scorecardresearch
Monday, 25 November, 2024
होमसमाज-संस्कृति

समाज-संस्कृति

मौसिकी की दुनिया की सबसे मखमली आवाज़ थीं गीता दत्त

हिन्दी गीतों के क्रॉफ्ट में जो मधुरता, दर्द, चुलबुलेपन का पुट गीता दत्त लाईं, अगर वो न होतीं तो अच्छे गानों से हम महदूद हो जाते. लेकिन तकदीर ने गीता दत्त का साथ नहीं दिया और उनकी तदबीरें भी काम नहीं आईं.

‘होरी की धनिया चली गई’- कैरेक्टर एक्टिंग को एक अलग मुकाम देने वाली सुरेखा सीकरी

तमस, मम्मो और बधाई हो के लिए सुरेखा सीकरी को तीन बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला. 1989 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड भी मिला.

बालिका वधू की ‘दादी सा’ सुरेखा सीकरी का दिल का दौरा पड़ने से निधन, 3 बार जीत चुकी थीं नेशनल अवार्ड

सीकरी ने ‘तमस’, ‘मम्मो’, ‘सलीम लंगड़े पे मत रो’, ‘ज़ुबेदा’, ‘बधाई हो’ जैसी फिल्में की हैं और धारावाहिक ‘बालिका वधू’ में निभाए उनके ‘दादी सा’ के किरदार को भी काफी लोक्रपियता मिली थी.

‘सब कुछ है, पर कुछ भी नहीं रहा’- सिनेमाई पर्दे पर जीवन की पूरी ट्रेजेडी उतार देने वाले गुरु दत्त

अभिनेता और फिल्मकार गुरु दत्त का सफर अलग रास्तों से गुजरता है, बावजूद इसके रे और दत्त का सिनेमा कई मायनों में एक सी धरातल पर जान पड़ता है.

दिलीप कुमार के निधन पर बड़े नेताओं ने जताया शोक, मनमोहन ने कहा- दिलों-दिमाग पर करते रहेंगे राज

सोनिया ने उनकी पत्नी शायरा बानो को लिखे पत्र में कहा, ‘आपके पति श्री दिलीप कुमार के निधन से भारतीय सिनेमा के स्वर्णिम युग का अंत हो गया. वह आजीवन किंवदंती रहे और भविष्य में भी रहेंगे. आने वाली पीढ़ियां भी उनकी फिल्में देखेंगी.’

मुंशी प्रेमचंद की जीवनी ‘कलम का सिपाही’: बाल-विधवा कन्या की शादी की अनोखी कहानी

मुंशी प्रेमचंद की जीवनी को उनके पुत्र और लेखक अमृत राय ने लिखा है. उन्होंने लिखा है कि अपने समय को खुली आंखों देखने और निर्भय होकर अपनी राय रखने वाले प्रेमचंद इस जीवनी में हर कोण से प्रकाशित हैं.

दिलीप कुमार को राजकीय सम्मान के साथ दी गई अंतिम विदाई, पत्नी सायरा बानो की मौजूदगी में किया गया सुपुर्दे खाक

सांताक्रूज के जुहू कब्रिस्तान में दिलीप कुमार को अंतिम विदाई दिए जाने के समय तोप से सलामी दी गयी जिसके बाद उनके सम्मान में पुलिस बैंड बजाया गया.

कैसे लीडर बन गोपी, क्रांति का तराना गाते हुए संगदिल दिलीप कुमार नया दौर लिखते हुए अमर हो गए

एक लंबा सिलसिला खत्म हो गया, एक ऐतिहासिक और सर्व-समावेशी परंपरा आकर थम गई, बहुआयामी व्यक्तित्व वाली शख्सियत की खूबियां हमारे सामने से गुजरने लगी और न जाने कितनी ही दिल और दिमाग में बिखरी यादों ने सिमटकर एक मूर्त रूप ले लिया- दिलीप कुमार साहब का.

‘दिल में छुपाकर प्यार का तूफान ले चले’- ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार का 98 साल की उम्र में निधन

भारतीय सिनेमा के गोल्डन एरा के शानदार अभिनेताओं में से एक दिलीप कुमार थे. उनका बहुआयामी व्यक्तित्व था. हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी भाषाओं पर उनकी जबरदस्त पकड़ थी.

‘नारीवादी निगाह से’ देखने पर कितनी बदली हुई दिखती है ये दुनिया

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर निवेदिता मेनन अपनी किताब 'नारीवादी निगाह से' में नारीवादी सिद्धांतों की बेहद जटिल अवधारणाओं को विस्तार से बताती हैं.

मत-विमत

वीडियो

राजनीति

देश

दिल्ली के सीमापुरी पुलिस थाने में आग लगी

नयी दिल्ली, 24 नवंबर (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी के सीमापुरी पुलिस थाने में रविवार को आग लग गई जिसे बुझाने के लिए दमकल की सात...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.