इसी कड़ी में ‘हिन्दी साहित्य सम्मेलन-2024’ 27, 28 और 29 सितंबर को ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के सहयोग से देहरादून में आयोजित होगा. इस शब्दोत्सव में हिंदी साहित्य जगत की कई प्रमुख हस्तियां शिरकत करेंगी.
कवि अशोक वाजपेयी ने सांस्कृतिक अध्ययनों की महान विधाता और भारत में कला की एक प्रमुख कलाकार कपिला वात्स्यायन की स्मृति में ‘हमारी कलाएं: हमारा समाज’ व्याख्यान दिया.
पेश है दिप्रिंट का राउंड-अप कि कैसे उर्दू मीडिया ने पिछले हफ्ते के दौरान विभिन्न समाचार संबंधी घटनाओं को कवर किया और उनमें से कुछ ने इसके बारे में किस तरह का संपादकीय रुख अपनाया.
व्यवस्था के प्रति इस असंतोष ने देश के युवाओं को आंदोलित किया और आज़ादी की लड़ाई के सिपाही ‘जेपी’ ने उन्हें नेतृत्व दिया. आखिर वह दौर लंबा नहीं चल सका, लेकिन आपातकाल से हमें जो सीख लेनी चाहिए थी वो हमने नहीं ली.
पेश है दिप्रिंट का राउंड-अप कि कैसे उर्दू मीडिया ने पिछले हफ्ते के दौरान विभिन्न समाचार संबंधी घटनाओं को कवर किया और उनमें से कुछ ने इसके बारे में किस तरह का संपादकीय रुख अपनाया.
1975 में आई श्याम बेनेगल की यह फिल्म हिंसक और क्रूर है. यह एक ऐसे समाज में होने वाली हर चीज़ पर एक अडिग नज़र है, जहां निरक्षरता व्याप्त है और जमींदारों के पास सारी शक्ति है.
एक ऐसे युग में जब अधिकांश हिंदी फिल्मों में वयस्क किरदारों को नायक के रूप में दिखाया जाता था, 'बूट पॉलिश' अपने मुख्य बाल किरदारों- भोला और बेलू के साथ अलग नज़र आई.
इनके स्वर में खीज थी, क्रोध था. मैं अपने विवाहित जीवन के पहले सफ़र में ही रो पड़ी थी. उसके बाद तो मैं कभी स्टील बॉक्स की तरह जड़वत नहीं रही. हां, यह दूसरी बात है कि हमारा पूरा सैनिक जीवन काले स्टील के बक्सों में बंद होकर बंजारों सा घूमता रहा.
पेश है दिप्रिंट का राउंड-अप कि कैसे उर्दू मीडिया ने पिछले हफ्ते के दौरान विभिन्न समाचार संबंधी घटनाओं को कवर किया और उनमें से कुछ ने इसके बारे में किस तरह का संपादकीय रुख अपनाया.
मुझे कभी-कभी आश्चर्य होता है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के मंदिर के किनारे वाले सुंदर पर्दे और आकर्षक ग्राफिक तत्वों के बारे में इतना कम क्यों कहा जाता है. उन्होंने अपनी भूमिका को बहुत ही प्रभावशाली ढंग से निभाया है.