छत्तीसगढ़ में दो चरणों में सात नवंबर और 17 नवंबर को मतदान हुआ था. मध्य प्रदेश में 17 नवंबर, राजस्थान में 25 नवंबर और तेलंगाना को 30 नवंबर को वोट डाले गए थे. मिजोरम में सात नवंबर को मतदान हुआ था. इन सभी राज्यों में मतगणना तीन दिसंबर को होगी.
मौजूदा कांग्रेस और उसकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी भाजपा दोनों ही कई तरह की मुफ्त सुविधाएं दे रहे हैं. कुछ मतदाताओं ने इस कदम का स्वागत किया है, तो कुछ का कहना है कि इसका उद्देश्य केवल चुनाव है.
राजस्थान में इक्का-दुक्का शायद ही कोई मिलेगा जो अशोक गहलोत की बुराई करता हो. बीजेपी के परंपरागत वोटर भी आपको पहले यही बतायेंगे कि `काम तो किया है` और इसके बाद उसी सुर में ये भी जोड़ते मिलेंगे कि `लेकिन राज्य में सरकार तो पलटेगी`.
राजस्थान के केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता गजेंद्र सिंह शेखावत ने अपने परिवार के साथ जोधपुर में वोट डाला. राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे ने भी अपना वोट डाला.
केंद्रीय मंत्री और राज्य नेता गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि 'मैंने कभी सीएम बनने के बारे में नहीं सोचा.' उन्होंने राजस्थान भाजपा में विद्रोह से इनकार किया और 'तुष्टिकरण की राजनीति' पर गहलोत सरकार पर निशाना साधा.
वीरेंद्र सिंह के खिलाफ जेजेपी उम्मीदवार के रूप में खड़ी रीता सिंह चौधरी का कहना है कि उन्होंने 'लोगों और उनके मुद्दों के लिए एक स्टैंड लिया है.' करीबी सहयोगी का कहना है कि ससुराल वालों ने उन्हें राजनीति में आने से रोका था.
अलवर ग्रामीण से मैदान में उतरीं मीना कुमारी ने पूर्व विधायक जयराम जाटव को एक 'अंधविश्वासी व्यक्ति' बताया, उन्होंने हमेशा उन्हें 'खराब किस्मत' वाली कह कर प्रताड़ित किया था. उनका कहना है कि उनका मकसद वोट काटना है.
यह समझ से परे है कि भाजपा जब भारत की सबसे मज़बूत पार्टी की स्थिति में है, तब वह जाति जनगणना जैसे विघटनकारी कदम को क्यों उठाए. अगर राहुल गांधी जैसे विपक्षी नेता ऐसी विघटनकारी राजनीति करते हैं, तो बात समझ में आती है. वे भाजपा के राजनीतिक प्रभुत्व को तोड़ने के लिए बेताब हैं, लेकिन भाजपा क्यों?