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सोमवार, 28 अप्रैल, 2025
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मत-विमत

तीन तलाक और आर्टिकल 370 के बाद क्या भाजपा का अगला निशाना होगा आरक्षण

भाजपा के कोर मतदाताओं की हमेशा से ये इच्छा रही है कि जातिगत आरक्षण पूरी तरह से खत्म हो. भाजपा अपने कोर मतदाताओं को खुश करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है.

सीडीएस की घोषणा आजादी के बाद भारतीय सेना के लिए सबसे बड़ा कदम

कारगिल युद्ध के बाद तीनों सेनाओं के बीच बेहतर समन्वय बनाने की आवश्यकता को गंभीरता से लेते हुए सीडीएस की सिफारिश पहले भी की गयी थी.

क्या मंडल पार्ट-2 के जरिए बीजेपी का मुकाबला कर पाएगी कांग्रेस?

मंडल कमीशन को लागू करने की घोषणा अगर मंडल-1 है, तो ओबीसी आरक्षण को बढ़ाने की कांग्रेस शासित राज्यों की कवायद मंडल-2 है. इसके राजनीतिक असर पर नजर रखने की जरूरत है.

रियल एस्टेट में लगे काले धन की वजह से नुकसान उठा रहे हैं उपभोक्ता

पिछले कुछ सालों में डेवलपरों की गड़बड़ियों और रियल एस्टेट में लगे काले पैसों की वजह से इस सेक्टर की स्थिति खराब हो गई है.

भारतीय सेवा क्षेत्र जल्द ही वाणिज्य निर्यात को पीछे छोड़ देगा, जो जश्न की बात नहीं है

मैनुफैक्चरिंग और सेवाओं के निर्यातों के बीच का बढ़ता असंतुलन बेरोजगारी को और बढ़ाएगा.

ओबीसी आरक्षण पर भूपेश बघेल का दांव क्या राजनीति की दिशा बदल सकेगा?

ओबीसी की राजनीतिक चेतना में जब तक अधिकार और हिस्सेदारी का सवाल महत्वपूर्ण नहीं होता, तब तक सिर्फ आरक्षण देकर उन्हें साम्प्रदायिक होने से रोका नहीं जा सकता.

मोदी के ‘नए कश्मीर’ की वास्तविकता को समझने के लिए इन 5 उदार मिथकों को तोड़ने की जरूरत है

मोदी ने शिमला समझौते के बाद से जारी यथास्थिति को तोड़ दिया है. कश्मीर के पेचीदा अतीत से उबरकर आगे बढ़ना है, तो नई सच्चाई को स्वीकार करना पड़ेगा.

मोदी सरकार यूनिफार्म सिविल कोड पर काम कर रही है

समान नागरिक संहिता नहीं होने के कारण, हमारे धर्मनिरपेक्ष समाज में एक समुदाय विशेष का धार्मिक विशेषाधिकार विवाद का विषय बन गया है.

एलजीबीटीक्यू समुदाय के लोगों को गरिमा के साथ जीने का अधिकार प्राप्त हो

उच्चतम न्यायालय का कहना था कि सामाजिक नैतिकता की वेदी पर संविधान को शहीद नहीं किया जा सकता और कानून के शासन में सिर्फ संविधान की हुकूमत को ही इजाजत दी जा सकती है.

भारत की अर्थव्यवस्था आईसीयू में जा रही है, बाज़ार में है घबराहट

भारतीय रिजर्व बैंक लगातार रेपो रेट में कमी कर रहा है, लेकिन उसका असर नहीं दिख रहा है. डूबते धन के संकट से जूझ रहे बैंक ब्याज दर घटाने को तैयार नहीं हो रहे हैं.

मत-विमत

मंत्रियों की ज़िम्मेवारी तय करना PM मोदी का स्टाइल नहीं, लेकिन उन्हें अब ऐसा क्यों करना चाहिए

देखा जाए तो अमित शाह ही जम्मू-कश्मीर को चला रहे हैं, लेकिन उनसे सुरक्षा चूक के लिए जवाबदेही मांगना अनुचित होगा क्योंकि उन्हें देश भर के हर चुनाव में बीजेपी की जीत सुनिश्चित करनी है.

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राजनीति

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झारखंड के बोकारो में महिला माओवादी ने आत्मसमर्पण किया

बोकारो (झारखंड), 28 अप्रैल (भाषा) झारखंड के बोकारो जिले में प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की एक महिला सदस्य ने सोमवार को पुलिस के...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.