भारत में जैसे मोदीत्व चल रहा है वैसे ही अमेरिका में ट्रंपवाद शुरू हो गया है. नस्लीय या सामाजिक अधिकारों के लिए बढ़ती सजगता जनता को उकसाने की राजनीतिक कला को बढ़ावा दे रही है.
यहां तक कि बाइडेन प्रशासन भी अमेरिकी सहयोगियों पर दबाव बढ़ाने के चीन के प्रयासों, अकेले अपने बूते इस क्षेत्र में अमेरिकी प्रभाव का मुकाबला करने की और ज्यादा प्रत्यक्ष कोशिशों की अनदेखी नहीं कर सकता.
हरियाणा सरकार इस मामले में जब आलोचना और प्रदर्शनों का सामना कर रही थी तो इसी दौरान बल्लभगढ़ में निकिता तोमर की हत्या हो गई और उस मामले में लव जिहाद एंगल उछाल दिया गया. दक्षिणपंथी संगठन आये दिन अपनी ही पार्टी वाली सरकार के राज में पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.
हर राज्य में चुनाव प्रचार करने के लिए भाजपा को एक युवा योगी आदित्यनाथ की जिस बेसब्री से तलाश है उससे तो यही लगता है कि सिर्फ नरेंद्र मोदी और अमित शाह के भरोसे चल रही इस पार्टी का भविष्य अनिश्चित ही है.
मेरा आकलन यह है कि भारतीय सेना उभरती टेक्नोलॉजी को पूर्ण परिवर्तन की खातिर नहीं बल्कि चरणबद्ध बदलाव के लिए अपना रही है, जबकि पूर्ण परिवर्तन वक़्त की मांग है