उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण के निष्कर्षों के अनुसार 2014-15 के बाद से एससी, एसटी और ओबीसी छात्रों के नामांकन संख्या में वृद्धि देखी गई हैं. कुल नामांकन 2020-21 में पहली बार 4 करोड़ अंक को पार कर गया.
पूरी दुनिया के ग्रीन इकोनॉमी की तरफ बढ़ने का मतलब है कि कंपनियां ज्यादा से ज्यादा 'ग्रीन जॉब्स' की पेशकश कर रही हैं. लेकिन शिक्षाविदों का कहना है कि भारत के शैक्षणिक संस्थान अभी इस मांग को पूरा करने की स्थिति में नहीं हैं.
बजट 2022 में घोषित, नेशनल डिजिटल यूनिवर्सिटी को NEP 2020 के कुछ लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. हालांकि, यह शुरुआत में केवल डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स प्रदान करेगा.
साल 2012 में शुरू हुई, पोर्टाकैबिन स्कूल वाली पहल का उद्देश्य राज्य के आदिवासी समुदायों, ज्यादातर गोंड और हलबी, को शिक्षा प्रदान करना है. इन स्कूलों में पढ़ाई के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है.
आरटीआई और अन्य सरकारी आंकड़ों के आधार पर, पत्रकारें की रिपोर्ट से पता चलता है कि एलीट इंस्टीट्यूट्स में एसटी/एससी समुदायों के छात्रों और फेकल्टी दोनों का प्रतिनिधित्व बहुत कम है.
पाठ्यक्रम पूरा करने की दर का काफी खराब होना, छात्रों का होता मोहभंग ही स्वयं पोर्टल की पहचान हो चुका है. यह ऑनलाइन लर्निंग में बदलाव नहीं है, जिसकी सरकार उम्मीद कर रही थी.
भारत में आने वाले विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए यूजीसी के मसौदे नियमों में लिखा है कि वे 'राष्ट्रीय हित' को खतरे में डालने वाले पाठ्यक्रम नहीं पढ़ा सकते हैं. लेकिन इसका अर्थ क्या है, इसे लेकर कुछ भी साफ-साफ नहीं कहा गया है.
छात्र बिहार एसएससी की सभी पाली की परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहे थे. छात्रों का कहना था कि दूसरी और तीसरी पाली के पेपर भी लीक हुए थे इसलिए परीक्षा को पूरी तरह से रद्द कर सबको मौका मिलना चाहिए.
केवी के कुल टीचिंग स्टाफ में संविदा शिक्षकों की संख्या 20% है, लेकिन स्थायी शिक्षकों को मिलने वाला वेतन डेढ़ से चार गुना तक अधिक है. यही वजह है देश के केवी स्कूलों में पढ़ाने वाले संविदा शिक्षक नाखुश हैं.
हिंदू पीड़ित होने की धारणा मुख्य रूप से 1980 के दशक की बनाई हुई है, जिसे एलके आडवाणी ने चुनावी लाभ के लिए इस्तेमाल किया और फिर इसे बदलकर आम जनता तक पहुंचा दिया.