हम शायद ही उन राजनेताओं को याद करते हैं जिन्होंने रूज़वेल्ट, थैचर का विरोध किया था. वे बेकार नहीं थे, लेकिन उनकी लोकप्रियता से लड़ना लगभग असंभव हो गया. मुझे संदेह है कि मोदी के साथ भी कुछ ऐसा ही है.
पीएम मोदी फोन न उठाकर बातचीत करने में माहिर हैं. यहां तक कि जब बालाकोट संकट के दौरान पाकिस्तान में घबराहट बढ़ गई, तो उन्होंने अपने समकक्ष इमरान खान की आधी रात की कॉल को अस्वीकार कर दिया.
जबकि हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी की सिफारिश अक्सर Systemic Menopausal Symptoms के लिए प्राथमिक उपचार के रूप में की जाती है, लेकिन त्वचा पर पड़ने वाले संभावित दुष्प्रभावों पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है.
इंदिरा ने इमरजेंसी में आरएसएस को निशाना बनाकर उसे राजनीतिक वैधता प्रदान करने; राजीव ने 1989 में जनादेश का सम्मान नहीं करने; वाजपेयी-आडवाणी ने समय से पहले चुनाव करवाने की जो गलतियां की उन्होंने भारतीय राजनीति की दिशा बदली.
हर बार जब हम राज्य को अपने जीवन पर अधिकार करने की अनुमति देते हैं, तो हम माओत्से तुंग, मुल्ला उमर के रास्ते पर चल रहे होते हैं. इसकी शुरुआत हमेशा छोटे से होती है. लेकिन यह फिसलन भरी ढलान है. यह कभी भी अधिक समय तक छोटा नहीं रहता.
समाजवादियों और बीजेपी के बीच निर्णायक दूरी 1990 में बनी जब बीजेपी समर्थित वीपी सिंह सरकार ने 7 अगस्त को मंडल कमीशन की रिपोर्ट की एक अनुशंसा को लागू करने की घोषणा कर दी.
चुनाव मंत्री – माफ कीजिएगा, प्रधानमंत्री सच्चाई से वाबस्ता करना पसंद नहीं करते. उन्हें बॉलीवुड की कल्पनाएं, भ्रम के बुलबुले और साफ-सुथरे माहौल में सज धज कर फोटो खिंचवाना पसंद है.