लोंगुएट की दलीलों का सार यही था कि सावरकर एक भारतीय क्रांतिकारी व प्रबुद्ध विचारक हैं और भारत को आजाद करवाने के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं, इसलिए ब्रिटिश सरकार उनके पीछे पड़ी है.
घरेलू सीवेज जिसमें मानव मल की मात्रा होती है, यह गंगा में पहले की तरह ही आ रहा है और यही वह तत्व है जो पानी को सर्वाधिक प्रदूषित करता है लेकिन पानी के रंग में कोई बदलाव नहीं आता.
किसी भी रचना को उसके संदर्भ में समझना बेहद जरूरी है. आलोचना केवल आलोचना करने के उद्देश्य से ही नहीं की जानी चाहिए. आलोचना के पीछे पुख्ता और ठोस कारण होना चाहिए.
मुझे पांच मिनट के फोन कॉल या दस मिनट के वीडियो कॉल का बेसब्री से इंतजार रहता है. लेकिन जैसे ही हम बातें करना शुरू करते हैं, टाइमर बंद हो जाता है. इससे पहले मैंने कभी भी हर सेकेंड की कीमत का एहसास इस सिद्दत के साथ नहीं किया है.
मोदी पर हमलावर विपक्ष के जुमले मज़ाकिया, आकर्षक और सोशल मीडिया पर चलने वाले भले ही हों, इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि इन्हें अपने फायदे में इस्तेमाल करने के लिए मोदी अपनी पूरी ताकत और कल्पनाशीलता झोंक देंगे.
बदलते मौसमों के साथ गर्मी, जाड़ा व बरसात और महामारी के अंदेशों को झेलते हुए भी वे प्रदर्शन स्थलों पर जमे हुए हैं और अब उन्होंने अपने आन्दोलन का विस्तार करते हुए उसे गुरिल्ला शक्ल देने का फैसला भी किया है.
यह समझ से परे है कि भाजपा जब भारत की सबसे मज़बूत पार्टी की स्थिति में है, तब वह जाति जनगणना जैसे विघटनकारी कदम को क्यों उठाए. अगर राहुल गांधी जैसे विपक्षी नेता ऐसी विघटनकारी राजनीति करते हैं, तो बात समझ में आती है. वे भाजपा के राजनीतिक प्रभुत्व को तोड़ने के लिए बेताब हैं, लेकिन भाजपा क्यों?