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Thursday, 25 April, 2024
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पुअर पे, नो जॉब सिक्योरिटी—केंद्रीय विद्यालयों में संविदा पर काम कर रहे टीचर्स की क्या हैं दिक्कतें

केवी के कुल टीचिंग स्टाफ में संविदा शिक्षकों की संख्या 20% है, लेकिन स्थायी शिक्षकों को मिलने वाला वेतन डेढ़ से चार गुना तक अधिक है. यही वजह है देश के केवी स्कूलों में पढ़ाने वाले संविदा शिक्षक नाखुश हैं.

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नई दिल्ली: शिक्षकों को राष्ट्र निर्माता और समाज का एक मजबूत स्तंभ माना जाता है. लेकिन उनमें से तमाम ऐसे हैं जिन्हें किसी भी दिन कहा जा सकता है कि उन स्कूलों की अब उनकी कोई जरूरत नहीं हैं, जहां वह सालों तक पूरी मेहनत के साथ पढ़ाते रहे हैं.

देश में केंद्र सरकार की ओर से संचालित 1,252 केंद्रीय विद्यालयों (केवी) में कार्यरत कुल 9,161 संविदा शिक्षकों को तो कभी भी इस स्थिति का सामना करना पड़ सकता है. केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) की तरफ से संसद में साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक, केंद्रीय विद्यालयों में पढ़ाने वाले कुल 47,236 टीचर्स में 20 प्रतिशत संविदा पर हैं.

दिप्रिंट ने जिन शिक्षकों से बात की, उनका यही कहना था कि वह हर तरह से अपने स्थायी समकक्षों के बराबर ही काम करते हैं लेकिन उनके पास नौकरी की कोई सुरक्षा नहीं होती है और अक्सर ही उन्हें यह भी लगता है कि उन्हें पर्याप्त अहमियत नहीं मिल रही है.

संविदा और स्थायी शिक्षकों के बीच वेतनमान में भी खासा अंतर है.

अब, जरा केवीएस की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी पर गौर करें—संविदा शिक्षक का वेतन 21,000 रुपये से 28,000 रुपये प्रति माह (प्राथमिक शिक्षकों के लिए) और 11वीं और 12वी कक्षा के शिक्षकों के लिए 27,000 रुपये से 35,000 रुपये प्रति माह है.

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तुलनात्मक रूप से देखें तो उनकी तुलना में स्थायी शिक्षकों का वेतन डेढ़ से 4 गुना तक अधिक है. केवीएस वेबसाइट के मुताबिक, स्थायी टीचर्स की बात करें तो प्राथमिक शिक्षकों को 35,400 रुपये से लेकर 1.12 लाख प्रतिमाह वेतन तक वेतन मिलता है और माध्यमिक शिक्षकों का वेतन 47,000 रुपये से 1.5 लाख रुपये तक है.

इसके अलावा, उनके लिए कोई जॉब सिक्योरिटी भी नहीं है, जिसका मतलब है कि जो टीचर्स स्थायी नहीं हैं उन्हें बिना नोटिस कभी भी बर्खास्त किया जा सकता है—पिछले साल चंडीगढ़ में एक शिक्षक को इसी तरह का अनुभव हुआ था.

उक्त शिक्षक ने दिप्रिंट को बताया, ‘जब हम यहां पढ़ाना शुरू करते हैं तब हमारे कांट्रैक्ट में साफ बता दिया जाता है कि हमारा कार्यकाल या तो शैक्षणिक सत्र के अंत तक होगा या फिर स्थायी शिक्षक के आने पर इसे खत्म किया जा सकता है. मैं तो सामान्य दिन की तरह ही स्कूल पहुंचा था लेकिन चपरासी ने मुझे बताया कि मैं रजिस्टर पर हस्ताक्षर नहीं कर सकता क्योंकि मेरी जगह स्थायी शिक्षक को रख लिया गया है. मैंने तो अचानक ही अपनी नौकरी गंवा दी और शैक्षणिक सत्र के मध्य में मुझे अपने लिए नया रास्ता खोजने के बारे में सोचना पड़ा.’

दिप्रिंट ने इस संबंध में केवीएस कमिश्नर निधि पांडे को सवालों की एक लंबी सूची भेजी लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला. प्रतिक्रिया मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.


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वेतन कम, कोई प्रशिक्षण भी नहीं

अधिकांश संविदा शिक्षकों के लिए कम वेतन स्थायी चिंता का विषय है. यद्यपि, स्थायी शिक्षकों को तो समय-समय पर वेतनवृद्धि का फायदा मिलता रहता है लेकिन संविदा शिक्षक कथित तौर पर समान वेतनमान पर ही काम करने के लिए मजबूर होते हैं.

