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गुरूवार, 8 मई, 2025
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मोदी के लॉकडाउन ने काम तो किया लेकिन अब भारत को हनुमान के पहाड़ की नहीं बल्कि संजीवनी बूटी की जरूरत है

लॉकडाउन कारगर रहा है मगर इसे ज्यादा खींचने के कई दूसरे दीर्घकालिक नतीजे हो सकते हैं जो इससे हुए फ़ायदों को खत्म कर दे सकते हैं. इसलिए बेहतर यही होगा कि इसे धीरे-धीरे, व्यवस्थित तरीके से वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की जाए.

आप क्रोनोलॉजी समझिए, मोदी ने कोविड-19 की दवा के निर्यात को लेकर ट्रंप के सामने घुटने नहीं टेके

हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और पैरासिटामोल लंबे समय से पेटेंट-मुक्त और सस्ती जेनेरिक दवाएं हैं. भारत के पास दुनिया के लिए इनके उत्पादन की विशिष्ट क्षमता है. हमें इसका इस्तेमाल करना चाहिए, इसे बेकार नहीं जाने देना चाहिए.

आप ताली, थाली, दीया और मोमबत्ती का चाहे जितना मजाक बना लें, मोदी को इससे फर्क नहीं पड़ता

मोदी को अच्छी तरह मालूम है कि उन्हें किसे संबोधित करना है, किसकी उपेक्षा करनी है, और किसे लाभ पहुंचाना है. इसलिए आप उनकी ताली, थाली, दीया, मोमबत्ती का मजाक उड़ाते रहिए.

क्यों 136 करोड़ भारतीय हाथ पर हाथ धरे कोरोना को कहर ढाने की छूट नहीं दे सकते

कोरोनावायरस से कितने भारतीय संक्रमित हो सकते हैं या कितने मौत के मुंह में समा सकते हैं इसको लेकर कई भयावह आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं जिन्हें सुनकर ऐसा लगता है मानो हम अपनी किस्मत बदलने के लिए कुछ नहीं करेंगे, हाथ पर हाथ धरे बैठे ही रहेंगे.

भारत अमेरिका के बीच हुआ एक सौदा जिसके मिले छह फायदे- वामपंथियों का भी हुआ सफाया

भारत और अमेरिका के बीच हुई परमाणु संधि दोनों देशों के रिश्ते में आए नये बदलाव की सबसे बड़ी उपलब्धि इसलिए भी है कि इसने वामपंथ की पोल खोल कर उसे ध्वस्त किया और भारत की राजनीतिक अर्थनीति को नयी दिशा दी

मंत्री के रूप में अमित शाह का प्रर्दशन तय करेगा कि मोदी-शाह की जोड़ी कितनी सफल होती है

मोदी और शाह के बीच सत्ता का ऐसा अनूठा समीकरण है जैसा न तो नेहरू-पटेल के बीच था और न ही वाजपेयी-आडवाणी के बीच था. लेकिन दिल्ली में पार्टी की हार के बाद शाह ने अपने राजनीतिक करियर के नये अपरिचित दौर में कदम रख दिया है. 

पुलिस नेता-राज जहां रस्सी सांप बन सकती है और लिंचिंग दिल का दौरा

पुलिस-नेता की साठगांठ कोई नई चीज़ नहीं है लेकिन इसने भयानक रूप ले लिया है और आईपीएस यानी भारतीय पुलिस सेवा अपना नैतिक और पेशागत वजन खो बैठी है.

बदहाल शहरों की कीमत क्या अब मूंगे के पहाड़ों को चुकानी पड़ेगी?

भारत के बड़े शहर बदहाल हो रहे हैं, वे विशाल झोंपड़पट्टियों में तब्दील होते जा रहे हैं, और जब उन्हें सुधारने की कोशिश की जाती है तो ‘कोरल’ यानी मूँगे की चट्टानें आड़े आने लगती हैं जैसा कि मुंबई में हुआ.

मत-विमत

ऑपरेशन सिंदूर के साथ जुड़े ‘सरप्राइज़’, शो, साहस और संयम के पहलू

पाकिस्तान में और भारत में भी सबको पता था कि सवाल यह नहीं था कि हमले किए जाएंगे या नहीं बल्कि यह था कि वह कब किए जाएंगे. मोदी सरकार ने इन 14 दिनों का इस्तेमाल यह जताने के लिए किया कि उसे कोई हड़बड़ी नहीं है.

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उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में बिजली संयंत्र में आग लगने के बाद बंद की गईं दो उत्पादन इकाइयां

सोनभद्र (उप्र), आठ मई (भाषा) सोनभद्र जिले के ओबरा में ‘बी’ ताप बिजली संयंत्र के एक ट्रांसफॉर्मर में बृहस्पतिवार सुबह आग लग गई जिससे...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.