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Saturday, 16 November, 2024
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नेशनल इंट्रेस्ट

पूर्वोत्तर में सफलता बीजेपी की ही नहीं, भारत की भी कामयाबी की कहानी है

उत्तर-पूर्व के लोग ज्यादा स्मार्ट हैं. वे “दिल्ली” की अच्छी पेशकश के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हैं. शांति, संपर्क, और भारत की उछाल मारती अर्थव्यवस्था ने राष्ट्रीय भावना और भारतीयता को भी बढ़ावा दिया है 

खालिस्तान की मांग करता अमृतपाल क्यों सिर उठा रहा है और सरकार क्यों सरेंडर कर रही है?

हथियारों से लैस भीड़ सीमावर्ती पुलिस थाने पर हमला बोल देती है, गिरफ्तार संदिग्ध शख्स को रिहा कर दिया जाता है, और सरकार ‘खेद’ जाहिर करके रह जाती है, इसके बाद भी आप सोचते हैं कि इस सबका का कोई नतीजा सामने नहीं आएगा, तो आप बड़े नादान हैं.

बाज़ार तो जीत गया, अब अडाणी तय करें कि वे हारेंगे या नहीं

इस तरह की परिस्थिति में राजनीतिक सत्तातंत्र अगर यह फैसला करता है कि एक कॉर्पोरेट और बाज़ार आपस में निबट लें तो यह माना जाएगा कि भारत में पूंजीवाद समझदार हो गया है.

मोदी के उपदेश से लेकर ‘पठान’ और ‘भारत जोड़ो यात्रा’ तक, मुस्लिमों के मेनस्ट्रीम में वापसी के संकेत

हिंदुत्ववाद के अधिकतर लक्ष्य हासिल कर लिए गए हैं. अब मोदी और उनकी पार्टी को 2024 की गर्मियों तक तो समाज में अमन-चैन चाहिए ही. इसलिए मुसलमानों की ओर हाथ बढ़ाने की बातें हो रही हैं.

पाकिस्तान की अमन की बात पर सबसे अच्छा जवाब यही हो सकता है कि भारत कोई जवाब न दे

कोई भी कदम जो पाकिस्तान को दम मारने की फुरसत देगा और उसकी रणनीतिक प्रासंगिकता बहाल करेगा वह भारत के लिए नकारात्मक होगा, और वह पाकिस्तान के लिए भी बुरा होगा.

सबसे ताकतवर होने के बावजूद सबसे कमज़ोर क्यों हो गया है RSS

RSS चाहे चिर विद्रोही की भूमिका में रहा हो या सत्ता में, वह ‘अब्राहमवादी’ या साफ कहें तो मुस्लिम दुविधा से अभी तक उबर नहीं पाया है. क्या इस मामले में वह प्रगति कर सकता है? हम सरसंघचालक के अगले उद्बोधन या इंटरव्यू का इंतज़ार करेंगे.

इलाके के ‘दादा’ चीन का ध्यान कहीं और है, पाकिस्तान संकट में है, मोदी के लिए फायदा उठाने का यही मौका है

इस मौके का फायदा उठाकर भारत को खुद को बदलने की शुरुआत करनी है, जो वह रूसी फौजी सप्लाइ पर निर्भरता से उभरने वाले खतरों को दूर करके कर सकता है.

इंडियन एक्सप्रेस और दूरदर्शन से लेकर एनडीटीवी तक; प्रणय और राधिका रॉय के साथ मेरे अनुभव

न्यूज़रूम की गरिमा बनाए रखने, तथ्यों के प्रति सम्मान बरतने और खबर को उसकी मूल अहमियत से ज्यादा न उछालने में कामयाबी से बड़ा संतोषप्रद शायद ही कुछ हो सकता है. इसी संतोष के साथ रॉय दंपती एनडीटीवी को नये हाथों में सौंपकर इससे विदाई ले सकता है.

कांग्रेस को ‘जोड़ने’ के लिए राहुल तय करें कि क्या वे सत्ता को सचमुच जहर मानते हैं?

उनकी पार्टी के नेता सत्ता चाहते हैं, जिसे राहुल जहर बता चुके हैं लेकिन अगर उन्होंने अपना विचार बदल लिया है तो उनकी पार्टी को यह नहीं मालूम. अगर राहुल प्रत्यक्ष सत्ता नहीं चाहते, तो यह उन्हें साफ कहना होगा और वे अपनी पार्टी से यह मांग नहीं कर सकते.

तवांग झड़प और एम्स साइबर अटैक बताते हैं कि चीन हमारी जमीन नहीं बल्कि हमारे दिमाग पर कब्जा करना चाहता है

चीन की किसी कार्रवाई, उसके बाद तनाव कम करने के उसके तरीके, किसी से यह संकेत नहीं मिलता कि वह जमीन कब्जा करने के फेर में है. दरअसल वह जिस जमीन कर कब्जा करना चाहता है वह है हमारे सोच की जमीन

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झांसी मेडिकल कॉलेज में आग: मृतक शिशुओं के परिवारों को पांच-पांच लाख रुपए की आर्थिक सहायता

(तस्वीरों के साथ) लखनऊ/झांसी (उप्र), 16 नवंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में आग लगने से कम से कम 10 नवजात शिशुओं...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.