दिल्ली के आईआईसी में एक व्याख्यान के दौरान जेएनयू की प्रोफेसर आर महालक्ष्मी ने कहा कि समय के साथ सात्विक और तामसिक जैसे शब्दों के अर्थ बदल गए हैं. अब ‘हम सिर्फ भोजन को ही नहीं बल्कि खाने वालों को भी देख रहे हैं’.
हिंदी साहित्य में प्रेमचंद, निराला और निर्मल वर्मा जैसे महान लेखकों का बोलबाला है. ओमप्रकाश वाल्मीकि और तुलसीराम जैसी दलित-बहुजन आवाज़ों ने यथास्थिति को हिलाकर रख दिया, लेकिन अभी भी एक नए सिद्धांत की कमी है.
1970 के दशक में उर्दू बाज़ार में 50 से ज़्यादा किताबों की दुकानें थीं, लेकिन अब सिर्फ 5 ही बची हैं. बाज़ार अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है. यह उर्दू प्रिंटिंग, प्रकाशन और कविताओं के युग का आखिरी दौर है.
फरीदाबाद में गौरक्षकों द्वारा मारे गए 12वीं के छात्र आर्यन मिश्रा के पिता ने कहा कि गौरक्षा के नाम पर अवैधता बंद होनी चाहिए. आरोपी अनिल कौशिक से मिलने के बाद उन्होंने कहा, ‘मैं इसका समर्थन नहीं करता’.
हरियाणा के हंसवास खुर्द गांव में गोमांस खाने के आरोप में भीड़ द्वारा 25-वर्षीय युवक की पीट-पीटकर हत्या किए जाने के बाद साथी प्रवासी मज़दूरों ने असम और बंगाल लौटने का फैसला किया है. ‘पुलिस हमें यहां कब तक बचा सकती है?’
गाजियाबाद के मोरटी गांव में माता-पिता से लेकर स्टूडेंट्स तक — आंगनवाड़ी केंद्र संख्या 1 और 2 पर लगे डिजिटल बोर्ड के बारे में अधिक जानना चाहते हैं जो उनसे बातें करता है.
छात्रा ने दावा किया कि 33-वर्षीय कौशिक 7 महीने से अधिक समय से उनका पीछा कर रहा था और उन्हें परेशान कर रहा था. उसका फैकल्टी और महिलाओं के साथ झगड़ा करने का इतिहास रहा है और उसे कई बार अनुशासनात्मक चेतावनी भी मिली थी.
कर्नाटक में जीआई टैग ने मैसूर सिल्क की मांग इतनी बढ़ा दी है कि आपूर्ति नहीं हो पा रही है और बिहार से जर्दालू आम का पहली बार 2021 में निर्यात किया गया, लेकिन ऐसी स्थिति सभी उत्पादों की नहीं है.
भारत में सांप के काटने को ज़्यादातर ग्रामीण, गरीब लोगों की समस्या मानकर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है. हालांकि, आंकड़ा चौंका देने वाला है, लेकिन कहानी पौराणिक कथाओं, अंधविश्वास और सार्वजनिक स्वास्थ्य के खस्ताहाल ढांचे में लिपटी है.
दुलत जब आईबी में थे, तब उन्होंने कश्मीर में काम किया था और फारूक अब्दुल्ला के साथ उनके करीबी संबंध थे. तब से दिल्ली ने गुप्त वार्ता के लिए उनका इस्तेमाल किया है.