यह उथल-पुथल केवल यूपीएससी कोचिंग संस्थानों तक ही सीमित नहीं है. सैलरी नहीं मिलने और कटौती की वजह से सैकड़ों शिक्षकों के इस्तीफा देने के बाद FIITJEE ने अब 8 सेंटर बंद कर दिए हैं.
FIITJEE प्रबंधन ने अभी तक बढ़ते संकट पर सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है, क्योंकि शिक्षकों द्वारा बकाया भुगतान न किए जाने का आरोप लगाते हुए सामूहिक इस्तीफे के कारण इसके कई केंद्र बंद हो गए हैं. अब तक 2 एफआईआर दर्ज की गई हैं.
जानकारी मिली है कि मेरठ, गाजियाबाद, लखनऊ, वाराणसी, भोपाल, पटना और दिल्ली में सेंटर बंद हो गए हैं. पैरेंट्स ने जवाबदेही और रिफंड की मांग करते हुए पुलिस से संपर्क किया है.
कामकोटि ने पिछले हफ्ते गौमूत्र के औषधीय लाभों को फायदेमंद बताया और बाद में दावा किया कि इसके ‘वैज्ञानिक प्रमाण’ हैं. आईआईटी मद्रास के लोगों का कहना है कि उनके यकीन ने कभी भी शिक्षाविदों को परेशान नहीं किया.
प्रशांत किशोर कथित पेपर लीक को लेकर दिसंबर में आयोजित प्रीलिम्स परीक्षा को रद्द करने की मांग कर रहे बीपीएससी एस्पिरेंट्स के समर्थन में 2 जनवरी से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर थे.
पूरे राज्य में छात्र संगठनों और राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं द्वारा सड़क और रेल यातायात बाधित किए जाने के कारण विरोध प्रदर्शन तेज़ हो गया है. एस्पिरेंट्स के एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को बिहार के मुख्य सचिव से मुलाकात की.
बीपीएससी ने व्यापक स्तर पर प्रश्नपत्र लीक होने के प्रदर्शनकारियों के आरोपों को ‘अफवाह’ बताते हुए खारिज कर दिया है. साथ ही, पटना के बापू नगर केंद्र पर परीक्षा देने वाले एस्पिरेंट्स के लिए फिर से परीक्षा लेने का आदेश दिया है.
कई आईआईटी इस वर्ष भर्तियों में मजबूत उछाल को स्वीकार करते हैं, जिसमें शुरुआती चरण में पीएसयू की भी अधिक भागीदारी है. हालांकि, छात्रों का कहना है कि औसत वेतन काफी हद तक स्थिर है.
स्पेस और संसाधनों की कमी से मार्गदर्शन और शोध पर्यवेक्षण जैसी समर्थन सेवाएं प्रदान करने की क्षमता पर असर पड़ेगा, स्टाफ और छात्रों ने चिंता जताई. DU प्रशासन का कहना है कि इस समय कॉलेजों के पास आवश्यक सुविधाएं हैं.
प्रोफेसर गोपाल दास की शिकायत के बाद नवंबर में कर्नाटक सरकार की अगुवाई वाली जांच में आईआईएम-बी प्रबंधन पर भेदभाव का आरोप लगाया गया था। संस्थान का कहना है कि प्रोफेसर की पदोन्नति रोके जाने के बाद आरोप सामने आए.
यह समझ से परे है कि भाजपा जब भारत की सबसे मज़बूत पार्टी की स्थिति में है, तब वह जाति जनगणना जैसे विघटनकारी कदम को क्यों उठाए. अगर राहुल गांधी जैसे विपक्षी नेता ऐसी विघटनकारी राजनीति करते हैं, तो बात समझ में आती है. वे भाजपा के राजनीतिक प्रभुत्व को तोड़ने के लिए बेताब हैं, लेकिन भाजपा क्यों?