53वें भारत अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) के जूरी प्रमुख और इज़राइली फिल्मकार नदाव लैपिड ने हिंदी फिल्म ‘ द कश्मीर फाइल्स’ को ‘दुष्प्रचार करने वाली‘ और ‘भद्दी’ फिल्म बताया.
अपने स्वार्थ के नाम पर जंगलों को काटने की बात उठाने के साथ-साथ यह फिल्म उत्तर-पूर्व के लोगों में ‘बाहर’ से आने वालों के प्रति उपजे अविश्वास की बात भी करती है. फिल्म यह भी दिखाती-बताती है कि किस तरह से शहरी लोग विकास का चमकीला सपना दिखाकर गांव-जंगल में बसे लोगों को ललचाते हैं और उन्हें भी भ्रष्ट होने को प्रेरित करते हैं.
उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश की उन महिलाओं, जिनके पति की मृत्युपरांत वे निराश्रित हो गई हैं, के लिए निराश्रित महिला पेंशन योजना (1000 रुपए मासिक) के माध्यम से सभी पात्र लाभार्थियों को वर्ष 2022-23 के प्रथम त्रैमास की पेंशन राशि सीधे उनके खाते में भेजने की व्यवस्था कर दी है.
पेश है दिप्रिंट का इस बारे में राउंड-अप कि कैसे उर्दू मीडिया ने पिछले सप्ताह के दौरान विभिन्न समाचार सम्बन्धी घटनाओं को कवर किया, और उनमें से कुछ ने इसके बारे में किस तरह की संपादकीय रुख अख्तियार किया.
गीता के सन्देश के प्रचार प्रसार में डाक विभाग का भी बड़ा योगदान रहा है. 1978 में भगवद्गीता पर जारी पहले स्मारक डाक टिकट की 50 लाख प्रतियां छापी गयी थीं.
साल 1984 में अपने जवानी के दिनों में फिल्म ‘सारांश’ में 65 वर्षीय एक बुजुर्ग व्यक्ति की भूमिका निभाने वाले अनुपम खेर का मानना है कि बुजुर्ग पात्रों के बारे में अक्सर एक आम धारणा बना ली जाती है, लेकिन, ‘ऊंचाई’ फिल्म यह बताती है कि उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.