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Wednesday, 24 April, 2024
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DU के BR आंबेडकर कॉलेज की थिएटर सोसाइटी को उर्दू नाम हटाने के लिए किया गया मजबूर? प्रिंसिपल का इनकार

इस कॉलेज की थिएटर सोसाइटी, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसका खुलासा रखा गया था, को प्रिंसिपल द्वारा दिए गए मौखिक आदेश के बाद सोमवार को कथित तौर पर 'आरम्भ' का नाम दे दिया गया था.

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नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय से सम्बद्ध बी.आर. अंबेडकर कॉलेज के कुछ छात्रों ने आरोप लगाया है कि उनके प्रिंसिपल ने उन्हें अपने थिएटर सोसाइटी का नाम बदलने के लिए मजबूर किया क्योंकि वह पहले उर्दू में था. मगर प्रिंसिपल आर.एन. दुबे ने इस आरोप का खंडन किया है.

कॉलेज थिएटर सोसाइटी, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसका नाम पहले ‘इल्हाम (रहस्योद्घाटन या खुलासा)’ रखा गया था, को सोमवार को कथित तौर पर ‘आरम्भ’ नाम दिया गया है.

कॉलेज के तीसरे वर्ष के छात्र और इसी थिएटर सोसाइटी के एक सदस्य ने कहा, ‘कुछ महीने पहले हुई एक बैठक में, हमें हमारे प्रिंसिपल द्वारा हमारे थिएटर सोसाइटी का नाम बदलने के लिए कहा गया था क्योंकि यह उर्दू में था. उस समय, हमने इस चर्चा पर कोई ज्यादा ध्यान नहीं दिया, लेकिन करीब दो हफ्ते पहले, प्रिंसिपल साहब के साथ हमारी एक और बैठक हुई, जिसमें हमें बताया गया कि नाम नहीं बदले जाने पर हमारी थिएटर सोसाइटी बंद कर दी जाएगी और हमें (कॉलेज से) कोई फंड भी नहीं मिलेगा.‘

दिप्रिंट से बात करते हुए, प्रिंसिपल दुबे ने इन आरोपों से इनकार करते हुए कहा, ‘हमारे किसी भी सोसाइटी का इस तरह का नाम नहीं हैं.’

उन्होंने कहा, ‘सांस्कृतिक सोसाइटीज को उनके कला की प्रकृति के नाम से जाना जाता हैं, जैसे रंगमंच सोसाइटी, नृत्य सोसाइटी, संगीत सोसाइटी इत्यादि. उनमें से किसी का भी कोई विशिष्ट नाम नहीं है… इसलिए मेरे द्वारा नाम बदले जाने या छात्रों पर कुछ भी थोपने की कोशिश करने का कोई सवाल ही नहीं है.’

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उन्होंने कहा कि उन्होंने न तो किसी सोसाइटी को बंद किये जाने न ही उसकी फंडिंग रोकने की कोई धमकी दी है. उन्होंने कहा, ‘हमारे कॉलेज में सभी सोसाइटीज स्टाफ काउंसिल (कर्मचारी परिषद) द्वारा स्वीकृत होती हैं और उन्हें ही हम मान्यता देते हैं.’

अली फ़राज़ रेज़वी, जिन्होंने इसी साल बी.आर.अंबेडकर कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की है और इस थिएटर सोसाइटी के संस्थापक सदस्य थे, ने कहा, ‘ जब प्रिंसिपल ने हमें इसी साल कुछ समय पहले अपनी सोसाइटी का नाम बदलने के लिए कहा था, तो मैं उस बैठक में मौजूद था. हमने उस समय इसे नजरअंदाज कर दिया था. अब मेरे जूनियर मुझसे कह रहे हैं कि उन्होंने नाम न बदले जाने पर सोसाइटी के फंड में कटौती करने की धमकी दी है.‘


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छात्रों के लिए, छात्रों के द्वारा

दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में रंगमंच, संगीत, कला, वाद-विवाद और साहित्य के लिए छात्रों के नेतृत्व वाली सोसाइटीज की एक पुरानी परंपरा रही है, जहां संकाय सदस्य संयोजक और समन्वयक के रूप में शामिल जरूर होते हैं, लेकिन बाकी सब कुछ – बजट और गतिविधियों की योजना बनाने से लेकर नए सदस्यों के ऑडिशन तक – छात्रों द्वारा ही किया जाता है. .

एक तरफ जहां कई कॉलेज अपनी सोसाइटीज का नाम केवल कला के नाम से चुनते हैं, वहीं दूसरे अन्य कालेजों के पास इनके लिए एक समुचित नाम होता है. उदाहरण के लिए, किरोड़ीमल कॉलेज की थिएटर सोसाइटी को ‘द प्लेयर्स’ कहा जाता है, हंसराज कॉलेज की डांस सोसाइटी का नाम ‘ऊर्जा’ है, और मिरांडा हाउस की भारतीय डांस सोसाइटी ‘मृदंग’ कहलाती है.

बी.आर. अम्बेडकर कॉलेज की थिएटर सोसाइटी अपनी राजनीतिक और सामाजिक व्यंग्य प्रस्तुतियों के लिए जानी जाती है. इसका वार्षिक बजट 35,000-40,000 रुपये बताया जाता है, जो कॉलेज द्वारा प्रदान किया जाता है.

कुछ छात्रों ने दिप्रिंट को बताया कि प्रिंसिपल दुबे ने, ‘अतीत में भी कई अन्य सोसाइटीज के साथ भी छेड़छाड़ की थी’.

रेजवी ने कहा कि आर.एन. दुबे द्वारा प्रिंसिपल का पद पदभार संभालने के बाद से ‘इनायत’ (अनुग्रह) नाम वाली एक सांस्कृतिक सोसाइटी अब परिसर में सक्रिय नहीं है.

कुछ छात्र अब इस मामले पर जागरूकता बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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