इस विषय में दिप्रिंट ने एम. फिल से जुड़े कई छात्रों से बात की और सबने इसे समाप्त किए जाने को लेकर नाकारात्मक राय दी. हालांकि, इस पर शिक्षा मंत्रालय और यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन के अपने तर्क हैं.
स्कूलों के नई शिक्षा नीति को लागू करने का कोई तरीका समझने से पहले ही अभिभावकों ने इस पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं, जबकि विशेषज्ञ इस बात पर बंटे हैं कि यह कदम फायदेमंद है या नहीं.
दिल्ली के शिक्षा मंत्री के मुताबिक नई नीति सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने की बात से भागती है और प्राइवेट स्कूल को बढ़ावा देती नज़र आती है. उन्होंने कहा, 'पॉलिसी में 'प्राइवेट फिलेंथ्रोपिक शिक्षा' को बढ़ावा देने की बात है.'
नई शिक्षा नीति के तहत साल में दो बार बोर्ड परीक्षा कराने का प्रस्ताव है जिससे बच्चों पर एक साल की पढ़ाई के बाद सीधे एक परीक्षा में जाने का भार कम हो सके.
केंद्रीय सूचना एव प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, 'पीएम मोदी की अध्यक्षता में आज मंत्रिमंडल ने नई शिक्षा नीति को अनुमति दी. पिछले 34 सालों में शिक्षा के क्षेत्र में ये बड़ा बदलाव है.'
इसके पहले आरएसएस समर्थित एसएसयूएन ने कहा कि अरुंधती रॉय का 'राष्ट्र विरोधी भावना' को बढ़ावा देने वाला भाषण तत्काल प्रभाव से कालीकट यूनिवर्सिटी में बी.ए. अंग्रेज़ी साहित्य की किताब से हटाया जाए.
23 लाख शिक्षक सदस्यों वाले अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने चिंता जताते हुए कहा है कि गांवों में प्राथमिक स्कूल के 15-20 प्रतिशत बच्चों को ही ऑनलाइन शिक्षा मिल रही है. केंद्रीय शिक्षा मंत्री से स्कूल खोलने की अपील की गई है.
यह समझ से परे है कि भाजपा जब भारत की सबसे मज़बूत पार्टी की स्थिति में है, तब वह जाति जनगणना जैसे विघटनकारी कदम को क्यों उठाए. अगर राहुल गांधी जैसे विपक्षी नेता ऐसी विघटनकारी राजनीति करते हैं, तो बात समझ में आती है. वे भाजपा के राजनीतिक प्रभुत्व को तोड़ने के लिए बेताब हैं, लेकिन भाजपा क्यों?