केंद्र सरकार अगर अपने विरोधियों को धमकाने, जेल में भेजने के लिए अपनी एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है, तो गैर-भाजपाई मुख्यमंत्रियों ने इसी तरह से प्रतिकार करने का जो तरीका चुना है वह आगे और तीखा रूप ले सकता है
दिल्ली का सैनिक फार्म कभी एक विशाल हरा-भरा इलाका था. इस पर सबसे पहले रिटायर्ड जनरलों की सेना की नजर पड़ी और देखते ही देखते राजधानी का ये कवच तोड़कर इसे पूरी तरह कब्जा लिया गया.
ऐसा लगता है कि भाजपा के वर्चस्व ने उसके प्रतिद्वंद्वियों के राजनीतिक कौशल और कल्पनाशीलता को खत्म कर दिया है. वे इस्लाम के नाम से भी डरने लगे हैं और मुसलमानों के साथ देते दिखना नहीं चाहते.
आलोचनाओं पर आग बबूला होकर क्या हम अपनी नैतिक प्रतिष्ठा बढ़ा सकते हैं? पक्षधर लोग तो आपके लिए तालियां बजाएंगे, मगर इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपने भीतर झांकने की सलाहियत खो दें. या अपने शुभचिंतकों की बातों पर ध्यान न दें.
दुनिया इस तरह बदल चुकी है जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी, उन्होंने भी नहीं की होगी जो लोगों को आपस में लड़ाने के लिए उन्हें धर्म, संस्कृति, और सभ्यतागत अंतरों के आधार पर बांटते हैं.
भाजपा की विभाजनकारी राजनीति कर्नाटक की सामाजिक समरसता, सबको साथ लेकर चलने वाली संस्कृति और देश की आर्थिक वृद्धि के लिए जरूरी उद्यमशीलता के विकास के लिए एक खतरा है.
संयुक्त राष्ट्र में भारत की गैरहाजिरी पर पश्चिमी देशों ने न सिर्फ उसकी आलोचना की बल्कि अनैतिकता को लेकर ताने भी कसे. लेकिन ऐसे कई कारण हैं जिनकी वजह से हम भारतीय नीति को सिर्फ इसी संदर्भ में नहीं आंक सकते. और जो ऐसा करते हैं, उन्हें खुद अपने गिरेबान में झांककर देखना चाहिए.
‘कश्मीर फाइल्स’ फिल्म को इस विवाद में उलझाना निंदनीय और दुखद है कि वास्तव में कितने कश्मीरी पंडितों की हत्या की गई थी. एक भीषण हत्याकांड को हम मौतों के आंकड़े पर विवाद में उलझा रहे हैं
भाजपा को हराना है तो या तो आप उसे बड़ी संख्या में हिंदू वोटों से वंचित करें या एक ऐसा मजबूत क्षेत्रीय नेता और ऐसी पार्टी खड़ी करें जो अपना किला बचाने की कुव्वत रखता हो. और ऐसा करने के लिए तीसरा उपाय भी है.
कोच्चि, 16 नवंबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शनिवार को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र वैश्विक घटनाओं...