चारों प्रियंका की बॉडी और उसकी स्कूटी को लॉरी में रखा और घटनास्थल से 40 किमी दूर ले गए. रंगा-रेड्डी जिले में एक सुनसान पुल के पास केरोसीन तेल में डुबाकर प्रियंका के शरीर में आग लगा दी.
सरस्वती नदी पर काम करने वालों के साथ साथ इसरो जयपुर और बेंगलुरू के सेंटर की रिसर्च टीम भी नदी की खोज में शोध कर रही है. वहीं भारतीय पुरात्तव परिषद के एन. दीक्षित की अध्यक्षता में अलग अलग ग्रुप बनाकर काम किया जा रहा है.
सिराज जैसा नाम राष्ट्रीय गर्व के साथ लिया जाना अपने आप में एक हल्की-सी क्रांति है. उनकी सफलता इस बात का सबूत मानी जा रही है कि मज़दूर वर्ग से जुड़े पासमांदा बैकग्राउंड के लोग भी इस मुकाम तक पहुंच सकते हैं.