सोशल मीडिया पर कई ब्राह्मणों का आरोप है कि सीएम आदित्यनाथ ब्राह्मण समुदाय की उपेक्षा करते रहे हैं. वे ऐसे कई उदाहरणों को सूचीबद्ध कर रहे हैं जहां एक ब्राह्मण की हत्या कर दी गई थी.
नताशा नारवाल को 'दिल्ली हिंसा और अमूल्य लीना को' हिंदुस्तान ज़िंदाबाद, पाकिस्तान ज़िंदाबाद कहने की साजिश के लिए गिरफ्तार किया गया था. लेकिन उनके पिताओं ने बेटी पर कैसी प्रतिक्रिया दी, आज भारत के बारे में बहुत कुछ बताता है.
अधिकांश भारतीय मिलेनियल्स की राजनीतिक स्मृति अटल बिहारी वाजपेयी से शुरू होती है, जवाहरलाल नेहरू से नहीं. इसलिए, प्रधान मंत्रीनरेंद्र मोदी को पिछले 30 वर्षों के संदर्भ में आंका जाएगा, और निश्चित रूप से 70 वर्षों से फर्क नहीं पड़ने वाला.
क्या अरुंधति रॉय, रामचंद्र गुहा या फिर प्रताप भानु मेहता कभी लोगों को एक साल में इतना 'इतिहास और विज्ञान' पढ़ लेने और 'शिक्षित' करने के लिए प्रेरित कर सकते?
मुस्लिम एंगल ये बात तो सुनिश्चित कर देता है कि मूक बने रहने वाले मंत्री रातोंरात सामाजिक कार्यकर्ता बन जाएं और बहुसंख्यकों को एक नया मुद्दा मिल जाए ताकि कट्टरता की खुराक में कोई कमी ना आने पाए.
जिस देश में अभी भी अखबारों से जच्चा-बच्चा की मौत की खबरें गायब नहीं हुईं हैं वहां हम रेखा को उनके हाल पर नही छोड़ सकते थे. उनके अस्पताल पहुंचने के बाद ही हम अपनी रिपोर्टिंग में व्यस्त हुए.
अगर दिल्ली के स्कूली लड़के इंस्टाग्राम पर निजी चैट्स में माइनर लड़कियों के साथ बलात्कार की योजना बनाते हैं, तो राजनीतिक दलों के आईटी सेल सार्वजनिक रूप से ट्विटर और फेसबुक पर महिलाओं को धमकी देते हैं.
जिंदगी केवल एक बार किसी महामारी के दौरान बच निकलने के बारे में ही नहीं है. इसके मायने उससे भी अधिक हैं. ये कला, साहित्य, सिनेमा और सबसे महत्वपूर्ण हर तबके के लोगों से जुड़ने के बारे में भी है.
एक राष्ट्र, एक चुनाव के आलोचक मतदाताओं की थकान के बारे में नहीं सोच रहे हैं. जब चुनाव कई बार और लगातार होते हैं, तो शिक्षित मतदाता भी उन्हें एक अतिरिक्त छुट्टी के रूप में देखता है.