बड़े हित में, एक प्रतिनिधिक नेतृत्व और छोटे समझौते लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ एक साथ आने में क्षेत्रीय दलों की मदद कर सकते हैं और इसमें कांग्रेस को भी साथ लेने की आवश्यकता है।
एक सेना, वैचारिक रूप से प्रेरित बहुत सारे कट्टरपंथियों को वरिष्ठ पदों पर आसीन होने और सेवानिवृत्ति के बाद उनकी विचारधारा के अनुसार स्वच्छंद होने की अनुमति नहीं दे सकती।
यदि मोदी सरकार भारत की विकास दर में तेजी लाने की उम्मीद करती है,अधिक नौकरियां का सृजन करना चाहती है और राजकोषीय राजस्व को बढ़ावा देना चाहती है तो इसेमैन्यूफैक्चरिंग को सफल बनाना होगा।
यदि सरकार को इस फिटनेस चैलेंज को कामयाब करना ही है तो वह आइस बकेट चैलेंज से सीख ले जिसने न सिर्फ एमियोट्रोफिक लैटरल स्लेरोसिस या लोउ गेहरिग रोग के बारे में लोगों को अवगत कराया, बल्कि उसके शोध के लिए $220 मिलियन डॉलर जुटाने में भी कामयाब रहा
मायावती एक नायक नहीं बल्कि एक सूत्रधार के रूप में सबसे उचित जगह पर हैं। अगर वह घोषणा करती हैं कि वह प्रधान मंत्री पद के लिए दौड़ में नहीं हैं तो सबसे बड़ी दलित नेता के रूप में उनकी स्थिति उन्हें विपक्षी एकता के लिए सत्ता का असली सूत्रधार बना देगी।
पिछले महीने के दौरान जाति जनगणना के मुद्दे पर अन्य पिछड़े वर्गों को संगठित करने के लिए महाराष्ट्र में एक राज्यव्यापी रैली और एक सम्मलेन आयोजित किया गया।
मोदी सरकार के वास्तविक नकारात्मक पहलू अर्थव्यवस्था के सम्बन्ध में नहीं हैं बल्कि प्रमुख संस्थानों को कमजोर करने के साथ सामाजिक ताने बाने को हानि पहुचाने के सम्बन्ध में हैं।
वह ध्रुवीकरण करने वाले हमारे सबसे बड़े नेता हैं, जिनसे बहुत लोग तहेदिल से घृणा करते हैं लेकिन वह समान रूप से इससे कहीं ज्यादा लोगों से प्रेम भी पाते हैं, विशेष रूप से युवाओं से। गुजरात और कर्नाटक में भाजपा का संघर्ष 2019 में भी जारी रहेगा यह सोचना घातक रूप से असावधानीपूर्ण है।
आरएसएस के सरसंघचालक अगर ‘मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने’ के बढ़ते दावों पर रोक लगाने की अपील कर रहे हैं तो इसके पीछे यह एहसास है कि यह मसला कहीं भाजपा सरकार के काबू से बाहर न हो जाए .