टैगबिन टेक्नोलॉजी कंपनी द्वारा डिजाइन किया गया यह शो तमिलनाडु के ओडंथुराई गांव से लेकर मेघालय के कोंगथोंग तक की सफलता और सशक्त कहानियों को पेश करता है.
दिल्ली थिएटर फेस्टिवल, महिंद्रा एक्सीलेंस इन थिएटर अवार्ड्स और भारत रंग महोत्सव जैसे कार्यक्रम राजधानी के थिएटर प्रेमियों के लिए सांस्कृतिक उत्सव से कम नहीं हैं.
13 अगस्त 1980 को मुस्लिम नमाजियों पर यूपी पुलिस की अंधाधुंध फायरिंग में सैकड़ों लोग मारे गये. सीएम आदित्यनाथ पुलिस को क्लीन चिट देने वाली जस्टिस एमपी सक्सेना रिपोर्ट को सार्वजनिक कर रहे हैं.
आज़ादी को 76 बरस हो गए हैं...तो वहीं, अपने वतन, आंगन को छोड़कर आए लोगों में से कुछ के मन में आज भी अपने मूल घरों को देखने की एक आस बची है...तो कुछ उस मंज़र को याद भी नहीं करना चाहते.
विशाखापत्तनम और हैदराबाद में सैकड़ों उबर सुरक्षा एजेंट पूरे भारत में सवारियों और ड्राइवरों की बात सुनकर उनकी शिकायतों, विवादों और आपात स्थितियों से निपटने में चौबीसों घंटे उनकी मदद कर रहे हैं.
हिंसा में मारे गए लोगों में दो होम गार्ड, दो बजरंग दल के सदस्य और एक हलवाई शामिल थे. परिवार अभी भी सदमे में हैं और अपने परिवार के सदस्य को खोने के दुख से उबरने की कोशिश कर रहे हैं.
डॉक्टरों और इंजीनियरों की जगह अब आईपीएस, आईएएस अधिकारियों ने ले ली है, उनकी यात्रा और संघर्ष स्क्रीन पर छाए रहते हैं, चाहे वह मीम्स के माध्यम से हो या फिल्मों के माध्यम से.
भट्टा बस्ती बदल गई है - हवा संदेह और भय से भरी हुई है. 'अगर कोई मुझे रोके और मुझे वहीं मार डाले तो क्या होगा? एक मुस्लिम का कहना है, 'मैं अपनी दाढ़ी हटा सकता हूं.'
स्थानीय लोगों का दावा है कि 31 जुलाई की सांप्रदायिक हिंसा के बाद शुरू हुआ विध्वंस अभियान नूंह में मुसलमानों को सबक सिखाने के लिए था. इससे पहले भी दूसरे राज्यों में इस तरह का पैटर्न देखा जा चुका है.
कुछ मुस्लिम परिवारों का दावा है कि हिरासत में लिए गए उनके बेटे और भाई 18 साल से कम उम्र के हैं और पुलिस ने विशेष रूप से उनके समुदाय के पुरुषों पर ही कार्रवाई की है.