scorecardresearch
Tuesday, 4 November, 2025
होममत-विमत

मत-विमत

आरजेडी के सहयोगी दल चाहते हैं कि आरजेडी बिहार में चुनाव न लड़े, सिर्फ समर्थन करे

कम से कम इतनी सीटें तो आरजेडी को खुद लड़नी ही चाहिए कि वो अपने दम पर बिहार विधानसभा में बहुमत यानी 122 का आंकड़ा पार कर ले. समर्थक दल के विधायक किसी भी नाजुक मौके पर बीजेपी के साथ हो लेंगे.

विकलांग छात्रों के लिए बेहतर ऑनलाइन कक्षाओं के लिए लिखा गया एक पत्र दो मंत्रालयों के बीच कैसे खो गया

सरकार की सहायता के बिना, जावेद आबिदी फाउंडेशन ने 284 विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को बताया कि कैसे विकलांग छात्र ऑनलाइन शिक्षा सहित कई मुद्दों की जानकारी दी.

इमरान खान के पाकिस्तान में आसिम बाजवा की डर्टी मनी रॉ की साजिश बन गई

सत्ता में आने से पहले इमरान खान नवाज शरीफ से कहते थे कि अपने निवेश की रसीदें दिखाएं. अब जब वह प्रधानमत्री बन गए हैं तो नियम बदल गए हैं.

भारत में एससी-एसटी के बीच उपश्रेणियां बनाने की जरूरत, सुप्रीम कोर्ट ने राह की एक बाधा दूर की

एक सवाल ये कि उपश्रेणियों को बनाने का आधार क्या हो? अगर कोई ठोस कसौटी तय नहीं होती तो फिर बात मनमाने की हो सकती है, कोई चाहे जिस जाति समूह को कोटे की किसी भी उपश्रेणी में मनमाने तरीके से रख दे.

पड़ोसियों से अच्छे रिश्ते बनाने की नरेंद्र मोदी की पहल का क्या हुआ

पड़ोसी देशों के साथ खराब रिश्तों ने भारत की ‘नेवरहुड फर्स्ट’ पॉलिसी पर सवालिया निशान लगा दिया है.

भारत ने ब्लैक टॉप पर कब्जा किया, हेलमेट चोटी भी नियंत्रण में- चीन अब 1962 की रणनीति अपना सकता है

छोटे-मोटे ऑपरेशन में कामयाबी से भारत को बहुत खुश नहीं होना चाहिए क्योंकि चीन इसका उस तरह जवाब नहीं देगा जिस तरह हम पिछले चार महीनों से उसे देते आ रहे हैं.

विश्व हिंदू परिषद का डराना बेकार है, भारत में ईसाई धर्म का कोई भविष्य नहीं है

आरएसएस और अनुषंगी संगठन राजनीतिक उद्देश्यों से या फिर अनजाने में ये समझ बैठे हैं कि ईसाई मिशनरियों की धर्म परिवर्तन कराने की बहुत बड़ी क्षमता है और उन्हें न रोका गया तो करोड़ों हिंदू ईसाई बन जाएंगे.

ट्रंप या बाइडेन– भारत के लिए कौन बेहतर है, इसका जवाब एक 14 वर्ष पुराने सपने में है

सीएए, कश्मीर और जलवायु परिवर्तन पर मुखर रहे डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बाइडेन का भारत संबंधी रुख डोनाल्ड ट्रंप से बिल्कुल अलग रहा है.

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अब निर्मला सीतारमण की जरूरत नहीं, मोदी को जयशंकर की तरह लेटरल एंट्री का सहारा लेना चाहिए

नरेंद्र मोदी और अमित शाह राजनीति के मामले में तो माहिर खिलाड़ी हैं लेकिन अर्थव्यवस्था को संभालने का गुर भलीभांति नहीं जानते जबकि यह उनकी राजनीति के लिए बेहद अहम है.

भारत में बड़े पैमाने पर जब एक साथ चुनाव हो सकते हैं तो उसी तरह कोविड टीकाकरण भी किया जा सकता है

कोविड-19 कोई खसरे की बीमारी नहीं है इसलिए व्यावहारिकता के नाम पर जो यथास्थितिवाद चल रहा है उससे मोदी सरकार को पल्ला झाड़ना चाहिए.

मत-विमत

पाकिस्तान के ‘जनरल शांति’ को यही होगी असली श्रद्धांजलि

दुर्रानी को एनएसए बनाकर पाकिस्तान ने बड़ी छलांग लगाई थी, लेकिन हैरानी नहीं कि वे एक साल भी इस पद पर नहीं रह पाए. 26/11 कांड को पाकिस्तानी फौज/आईएसआई की धोखाधड़ी मानते हुए परेशान होकर उन्होंने किनारा कर लिया.

वीडियो

राजनीति

देश

बेंगलुरु में सैर कर रही महिला का यौन उत्पीड़न, मामला दर्ज

बेंगलुरु, चार नवंबर (भाषा) बेंगलुरू में अपने कुत्ते को टहला रही 33 वर्षीय महिला का कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किया गया और उसके...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.