पहले के दिनों में अर्थव्यवस्था को जो तीन चीजें तबाह करती थीं— युद्ध, अकाल, और तेल संकट— उनका मोदी को अपने राज में तो न के बराबर ही सामना करना पड़ा मगर कोविड महामारी ने उनकी खुशकिस्मती को ग्रहण लगा दिया.
मोदी और शाह को अच्छी तरह पता है कि राष्ट्रीय स्तर पर सिर्फ कांग्रेस ही उनके लिए चुनौती साबित हो सकती है और गांधी परिवार ही उसे एकजुट रखने की क्षमता रखता है. इसलिए उसके ऊपर बेरहमी से हमला करते रहने की जरूरत है.
भारत में म्यूकोरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस के 7,000 से अधिक मामले हो गए हैं. इस त्रासदि का कारण ग़लत जानकारी की वजह से, स्टेरॉयड्स का अंधाधुंध उपभोग हो सकता है.
एन वी रमन्ना के कार्यकाल में अगर शीर्ष अदालत में महत्वपूर्ण मुकदमों की सुनवाई का सीधा प्रसारण शुरू हो गया तो निश्चित ही इसे न्यायपालिका के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी और पारदर्शिता लाने वाला कदम माना जायेगा.
नई रिपोर्ट से पता चलता है कि पहली लहर में 23 करोड़ भारतीय गरीबी के भंवर में पड़े, बड़ी तादाद में महिलाओं ने स्थायी किस्म की नौकरी गंवायी और लगभग 17 प्रतिशत वेतनभोगी कामगार स्वास्थ्य क्षेत्र की नौकरी से निकलने को मजबूर हुए.
आलोचना, सवाल-जवाब किसी भी जीवंत लोकतंत्र की सबसे जरूरी शर्तें हैं, खास तौर से तब तो और भी जब वह ऐसे संकट से गुजर रहा हो जिसका उसने पहले कभी सामना न किया हो