जलसाघर में कई प्रसिद्ध लेखकों ने किताब लॉन्च, हस्ताक्षर सत्र और चर्चाओं में भाग लिया. इसके अलावा, विशेष पठन सत्र आयोजित किए गए, जिसमें दर्शकों की सक्रिय भागीदारी देखी गई.
‘स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास’ के प्रमुख विषय के साथ, रंग-बिरंगी झांकी प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहरों के साथ सबसे अलग दिखी. झांकी में, उसके खंडहरों के चारों ओर बौद्ध भिक्षुओं को बैठे हुए दिखाया गया है.
इस कलाकृति को पुणे के कलाकार रोहन दाहोत्रे ने बनाया है. वेबसाइट पर कहा गया है कि परेड में दिखाए गए जीव भारत के विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं.
शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने कहा, ‘कोई भी सुरक्षित नहीं है. आम लोगों की तो बात ही छोड़िए....यहां तक कि जिन मशहूर हस्तियों के पास अपनी सुरक्षा है, वे भी सुरक्षित नहीं हैं.’
फिल्म ‘जीवन मृत्यु’ ताराचंद बड़जात्या द्वारा निर्मित एक बदला लेने वाली थ्रिलर थी, जो उस समय प्रोडक्शन हाउस द्वारा जानी जाने वाली ‘साफ-सुथरी’ पारिवारिक मनोरंजक फिल्मों से अलग थी.
तबला वादक, संगीतकार और अभिनेता ने 60 साल तक श्रोताओं को अपने संगीत से मंत्रमुग्ध किया और दुनिया भर में संगीत पर अपनी गहरी छाप छोड़ी. 73 साल की उम्र में फेफड़ों की बीमारी से जूझते हुए उनका निधन हो गया.
स्पष्ट कारणों से, अगर भारत को जानबूझकर पाकिस्तान में लाखों लोगों पर सूखा डालने वाला माना जाता है, तो अंतर्राष्ट्रीय समर्थन प्राप्त करना ज़रा मुश्किल होगा.