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सोमवार, 5 मई, 2025
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कोरोना महामारी ने नागरिकों को एकदम बेबस बना दिया है, इसमें सरकारी मशीनरी की उदासीनता का योगदान है

सरकारों को हर कीमत पर संविधान के अनुच्छेद 21 में नागरिकों को प्रदत्त दैहिक स्वतंत्रता और गरिमा के अधिकारों की रक्षा करनी होगी और उसे तर्क कुतर्को के आधार पर इलाज के अभाव में मरीजों को इधर उधर भटकने की इजाजत नहीं दी जा सकती.

अंदाज़ा लगाइए कि कोविड में उछाल के लिए इमरान ख़ान सरकार किसे दोष दे रही है? पाकिस्तान के ‘जाहिल’ आवाम को

कोविड से निपटने में पाकिस्तान की नाकामी स्वीकार करने की बजाय, पीएम इमरान ख़ान और उनके पीटीआई मंत्री, अपने ही लोगों को क़सूरवार ठहरा रहे हैं.

मोदी सरकार और सेना के हाथ सैनिकों के खून से रंगे हैं, प्रधानमंत्री के सामने भी नेहरू जैसी ही दुविधा है

मोदी भी उसी दुविधा के शिकार हैं जिसके शिकार नेहरू हुए थे. सेना की क्षमता में टेक्नोलॉजी के कारण जिस तरह भारी विकास हुआ है, उसके मद्देनज़र चीन का पलड़ा हमसे भारी दिखता है. नेहरू की तरह मोदी ने भी सेना की जगह अर्थव्यवस्था को प्राथमिकता दी है.

स्वास्थ्य सेवाएं राज्य का विषय लेकिन कोविड ने साबित किया कि भारत के राज्य केंद्र पर कितने निर्भर हैं

मंकी फीवर और जापानी एनसिफिलाइटिस की तरह, कोविड-19 ने भी सार्वजनिक स्वास्थ्य संकटों से निपटने में, राज्य सरकारों की तकनीकी कमज़ोरी को उजागर कर दिया है.

चीन की घेराबंदी का भारत को नेतृत्व करना चाहिए, किसी और पर यह काम नहीं छोड़ा जा सकता

नई दिल्ली को पीओके के माध्यम से सीपीईसी पर अपनी आपत्ति दोहरानी चाहिए और भले ही भारत के दो विरोधियों को जोड़ने वाले इस गलियारे को रोकने के लिए ही सही, पीओके को सैन्य बलबूते पर फिर हासिल करने की योजना बनानी चाहिए.

आम आदमी की जेब हो रही खाली, अगर मोदी सरकार सीधे पॉकेट नहीं भरती तो क्या सड़क पर विद्रोह शुरू हो जायेगा

अगर बढ़ती बेरोजगारी के बीच लोगों की जेब में सीधा पैसा नहीं पहुंचता है तो बहुत चांस है कि लोग सड़कों पर उतर सकते हैं. ये हाल तब और विकट हो जाता है जब सरकारें फ्रंट लाइन में काम कर रहे डॉक्टरों, नर्स और सफाई कर्मचारी तक को सैलरी नहीं दे पा रही है.

कोविड ने महिलाओं को दशकों पीछे धकेला, उनको मदद दिए बिना भारत ‘आत्मनिर्भर’ नहीं बन सकता

भारत में ज्यादातर महिलाओं पर घरेलू जिम्मेदारियों को बोझ अब बढ़ गया है. जिनके पास रोजगार बचा है वो तो 'डबल-डबल शिफ्ट' कर रही हैं.

चीन की दादागिरी सैन्य वार्ता से नहीं रुकने वाली, मोदी को राजनीतिक फैसला लेना होगा

नरेंद्र मोदी सरकार को एक राजनीतिक रुख अपनाना होगा और मुद्दे को हल्के में लेना बंद करना होगा. इस रुख की बुनियाद इस भरोसे पर टिकी होनी चाहिए कि भारतीय सेना कमज़ोर नहीं है और मामले को तूल देने में वो चीनियों का मुकाबला कर सकती है.

छत्तीसगढ़ में माओवादियों से भाजपा की सांठगांठ पार्टी नेताओं की हत्या और गिरफ्तारी के बावजूद फलती-फूलती रही है

जगत पुजारी या भीमा मंडावी जैसे भाजपा नेता बस्तर की राजनीतिक बिसात पर छोटे मोहरे रहे हैं. उन्होंने रायपुर स्थित अपने आकाओं की सहमति के बिना अपनी चालें नहीं चली होंगी.

कोविड काल में कंपनियां अपना आकार घटा रही हैं, इन तीन तरीकों से आप अपनी नौकरी बचा सकते हैं

नौकरी बची रहने के लिए केवल अच्छा काम ही पर्याप्त नहीं होता, खासकर संकटकालीन परिस्थितियों के दौरान, यह ऐसा समय होता है जब आपके पेशेवर रिश्ते ज्यादा अहम भूमिका निभाते हैं.

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हावड़ा, पांच मई (भाषा) पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले में एक मोटरसाइकिल सड़क किनारे पेड़ से टकरा गई, जिससे उस पर सवार दो किशोरों...

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सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.