जहां सरकार फर्जी स्कूल बोर्ड की पहचान करने के लिए एक मैकेनिज्म पर काम कर रही है, वहीं दिप्रिंट ने अपने स्तर पर पड़ताल की कि ये संस्थान किस तरह से काम करते हैं.
इंजीनियरिंग कोर्स के लिए न्यूनतम फीस 68,000 रुपये सालाना तय की है. जबकि तीन और चार साल के प्रोग्राम की अधिकतम फीस 1.4 से लेकर 1.8 लाख रुपये सालाना निर्धारित की गई है.
शैक्षणिक परिसरों के फिर से खुलने के साथ, बायजूस और अनएकेडमी जैसे एडटेक प्लेटफॉर्म को बदलाव के लिए मजबूर होना पड़ा है. लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि ई-लर्निंग जगत में अभी काफी कुछ बाकी है.
एक तरफ निजी स्कूल के छात्र सीयूईटी के क्रैश कोर्स में दाखिला लेने के लिए स्कूल छोड़ रहे हैं वहीं दूसरी तरफ जो छात्र इन कोचिंग सेंटरों का खर्चा नहीं उठा सकते, नुकसान में रहने की बात कह रहे हैं.
उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत का कहना है कि यह योजना 'भारतीय ज्ञान परंपरा' और 'मातृभाषा' को बढ़ावा देने वाली राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप है.
प्रो. शांतिश्री धुलीपुडी पंडित ने यह भी कहा कि जेएनयू में पैसों की गंभीर रूप से तंगी है, जिसके लिए उन्होंने अपने पूर्ववर्तियों को दोषी ठहराया. उन्होंने इस बात की भी उम्मीद जताई कि इस साल जेएनयूएसयू चुनाव होंगे.
तकनीकी शिक्षा के इस नियामक ने पिछले महीने घोषणा की थी कि वह संस्थानों को 'मेधावी बच्चों' की श्रेणी के तहत दो सीटों का प्रावधान करने की अनुमति देगा. यहां पेश हैं वे मानदंड हैं जो उसने इस बारे में जारी किए हैं.
रिसर्च इंटर्नशिप्स के लिए गाइलाइंस दी गई हैं जो एनईपी के तहत ग्रेजुएशन के लिए अनिवार्य हैं. ये उन छात्रों के लिए भी जरूरी हैं जो 1 या 2 साल के बाद सर्टिफिकेट या डिप्लोमा कर के ही छोड़ना चाहते हैं.
मोदी सरकार की तीसरी पारी में बदली हुई वास्तविकता उस पुराने सामान्य दौर की वापसी होगी, जब बहुमत वाली सरकारों को भी बेहिसाब बहुचर्चित बगावतों का बराबर सामना करना पड़ता था.