भाजपा के कोर मतदाताओं की हमेशा से ये इच्छा रही है कि जातिगत आरक्षण पूरी तरह से खत्म हो. भाजपा अपने कोर मतदाताओं को खुश करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है.
मंडल कमीशन को लागू करने की घोषणा अगर मंडल-1 है, तो ओबीसी आरक्षण को बढ़ाने की कांग्रेस शासित राज्यों की कवायद मंडल-2 है. इसके राजनीतिक असर पर नजर रखने की जरूरत है.
ओबीसी की राजनीतिक चेतना में जब तक अधिकार और हिस्सेदारी का सवाल महत्वपूर्ण नहीं होता, तब तक सिर्फ आरक्षण देकर उन्हें साम्प्रदायिक होने से रोका नहीं जा सकता.
उच्चतम न्यायालय का कहना था कि सामाजिक नैतिकता की वेदी पर संविधान को शहीद नहीं किया जा सकता और कानून के शासन में सिर्फ संविधान की हुकूमत को ही इजाजत दी जा सकती है.
भारतीय रिजर्व बैंक लगातार रेपो रेट में कमी कर रहा है, लेकिन उसका असर नहीं दिख रहा है. डूबते धन के संकट से जूझ रहे बैंक ब्याज दर घटाने को तैयार नहीं हो रहे हैं.
देखा जाए तो अमित शाह ही जम्मू-कश्मीर को चला रहे हैं, लेकिन उनसे सुरक्षा चूक के लिए जवाबदेही मांगना अनुचित होगा क्योंकि उन्हें देश भर के हर चुनाव में बीजेपी की जीत सुनिश्चित करनी है.