आत्मबोधानंद उन्हीं चार मांगों पर अनशन कर रहे हैं जिन पर अडिग जीडी अग्रवाल ने शहादत दे दी थी, पर सरकार केवल सफल कुंभ के आयोजन व नमामि गंगे के प्रचार से काम चला रही है. उसने अभी तक उनसे बात भी नहीं की है.
1977 के बाद देश के तमाम राज्यों में क्षेत्रिय दलों का तेज़ी से उभार शुरू हो गया. इन दलों ने उन क्षेत्रिय मुद्दों और समस्याओं के आधार पर जनप्रचार कर जनाधार बनाना शुरू कर दिया.
नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब से भारत के रिश्ते में पाकिस्तान और पुलवामा के नाम पर खटास न देकर समझदारी ही दिखाई. वे मनमोहन सिंह की पहल को ही जोरदार ढंग से आगे बढ़ा रहे हैं.
पहली बार देश में ये माना गया है कि कोई व्यक्ति जाति और धर्मविहीन हो सकता है. सरकार ने इसका सर्टिफिकेट जारी किया है. ये एक बड़ी सामाजिक क्रांति की शुरुआत हो सकती है.
कोई महिला क्या पहनना चाहती है, उस महिला पर ही छोड़ देना चाहिए. जो लोग बुर्का पर विवाद करना चाहते हैं, वे खुद अपने परिवार के पहनावे पर कभी बात नहीं करते.
रैदास ने भारतीय समाज की बुराइयों को खत्म करके एक आदर्श समाज बनाने की कल्पना की थी, जहां किसी को कोई कष्ट न हो. टेक्स्ट बुक में उनके बारे में खामोश हैं.
जार्ज फर्नांडिस ने 48.5 प्रतिशत वोट के साथ मुंबई में एस. के. पाटिल को 40 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था. जार्ज की इस जीत ने सिद्ध किया था कि प्रतिद्वंद्वी कितना भी मजबूत क्यों न हो, बिना साधन वाला व्यक्ति भी युक्ति से हरा सकता है.