पिछले तीन साल कश्मीर एक समस्या के रूप में सुर्खियों में और चिंता के रूप में हम सबके मन पर छाया नहीं रहा, इसे सबसे महत्वपूर्ण और बेहतर बदलाव माना जा सकता है.
कुछ और ऐसी चीजें भी हैं जो कलाम कतई नहीं थे, वह क्षुद्र मानसिकता वाले, निंदक, स्वार्थी, प्रतिशोधी, सिद्धांतहीन, अहंकारी नहीं थे. यही वजह है कि एक अरब से अधिक लोग दशकों से उन्हें अपने सबसे प्रिय नेता के तौर पर याद करते हैं.
फिलहाल अजेय दिख रही भाजपा क्या यह चाहती है कि देश की करीब 15 फीसदी आबादी को उसकी आस्था के कारण अलग-थलग कर दिया जाए? यह तो भारतीय लोकतंत्र को कमजोर ही करेगा.
किसी को अपने विचारों के लिए जेल में नहीं डाला जाना चाहिए, न उस पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए. खासकर उन विचारों के लिए जो केवल सोशल मीडिया पर जाहिर किए गए हों.
मोदी सरकार की सबसे बड़ी कमजोरी यह रही है कि वह चुनावी बहुमत की सीमाओं को स्वीकार करने से कतराती है, जिस वजह से भूमि कानून, कृषि कानून का कबाड़ा हो गया, श्रम संबंधी नियम लागू न हो पाए
बेनज़ीर की हत्या, भारत पर 26/11 के हमले, एबटाबाद में अमेरिकी सैनिकों के हमले में लादेन की मौत— जनरल मुशर्रफ़ के राज में हुई इन वारदात ने पाकिस्तान को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया लेकिन वे खुद को लोकतांत्रिक मानते रहे.
एक बात तो साफ है — हर राजनीतिक दल महिला सशक्तिकरण का तमगा पहनना चाहता है. सिवाय इसके कि सत्ता में एक महिला का होना अपने AAP में महिला-समर्थक नीतियों का मतलब नहीं है.