वर्तमान और पूर्व विधायक प्रतिद्वंद्वी खेमे में टिकट बंटवारे को लेकर विरोध हो रहा है. सार्वजनिक रूप से आलाकमान की आलोचना करने वाले नेता कांग्रेस की पहचान थी. बीजेपी कर्नाटक में ये सब देख रही है.
दोनों दल जब विपक्ष में होते हैं तो सरकार को घेरने के लिए जाति जनगणना कराने की मांग करते हैं, क्योंकि इस मांग में यथास्थिति को तोड़ने की जबर्दस्त ताकत है, लेकिन सरकार में आने के बाद उनका नजरिया बदल जाता है और वे जाति जनगणना से पलट जाते हैं.
सरकार को सामरिक परमाणु हथियारों के उपयोग के लिए अपनी सीमा का संकेत देना चाहिए. इस सीमारेखा के नीचे, सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए सैन्य अंतर अप्रासंगिक है.
राहुल गांधी का कोलार वाला भाषण किसी क्षणिक आवेग की देन नहीं. कांग्रेस कुछ बड़ा करने के फिराक में है. पार्टी सामाजिक न्याय की अपनी खोयी हुई जमीन हासिल करने की कोशिश कर रही है.
अपने बौद्ध और जैन पूर्ववर्तियों की तरह, मध्यकालीन शैव मठों ने प्रतिद्वंद्वियों को हराने और अनुयायियों को बनाने के लिए अपने शाही संबंधों का इस्तेमाल किया.
कहने की जरूरत नहीं कि जो न्यायप्रणाली चीफ जस्टिस तक के लिए अफसोसनाक हो जायेगी, वह खुद में लोगों का विश्वास तो घटायेगी ही, कानून हाथ में लेकर अपराधियों से मौके पर ही हिसाब बराबर कर लेने को ललचायेगी भी.
पंजाब, कश्मीर के छोटे-छोटे युद्धों में जिन अपवादों को उचित ठहराया जा सकता था, वे पुलिसिंग के सामान्य ताने-बाने का हिस्सा बन गए हैं. इमरजेंसी रोज की बात हो गई है.
आधार, राशन कार्ड, वोटर ID और मनरेगा जॉब कार्ड जिन दस्तावेज़ को गरीब वोटर असल में रखते हैं, उन्हें बिहार में पहचान और निवास साबित करने वाले ECI के दस्तावेज़ की लिस्ट में शामिल ही नहीं किया गया है.