अमृता प्रीतम की लंबी जिंदगी में कई पड़ाव हैं. इस संसार में नए-नए और अलबेले रंग हैं, मिट्टी की खुशबू है, रिश्तों का सौंधापन है, स्मृतियों का खजाना है, यात्राओं की उत्सुकता और थकान है.
शैलेंद्र की लेखनी पूरी तरह कवि धर्मिता के अनुरूप थी. उसमें समकालीन मुद्दों की झलक थी, संघर्षों की आवाज थी, गरीबी का दर्द था, प्यार की तड़प थी और भविष्य के लिए आशा थी.
ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्मों में कहानी की खास अहमियत होती थी. चमक-दमक से इतर वो समाज के अंतर्द्वंदों, उसके व्यवहार, दैनिक जीवन को दर्शाते थे और छोटी-छोटी कहानियों को बड़ा फलक देते थे.
2005 के इस विज्ञापन ने सौंदर्य उत्पादों के विज्ञापन के लिए महिलाओं के उपयोग वाले खेल को एकदम उलट कर रख दिया था, क्योंकि इसने दर्शकों की निगाहों को महिलाओं के प्रति यौनआकर्षण के बजाय एक पुरुष पर केंद्रित कर दिया था.
एक देश बारह दुनिया, दरअसल बारह दुनियाओं की बात कहती है. इसमें भुखमरी, कुपोषण से लेकर कोठे पर काम करने वाली महिलाओं और खेल तमाशा कर जावन यापन करने वालों तक के जीवन से जोड़कर पाठक को झकझोर कर रख दिया है.
1940 में जम्मू के पुरमंडल में जन्मी पद्मा एक संस्कृत विद्वान जय देव बडू की तीन संतानों में सबसे बड़ी थी. पिता की भारत के विभाजन के दौरान मृत्यु हो गयी थी.
मजरूह सुल्तानपुरी, कैफ़ी आज़मी, साहिर लुधियानवी उस समय राष्ट्रवाद और फासीवाद विरोधी गीत लिख रहे थे, वहीं इसी प्रगतिशील ब्रिगेड के बीच अपनी कलम से एक अलग पहचान बनाने में बदायुनी सफल रहे.
इस बजट की सुर्खी बनने लायक एकमात्र बात मिडिल-क्लास को इनकम टैक्स में दी गई राहत है और सबसे साहसिक और सकारात्मक पहलू है परमाणु ऊर्जा एक्ट और ‘सिविल लायबिलिटी ऑन न्यूक्लियर डैमेज एक्ट’ में संशोधन का इरादा.