्ट्रीय राजमार्गों का नेटवर्क 2029 तक अमेरिका के बराबर हो जाएगा: गडकरी

बोधगया, 21 नवंबर (भाषा) केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि 2029 में जब भाजपा नीत राजग केंद्र की सत्ता में...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.