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बुधवार, 25 जून, 2025
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‘दादा! आपको बहुत याद करूंगा’, परिणिता, लागा चुनरी में दाग, मर्दानी के निर्देशक प्रदीप सरकार का निधन

प्रदीप लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उन्होंने शरत चंद्र चट्टोपाध्याय की 'परिणीता' के स्क्रीन रूपांतरण के साथ हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपने काम की शुरआत की थी.

‘मैं एक सक्सेसफुल, आत्मनिर्भर महिला हूं’, भूमि पेडनेकर बोलीं- बहुत मेहनत के बाद यहां तक पहुंची हूं

बॉलीवुड अभिनेत्री भूमि पेडनेकर नॉन फिल्मी बैकग्राउंड से आती हैं. दिप्रिंट से बात में नेपोटिज्म पर भूमि कहती हैं, ‘ मैं ये नहीं कह रही कि नेपोटिज्म बॉलीवुड में नहीं है लेकिन मैं ये जरूर कहूंगी कि मैंने कभी महसूस नहीं किया. लेकिन ये मेरी पर्सनल जर्नी है.’

‘मैं भारत का गौरव हूं’, द एलीफैंट व्हिस्परर्स की ऑस्कर विजेता गुनीत मोंगा ने 2010 में ये क्यों कहा था

इस महीने 95वें अकादमी अवॉर्ड्स में 'बेस्ट शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री' के लिए ऑस्कर जीतने वालीं गुनीत मोंगा ने 2010 में नॉमिनेट होने के दौरान अमेरिका पहुंचने के लिए हर संभव व्यक्ति से गुहार लगाई थी.

इंदिरा की चूक? 1971 के हीरो जनरल शाबेग सिंह कैसे बने भिंडरावाले का दायां हाथ

जब भी बांग्लादेश को अलग करने के इतिहास की चर्चा होगी, मुक्तिवाहिनी को प्रशिक्षित करने के लिए शाबेग सिंह का नाम भी लिया जाएगा. लेकिन अंत बुरा तो सब बुरा!

रानी मुखर्जी की दमदार एक्टिंग के बावजूद कहां कमज़ोर रह गया ‘मिसेज चटर्जी वर्सेस नॉर्वे’ का केस

करीब 10 बरस पहले कोलकाता की सागरिका चक्रबर्ती के साथ ऐसा ही मामला हुआ था जब उनके दोनों बच्चों को नॉर्वे की सरकार ने जबरन उनसे छीन लिया था.

खाने के शौकीन, साइकिलिस्ट और गायक पुनीत राजकुमार कन्नड़ सिनेमा के लिए बहुत कुछ थे

सैंडलवुड के लिए राजकुमार्स उसी तरह है जैसे बॉलीवुड के लिए कपूर्स हैं. लेकिन पुनीत, जिनकी मृत्यु 46 वर्ष की आयु में हुई, कई चीज़ो में माहिर थे.

इंडिया को पहले भी मिल चुका है ऑस्कर, लेकिन इस बार बात कुछ और है

इस साल मिले दोनों ऑस्कर इस मायने में खास हैं कि पहली बार किसी विशुद्ध भारतीय काम को ऑस्कर के मंच पर सराहा गया है.

ऑस्कर के लिए नंगे पैर ही गए थे राम चरण, The Elephant Whisperers से भारतीय महिलाओं ने मचाई धूम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एलिफैंट व्हिसपर्स की टीम को ऑस्कर के लिए बधाई देते हुए उनके द्वारा किये गए कार्य की सराहना भी की.

सांप्रदायिक तनाव ने पहले ही भारत की छवि को नुकसान पहुंचाया है: राहुल के कैंब्रिज भाषण पर विवाद पर उर्दू प्रेस

पेश है दिप्रिंट का राउंड-अप कि कैसे उर्दू मीडिया ने पिछले सप्ताह के दौरान विभिन्न समाचार संबंधी घटनाओं को कवर किया और उनमें से कुछ ने इसके बारे में किस तरह का संपादकीय रुख इख्तियार किया.

1967 में मुट्ठी भर कश्मीरी पंडितो द्वारा चलाया गया ‘परमेश्वरी आंदोलन’ आज भी एक मिसाल है

जब गुलाम बख्श सत्ता में आए तो उनके शिक्षा अभियान ने चौतरफा विस्तार किया. उस कारण नौजवानों की एक नई ‘पढ़ी-लिखी’ पीढ़ी तैयार हुई, जिन्हें अब जिंदगी से उम्मीदें थीं.

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भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक है आपातकाल : बीरेन सिंह

इंफाल, 25 जून (भाषा) मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने बुधवार को कहा कि 1975 में लागू किया आपातकाल भारत के लोकतांत्रिक...

लास्ट लाफ

सुप्रीम कोर्ट का सही फैसला और बिलकिस बानो की जीत

दिप्रिंट के संपादकों द्वारा चुने गए दिन के सर्वश्रेष्ठ कार्टून.