एडवर्स इवेंट्स फॉलोइंग इम्यूनाइजेशन (एईएफआई) का डेटा ये समझने के लिए महत्वपूर्ण होता है, कि यदि विपरीत असर और मौतों की घटनाएं सामने आती हैं, तो उनके कारणों को टीकों के साथ कैसे जोड़ा जा सकता है.
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से बुधवार सुबह आठ बजे जारी किए गए अद्यतन आंकड़ों के अनुसार, लगातार 80 दिन से कोविड-19 के रोजाना 50 हजार से कम मामले सामने आ रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट में सरकार की तरफ से दाखिल हलफनामे से ऐसा लगता है कि कोविड महामारी शुरू होने के बाद स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे में कमियां इस तरह दूर की गई हैं, जैसा पहले कभी नहीं किया गया.
देश में अभी तक कोविड-19 रोधी टीकों की कुल 75.22 करोड़ खुराक दी जा चुकी हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि अभी तक जिन लोगों की मौत हुई है, उनमें से 70 प्रतिशत से ज्यादा मरीजों को अन्य बीमारियां भी थीं.
सुप्रीम कोर्ट ने 30 जून को ये गाइडलाइन्स मांगी थीं और कहा था कि आपदा प्रबंधन कानून के तहत मुआवज़ा देना अनिवार्य है. साथ ही पिछले हफ्ते कोर्ट ने उनमें देरी के लिए केंद्र की खिंचाई की थी.
1964 में गुजरात के दौरे ने लाल बहादुर शास्त्री को त्रिभुवनदास के. पटेल द्वारा स्थापित और वर्गीज़ कुरिएन द्वारा कुशलता से प्रबंधित डेरी के सहकारी मॉडल के लाभों के बारे में कायल कर दिया था.