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Tuesday, 25 February, 2025
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राष्ट्रवाद पर मोदी से टक्कर लेने को तैयार केजरीवाल, उन्हें तिरंगा-दर-तिरंगा लोहा लेना पड़ेगा

नरेंद्र मोदी को लेकर अरविंद केजरीवाल ने अपना ‘मौन व्रत’ तोड़ दिया है. राजनीति में आया यह मोड़ बिहार में आए नाटकीय मोड़ जितना ही महत्वपूर्ण है.

कैसे रहे कश्मीर के बीते तीन साल, 3 अच्छे बदलाव और 3 बातें जो और भी बुरी हुईं

पिछले तीन साल कश्मीर एक समस्या के रूप में सुर्खियों में और चिंता के रूप में हम सबके मन पर छाया नहीं रहा, इसे सबसे महत्वपूर्ण और बेहतर बदलाव माना जा सकता है.

मोदी को वही चुनौती दे सकता है जो हिंदुओं और मुसलमानों को एक साथ ला सके

मोदी को भविष्य में चुनौती वही दे सकता है जो हिंदू-मुसलमान को फिर से साथ ला सके; हिंदुओं को हिंदू के रूप में, जातियों में बंटे समूहों में नहीं.

यह सिंपल, गॉड लविंग भारतीय मुस्लिम अपने पीछे कितनी समृद्ध विरासत छोड़ गया है

कुछ और ऐसी चीजें भी हैं जो कलाम कतई नहीं थे, वह क्षुद्र मानसिकता वाले, निंदक, स्वार्थी, प्रतिशोधी, सिद्धांतहीन, अहंकारी नहीं थे. यही वजह है कि एक अरब से अधिक लोग दशकों से उन्हें अपने सबसे प्रिय नेता के तौर पर याद करते हैं.

क्यों लुटा हिंदू कारवां, और क्या है भारतीय सेक्युलरवाद का भविष्य

भारत में धर्मनिरपेक्षता का ठेका लंबे समय से 14 फीसदी मुसलमानों के जिम्मे रहा है लेकिन अब समय आ गया है कि इसकी ज़िम्मेदारी हिंदुओं को संभाल लेनी चाहिए.

मोदी-BJP चाहती है कि मुसलमान उनकी शर्तों पर चलें, राजनीतिक चुनौती देने के लिए 3 शर्तें जरूरी

फिलहाल अजेय दिख रही भाजपा क्या यह चाहती है कि देश की करीब 15 फीसदी आबादी को उसकी आस्था के कारण अलग-थलग कर दिया जाए? यह तो भारतीय लोकतंत्र को कमजोर ही करेगा.

क्या मुझे ऑल्ट न्यूज़ के ज़ुबैर से कोई शिकायत है? इसके 3 जवाब हैं- नहीं, नहीं और हां

किसी को अपने विचारों के लिए जेल में नहीं डाला जाना चाहिए, न उस पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए. खासकर उन विचारों के लिए जो केवल सोशल मीडिया पर जाहिर किए गए हों.

महाराष्ट्र में चला सियासी खेल नैतिक और राजनीतिक से कहीं ज्यादा वैचारिक है

बाल ठाकरे कुछ भी कर सकते थे, घंटे भर में अपनी दिशा बदल सकते थे. अगर वे यह चाहते थे कि ठाकरे कुनबा औपचारिक सत्ता से अलग रहे तो इसकी भी एक वजह थी.

मोदी सरकार की हैरत में डालने वाली आदत ही ‘अग्निपथ’ जैसे जरूरी सुधार के लिए बनी चुनौती

मोदी सरकार की सबसे बड़ी कमजोरी यह रही है कि वह चुनावी बहुमत की सीमाओं को स्वीकार करने से कतराती है, जिस वजह से भूमि कानून, कृषि कानून का कबाड़ा हो गया, श्रम संबंधी नियम लागू न हो पाए

‘वर्दी वाले तानाशाह कभी मरते नहीं’: मुशर्रफ ने पाकिस्तान के लिए विनाशकारी विरासत बनाई है

बेनज़ीर की हत्या, भारत पर 26/11 के हमले, एबटाबाद में अमेरिकी सैनिकों के हमले में लादेन की मौत— जनरल मुशर्रफ़ के राज में हुई इन वारदात ने पाकिस्तान को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया लेकिन वे खुद को लोकतांत्रिक मानते रहे.

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महाकुंभ नगर (उप्र), 24 फरवरी (भाषा) केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि कुंभ क्षेत्र में 62...

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सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

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