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Thursday, 28 March, 2024
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गांवों में 15-20 % बच्चों तक ही ऑनलाइन शिक्षा की पहुंच, खोले जाएं स्कूल: एआईपीटीएफ

23 लाख शिक्षक सदस्यों वाले अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने चिंता जताते हुए कहा है कि गांवों में प्राथमिक स्कूल के 15-20 प्रतिशत बच्चों को ही ऑनलाइन शिक्षा मिल रही है. केंद्रीय शिक्षा मंत्री से स्कूल खोलने की अपील की गई है.

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नई दिल्ली: 23 लाख सदस्यों वाले अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ (एआईपीटीएफ) ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) से स्कूल खोलने की अपील है. एआईपीटीएफ का कहना है कि ग्रामीण परिवेश में महज़ 15-20 प्रतिशत बच्चों को ही ऑनलाइन शिक्षा मिल पा रही है, ऐसे में सभी नियमों का ख़्याल रखते हुए हर क्लास में 8-10 बच्चों के साथ स्कूल शुरू किए जाएं.

ऑनलाइन शिक्षा तक पहुंच और अन्य चुनौतियों को लेकर एमएचआरडी मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को लिखे गए इस पत्र में संघ ने मंत्रालय द्वारा लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन शिक्षा को लेकर उठाए गए कदमों की तारीफ़ की है. लेकिन साथ ही कहा है कि ऑनलाइन शिक्षा के फ़ायदे से ज़्यादा नुकसान है. एआईपीटीएफ ने जानकारी दी कि उन्होंने वेबीनार के जरिए 24 राज्यों के अपने एफिलिएट् से वेबीनार के जरिए ऑनलाइन शिक्षा की स्थिति का पता लगाया.


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चिट्ठी में एआईपीटीएफ ने लिखा है, ‘हमें पता लगा की शहरों के 30-40 प्रतिशत बच्चों की तुलना में गांवों में महज़ 15-20 प्रतिशत प्रथामिक स्कूल के बच्चों को ही ऑनलाइन शिक्षा का लाभ मिल पा रहा है. विशेषज्ञों ने बच्चों के ऊपर ऑनलाइन शिक्षा के दुष्प्रभाव को लेकर भी चिंता जताई है. इसलिए हमारी अपील है कि प्राथमिक के बच्चों के लिए शिक्षा के इस माध्यम को तुरंत रोक दिया जाए.’

एआईपीटीएफ की सीनियर वाइस प्रेसिडेंट गीता पांडे ने फ़ोन पर दिप्रिंट से कहा, ‘हमारी मांग है कि ऑनलाइन शिक्षा के बजाए कोविड- 19 से सुरक्षा के सभी उपायों का पालन करते हुए हर क्लास में 8-10 बच्चों के साथ स्कूल शुरू किए जाएं.’ एआईपीटीएफ का ये भी कहना है कि जिन स्कूलों को क्वारेंटीन सेंटर के तौर पर इस्तेमाल किया गया उन्हें डिसइंफे़क्ट किया जाए. ताकि खोले जाने के बाद ये जगहें छात्रों और शिक्षकों के लिए ख़तरा मत रहें. चिट्ठी में लिखा है, ‘सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करने लायक जगह, हाथ धोने के साधन और शौचालय की कमी जैसी समस्याओं का भी निवारण किया जाए.’

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ऑनलाइन शिक्षा से जुड़ी ट्रेनिंग को लेकर इन शिक्षकों का कहना है कि इनके पास ना तो स्मार्टफ़ोन होते हैं और ना ही इंटरनेट, ऐसे में किसी तरह की ट्र्रेनिंग से पहले इन्हें संसाधन मुहैया कराए जाए. ताकि ये ऑनलाइन शिक्षा को बेहतर तरीके से दे सकें. इन सबके अलावा एआईपीटीएफ का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान राशन, खाना बांटने से लेकर अन्य कार्यों में शिक्षकों ने कोरोना वरियर की भूमिका निभाई है, ऐसे में उन्हें भी 50 लाख़ का बीमा मिलना चाहिए.

चिट्ठी में कई राज्यों में शिक्षकों को 4-5 महीने की तनख्वाह नहीं मिलने को लेकर भी चिंता जताई गई है. केंद्र और राज्य सरकारों से जल्द से जल्द शिक्षकों को सैलरी देने की मांग की गई है. एआईपीटीएफ के अध्यक्ष रामपाल सिंह ने कहा कि शिक्षा मंत्री निशंक को ये चिट्ठी मेल के जरिए भेजी गई है. लेकिन अभी तक वहां से कोई जवाब नहीं आया है.

वहीं, दिप्रिंट को भी शिक्षा मंत्रलाय से इस विषय में कोई जवाब नहीं मिला, जवाब मिलने पर स्टोरी को अपडेट किया जाएगा.

आपको बता दें कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने छात्रों के परिवार वालों से इस बारे में सलाह मांगी है कि अगस्त, सितंबर या अक्टूबर में से किस समय स्कूल खोल जाएं.

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