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गुरूवार, 29 मई, 2025
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PM मोदी का कद अब छोटा हो गया है, जो चीज़ उनके पास 7 सालों से थी वह अब खत्म हो गई है- भाग्य

पहले के दिनों में अर्थव्यवस्था को जो तीन चीजें तबाह करती थीं— युद्ध, अकाल, और तेल संकट— उनका मोदी को अपने राज में तो न के बराबर ही सामना करना पड़ा मगर कोविड महामारी ने उनकी खुशकिस्मती को ग्रहण लगा दिया.

2024 मोदी के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है? हां, बशर्ते कांग्रेस इसकी कोशिश करे

मोदी और शाह को अच्छी तरह पता है कि राष्ट्रीय स्तर पर सिर्फ कांग्रेस ही उनके लिए चुनौती साबित हो सकती है और गांधी परिवार ही उसे एकजुट रखने की क्षमता रखता है. इसलिए उसके ऊपर बेरहमी से हमला करते रहने की जरूरत है.

महामारी के भीतर महामारी- ऑक्सीजन की क़िल्लत के बाद ब्लैक फंगस है भारत का नया SOS

भारत में म्यूकोरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस के 7,000 से अधिक मामले हो गए हैं. इस त्रासदि का कारण ग़लत जानकारी की वजह से, स्टेरॉयड्स का अंधाधुंध उपभोग हो सकता है.

एन वी रमन्ना के CJI बनने से क्या SC में मुकदमों की सुनवाई के सीधे प्रसारण का इंतजार अब खत्म होगा

एन वी रमन्ना के कार्यकाल में अगर शीर्ष अदालत में महत्वपूर्ण मुकदमों की सुनवाई का सीधा प्रसारण शुरू हो गया तो निश्चित ही इसे न्यायपालिका के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी और पारदर्शिता लाने वाला कदम माना जायेगा.

महामारी के बीच सेना के शीर्ष डॉक्टर को हटाना सही नहीं, क्यों DGAFMS को सशस्त्र बलों के अधीन होना चाहिए

डीएमए और सीडीएस के गठन के साथ सशस्त्र बल सेवा महानिदेशालय को तुरंत ही सशस्त्र बलों के आधीन कर देना चाहिए.

पाकिस्तानी सांसद इजरायल पर ‘न्यूक्लियर हमला’, जिहाद का ऐलान चाहते हैं, जैसे यही एक सही तरीका हो

यदि आप फिलिस्तीन के प्रति समर्थन दिखाना चाहते हैं, तो हिटलर को कोट करना कोई उपाय नहीं है. पाकिस्तान में कुछ लोग समझते तक नहीं हैं.

समय तेजी से निकलता जा रहा है, कोविड से लड़ने के लिए सेना को गांवों में भेजा जाना चाहिए

सेना का हर अफसर, चाहे वह कमीशंड हो या नॉन-कमीशंड, संकट से निपटने के लिए प्रशिक्षित होता है.

नरेंद्र मोदी के लिए चुनौती न बन जाए ममता क्या इसलिए BJP उन्हें बंगाल में उलझाये रखना चाहती है

भाजपा और टीएमसी की महत्वाकांक्षाओं के आईने में देखकर कोई भी इनकार नहीं कर सकता कि उनके टकरावों से आगे न सिर्फ बंगाल बल्कि देश भी पीड़ित होगा.

भारत में कोविड-19 की पहली लहर के 5 सबक जो दूसरी लहर में लोगों की आजीविका बचा सकते हैं

नई रिपोर्ट से पता चलता है कि पहली लहर में 23 करोड़ भारतीय गरीबी के भंवर में पड़े, बड़ी तादाद में महिलाओं ने स्थायी किस्म की नौकरी गंवायी और लगभग 17 प्रतिशत वेतनभोगी कामगार स्वास्थ्य क्षेत्र की नौकरी से निकलने को मजबूर हुए.

मोदी सरकार के लिए लोगों का स्वास्थ्य नहीं, बल्कि खबरों की हेडलाइन मैनेजमेंट ज्यादा महत्त्वपूर्ण

आलोचना, सवाल-जवाब किसी भी जीवंत लोकतंत्र की सबसे जरूरी शर्तें हैं, खास तौर से तब तो और भी जब वह ऐसे संकट से गुजर रहा हो जिसका उसने पहले कभी सामना न किया हो

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बीएसईएस ने दिल्ली में लगाई दक्षिण एशिया की ‘सबसे बड़ी’ बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली

नयी दिल्ली, 29 मई (भाषा) बिजली वितरण कंपनी बीएसईएस राजधानी पावर लि. ने दक्षिण दिल्ली के किलोकरी में 20 मेगावाट क्षमता की बैटरी...

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सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.