दिल्ली के एक स्कूल में कार्यरत एक शिक्षक ने कहा, ‘हमें स्थायी शिक्षकों की तरह भत्ते नहीं मिलते और जब स्थायी शिक्षकों के वेतन में महंगाई भत्ते जैसे संशोधन होते हैं, तो संविदा शिक्षकों को इसका फायदा नहीं मिलता है. हम सालों-साल उसी वेतन पर काम करते हैं जिस पर शुरुआत की होती है.’

इसके अलावा, अवकाश संबंधी नीतियां भी संविदा शिक्षकों के लिए परेशानी की एक वजह हैं जिन्हें चाहे सर्दियां हो यां गर्मियां, स्कूल में होने वाले अवकाशों के दौरान वेतन नहीं मिलता है.

चंडीगढ़ के शिक्षक ने दिप्रिंट से कहा, ‘यह उन लोगों के लिए बड़ी समस्या है जिन पर अपना घर चलाने की जिम्मेदारी है. क्योंकि नियमित आय के अभाव में उन्हें दूसरे साधन तलाशने पड़ते हैं.’

संविदा शिक्षकों को महीने में केवल एक ही पेड लीव मिलती है.

फिर उनकी ट्रेनिंग के लिए भी उचित व्यवस्था नहीं है और इसलिए उन्हें अपने कौशल विकास का मौका नहीं मिल पाता है.

मध्य प्रदेश के गुना में एक केंद्रीय विद्यालय में कार्यरत एक शिक्षक ने दिप्रिंट को बताया, यद्यपि कांट्रैक्ट पर काम करने वाले शिक्षक भी अपने स्थायी समकक्षों के जितना ही काम करते हैं, लेकिन उनके प्रशिक्षण पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है.

उन्होंने कहा, ‘हमें सरकार की तरफ से आयोजित वर्कशाप और टीचर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम का हिस्सा नहीं बनाया जाता. यह हमें पाठ्यक्रम संबंधी ताजा बदलावों से वंचित करता है.’

केवी में शिक्षकों की रिक्तियां

नवंबर में, केवीएस ने 13,000 से अधिक स्थायी शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों के लिए विज्ञापन दिया, जिसमें स्कूल प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल तक के पद शामिल थे.

शिक्षा मंत्रालय को सौंपे गए एक नोट—जिसे दिप्रिंट ने एक्सेस किया—में संगठन ने बताया, ‘केवीएस ने 3-9 दिसंबर 2022 के संस्करण में प्रकाशन के लिए नवंबर 2022 में 13,404 शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों पर भर्ती का विज्ञापन निकाला है. केवीएस की योजना के मुताबिक लिखित परीक्षा, कौशल परीक्षा (जहां लागू हो), और साक्षात्कार के आयोजन के बाद जुलाई 2023 तक इन रिक्तियों को भरा जाना है.’

यह विज्ञापन केंद्र सरकार की तरफ से जुलाई में संसद को यह सूचित किए जाने के बाद आया है कि केंद्रीय विद्यालयों में शिक्षकों की रिक्तियां 2019 और 2022 के बीच दोगुनी हो गई हैं. शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक, जून 2022 के अंत तक रिक्तियां 2019 में 5,562 से बढ़कर 12,044 हो गईं.

विज्ञापन सैकड़ों संविदा शिक्षकों के लिए स्थायी पदों पर नियुक्ति की उम्मीद लेकर आया है. फिर भी, कुछ शिक्षक खासकर पॉलिटिकल साइंस जैसे विषय पढ़ाने वालों को आशंका है कि उन्हें इससे कोई फायदा नहीं होने वाला है.

दिल्ली केवी के एक शिक्षक ने कहा, ‘केंद्रीय विद्यालय राजनीति विज्ञान जैसे मानविकी विषयों में शिक्षकों की रिक्तियां नहीं निकालते हैं. इसलिए दो साल तक पढ़ाने के बावजूद, मेरे पास स्थायी नौकरी पाने का मौका नहीं है.’

हालांकि, कई लोग मानते हैं कि उनकी समस्याओं का उनके काम की गुणवत्ता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है.

ऊपर उद्धृत एक शिक्षक ने कहा, ‘कांट्रैक्ट पर काम करने वाले अधिकांश शिक्षक स्थायी शिक्षकों की तुलना में अधिक मेहनत करते हैं क्योंकि वे स्थायी नौकरी की गुंजाइश की स्थिति में स्कूल के साथ अपना एक अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड बनाना चाहते हैं. पूर्व में ऐसा हुआ भी है कि जिन शिक्षकों का प्रदर्शन अच्छा रहा है, तो उन्हें इसमें स्थायी शिक्षक के तौर पर शामिल कर लिया गया है.’

(अनुवाद: रावी द्विवेदी | संपादनः ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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