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Friday, 29 March, 2024
होमहेल्थब्रिटेन के अध्ययन का दावा—धूम्रपान के कारण कोविड हो सकता है ज्यादा घातक, मौत का खतरा भी ज्यादा

ब्रिटेन के अध्ययन का दावा—धूम्रपान के कारण कोविड हो सकता है ज्यादा घातक, मौत का खतरा भी ज्यादा

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के अध्ययन में दावा किया गया है कि धूम्रपान न करने वालों की तुलना में धूम्रपान करने वालों में कोविड से गंभीर तौर पर पीड़ित होने का खतरा 80% ज्यादा होता है.

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नई दिल्ली: ब्रिटेन में अपनी तरह के पहले अध्ययन में पाया गया है कि धूम्रपान की वजह से कोविड होने पर स्थिति ज्यादा बिगड़ने और इससे मौत होने का भी खतरा ज्यादा होता है.

थोरैक्स मंडे जर्नल में प्रकाशित, अध्ययन पहले की उन अवधारणाओं और रिपोर्टों का खंडन करता है, जिसमें सुझाव दिया गया था कि धूम्रपान करने वालों के कोविड से गंभीर रूप से पीड़ित होने का खतरा कम रहता है.

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक टीम ने रिसर्च के लिए धूम्रपान और कोविड पर ब्रिटेने के ऑब्जर्वेशनल और जेनेटिक डेटा को एक साथ मिलाकर अध्ययन किया ताकि इसका आधार व्यापक हो.

धूम्रपान और कोविड-19 के कारण गंभीर स्थिति के बीच क्या संबंध है, यह पता लगाने के लिए जनवरी से अगस्त 2020 के बीच प्राइमरी केयर रिकॉर्ड, कोविड-19 टेस्ट के नतीजे, अस्पताल में भर्ती होने वालों का डेटा और मृत्यु प्रमाणपत्र आदि से जुड़े 4,21,469 प्रतिभागियों के डाटा का इस्तेमाल किया गया.

डेटा यूके बायोबैंक से जुटाया गया—जो ब्रिटेन में चलने वाला एक विशाल, दीर्घकालिक अध्ययन है और रोगों के पनपने के पीछे आनुवंशिक और पर्यावरणीय जोखिम से जुड़ी वजहों का पता लगाने के लिए किया जा रहा है.

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अध्ययन अवधि के दौरान 13,446 (3.2 फीसदी) लोगों ने कोविड-19 टेस्ट कराया और उनमें से 1,649 (0.4 प्रतिशत) पॉजिटिव पाए गए थे.

इनमें से 968 (0.2 प्रतिशत) को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ी और 444 (0.1 प्रतिशत) की संक्रमण के कारण मौत हो गई.


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धूम्रपान करने वालों की स्थिति बिगड़ने का खतरा 80% अधिक है

अध्ययन में शामिल कुल 4,21,469 प्रतिभागियों में से एक तिहाई से अधिक—करीब 37 प्रतिशत—पूर्व में धूम्रपान करते रहे थे जबकि 59 प्रतिशत ने कभी धूम्रपान नहीं किया था. केवल 4 प्रतिशत लोग ऐसे थे जो मौजूदा समय में धूम्रपान कर रहे थे.

मौजूदा समय में धूम्रपान करने वालों में से 71 प्रतिशत हल्के या मध्यम स्तर पर धूम्रपान करने वाले थे जो एक दिन में 1 से 19 सिगरेट पीते थे. लगभग 29 प्रतिशत जबर्दस्त धूम्रपान करने वाले थे और एक दिन में 20 से अधिक सिगरेट पीते थे.

टीम ने अपने विश्लेषण में पाया कि जिन लोगों ने कभी धूम्रपान नहीं किया था, उनकी तुलना में मौजूदा समय में धूम्रपान करने वालों के भर्ती होने की संभावना 80 प्रतिशत अधिक है और कोविड से मौत होने का जोखिम भी काफी ज्यादा है.

उन्होंने यह भी पाया कि धूम्रपान के लिए आनुवंशिक प्रवृत्ति (जेनेटिक मेकअप के आधार पर अधिक संभावना) संक्रमण के मामलों में जोखिम 45 प्रतिशत बढ़ाने और कोविड-19 के लिए अस्पताल में भर्ती होने की संभावना 60 प्रतिशत से अधिक बढ़ाने से जुड़ी थी.

वहीं, अत्यधिक धूम्रपान करने की आनुवंशिक प्रवृत्ति संक्रमण का जोखिम दोगुना से अधिक बढ़ाने, अस्पताल में भर्ती होने का जोखिम पांच गुना से अधिक बढ़ाने और वायरस के कारण मृत्यु का खतरा 10 गुना बढ़ाने से जुड़ी पाई गई है.

इंपीरियल कॉलेज लंदन के एंथनी लावर्टी और क्रिस्टोफर मिलेट ने एक साथ संपादकीय में लिखा, ‘यह तर्क कि तंबाकू का धूम्रपान करना कोविड-19 से बचाने में कारगर हो सकता है, हमेशा से ही निराधार था.’

उन्होंने कहा, ‘सांस से जुड़ी एक महामारी के इस दौर को सामूहिक तौर पर तंबाकू नियंत्रण पर ध्यान केंद्रित करने के लिए उपयोग किया जाना चाहिए.’

कोविड और धूम्रपान पर पहले भी हुए शोध

अध्ययन के शोधकर्ताओं के मुताबिक, मौजूदा वैज्ञानिक साक्ष्यों में इस बात को लेकर विरोधाभास पाया गया है कि क्या धूम्रपान की वजह से कोविड संक्रमण की स्थिति और गंभीर होने की खतरा है.

उदाहरण के तौर पर मई 2020 में प्रकाशित चीन के एक अध्ययन में पाया गया कि देश में कोविड के मरीजों के बीच धूम्रपान करने वालों की संख्या अप्रत्याशित रूप से कम है.

इस तरह के अध्ययनों ने इस परिकल्पना के आधार पर निकोटिन थेरेपी को क्लीनिकल ट्रायल में इस्तेमाल करने को बढ़ावा दिया कि निकोटिन वायरस को फैलने से रोक सकता है.

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि मौजूदा शोध ने उनके लिए यह बात सटीक तौर पर सामने रखना सुनिश्चित किया है कि आखिर धूम्रपान और कोविड के बीच संबंध पर रिसर्च क्या स्पष्ट करती है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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