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सोमवार, 9 जून, 2025
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वाराणसी से वड़ोदरा — भारत के छोटे शहरों में लिव-इन जोड़े कैसे करते हैं चुनौतियों का सामना

जैसे-जैसे लिव-इन रिलेशनशिप बढ़ रहे हैं. वैसे-वैसे ही सामाजिक दबाव भी बढ़ रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने अधिकारों का विस्तार किया है, लेकिन उच्च न्यायालयों, वैधानिक निकायों, राजनेताओं की ओर से इसका विरोध हुआ है.

पाठक को क्या पसंद है: हिंदी के लेखकों के लिए उनके पाठक कितने ज़रूरी?

यह विचार बैठकी 75 मिनट से अधिक समय तक चली. इसने कई मुद्दों को छुआ — पाठकों की परिभाषा, बाज़ार की ताकतें और साहित्यिक मूल्य और पाठक लेखकों से क्या चाहते हैं.

आख़िरी ईमेल, लंबे ब्रेक, बगीचे में टहलना — मौलाना आज़ाद एजुकेशन फाउंडेशन में कैसे गुज़र रहे हैं दिन

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और केंद्रीय वक्फ परिषद मौलाना आज़ाद एजुकेशन फाउंडेशन पर लगाम लगाना चाहते हैं, लेकिन यह ‘अप्रचलित’ लेबल को स्वीकार नहीं करेगा.

योगी के बायोग्राफी लेखक ने कैसे भारत के युवाओं को मोदी को वोट देने की ‘101 वजहें’ दी हैं

शांतनु गुप्ता की ‘मोदी को वोट देने की 101 वजहें’ प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल (दूसरे) के आखिरी दशक का गुणगान करती है और इसका टार्गेट पहली बार वोट देने वाले मतदाता हैं.

‘पार्टी सोसायटी’ से ‘बाहुबली’ सोसायटी तक – बंगाल बदला, फिर भी वामपंथ से TMC शासन तक एक जैसा ही रहा

वाम मोर्चा शासन के दौरान, पार्टी का नियंत्रण अधिक और पैसे की राजनीति कम थी. अब स्थिति उलट गई है और टीएमसी के बाहुबली गांवों में कारोबार व शहरों में सिंडिकेट चला रहे हैं.

न लाभ और न ही सवारी: जयपुर, आगरा, लखनऊ जैसे शहरों के लिए मेट्रो कैसे है सिर्फ एक स्टेटस सिंबल

जयपुर मेट्रो का यात्री संख्या डेटा बुनियादी सवाल उठाता है कि क्या भारत के छोटे शहरों को ऐसे महंगे परिवहन व्यवस्था की सच में ज़रूरत है.

असम में ‘ग्रेनेड पर रतालू’, समीर बोर्डोलोई और उनके Green Commando ने कैसे खेती को फिर से जीवित कर दिया

समीर बोर्डोलोई के असम फूड फॉरेस्ट ने बांस के पेड़ लगाकर हाथियों को वापस जंगल में ला दिया है. वे अब गांव के धान के खेतों को नहीं रौंदते.

एक साल बाद, कलाक्षेत्र आज भी वैसा है, ‘आक्रामक व्यंग्य’, POSH पैनल गठित पर कोई छात्र नहीं

चेन्नई में कलाक्षेत्र फाउंडेशन में चार कर्मचारियों के खिलाफ छात्राओं के यौन उत्पीड़न के आरोपों के एक साल बाद, कैंपस अभी भी ‘ध्रुवीकरण की राजनीति’ कर रहा है.

‘चांदनी चौक, लेकिन एसी के साथ’ — ओमेक्स मॉल पुरानी दिल्ली में सबसे नई चीज़ है

इसकी रत्नजड़ित मेहराबें और छतें सीधे तौर पर मुगल-ए-आज़म के नृत्य वाले सीन — अतीत की एक बॉलीवुड कल्पना — से मेल खाती हैं.

‘बस्तर से अनुच्छेद 370’ तक — बॉलीवुड में प्रोपेगेंडा फिल्में BJP की ताकत को बढ़ा रही हैं

जैसे-जैसे देश आम चुनाव की ओर बढ़ रहा है, अधिक प्रोपेगेंडा फिल्में आने वाली हैं: ‘एक्सीडेंट या कॉन्सपिरेसी: गोधरा’, ‘साबरमती रिपोर्ट’ और ‘इमरजेंसी’.

मत-विमत

श्रीनगर की ट्रेन याद दिलाती है—कश्मीर की हिफाज़त लौहे और पत्थर से हुई, ऐसे ही सैनिक पहुंचे

लेकिन भारत के लिए असली संघर्ष कश्मीर की जनता को भारत के लक्ष्यों में सुरक्षित, समृद्ध सहयोगी बनाने का है. नई ट्रेन की हर एक यात्रा हमें इस उद्देश्य के निरंतर करीब लाती जाएगी.

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राजनीति

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महाराष्ट्र: पुणे स्थित अपने घर में चिकित्सक ने की आत्महत्या

पुणे, नौ जून (भाषा) पुणे में एक प्रतिष्ठित अस्पताल के 28 वर्षीय कनिष्ठ चिकित्सक ने अपने घर पर कथित तौर पर आत्महत्या कर ली।...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.