scorecardresearch
Thursday, 18 April, 2024
होमसमाज-संस्कृतिखाने के शौकीन, साइकिलिस्ट और गायक पुनीत राजकुमार कन्नड़ सिनेमा के लिए बहुत कुछ थे

खाने के शौकीन, साइकिलिस्ट और गायक पुनीत राजकुमार कन्नड़ सिनेमा के लिए बहुत कुछ थे

सैंडलवुड के लिए राजकुमार्स उसी तरह है जैसे बॉलीवुड के लिए कपूर्स हैं. लेकिन पुनीत, जिनकी मृत्यु 46 वर्ष की आयु में हुई, कई चीज़ो में माहिर थे.

Text Size:

1975 के अंत में, कन्नड़ फिल्म स्टार राजकुमार प्रेमदा कनिके की शूटिंग कर रहे थे, जिसमें एक शिशु के साथ भी उनके कुछ सूट था. शूटिंग में देरी हो रही थी क्योंकि बच्चा बीमार था, और यह दूसरे बच्चों के साथ काम नहीं कर रहा था. राजकुमार की पत्नी पार्वथम्मा भी हर दिन अपने नवजात बेटे के साथ सेट पर जाती थीं.

पर्वतम्मा ने 2014 में कन्नड़ टॉक शो वीकेंड विद रमेश में रमेश अरविंद को बताया, “उन्होंने (राजकुमार) मुझसे पूछा कि क्या वह शूटिंग के लिए पुनीत का उपयोग कर सकते हैं.” मां भी भारी मन और अनिच्छा से कुछ देर में मान गईं. और तब छह महीने के पुनीत ने अपना पहला कैमरा फेस किया जो कुछ मिनट तक चला.

17 मार्च 1975 को जन्मे पुनीत ने बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट 14 फिल्मों में काम किया. उन्होंने बेट्टाडा हूवु (1985) में रामू की भूमिका के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता, जो अपने परिवार का समर्थन करने के लिए पढ़ाई छोड़ देता है. परशुराम (1989) के बाद, किशोर अभिनेता ने 13 साल के लिए ब्रेक लिया, 2002 में बेहद लोकप्रिय फिल्म अप्पू के साथ वापसी की. पुनीत को आज तक अप्पू के रूप में याद किया जाता है. अभिनेता का अक्टूबर 2021 में 46 साल की उम्र में अचानक दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया, जिससे देश भर में शोक की लहर दौड़ गई.

राजकुमार

राजकुमार कन्नड़ सिनेमा की प्रतिष्ठा हैं. पुनीत डॉ. राजकुमार, दादासाहेब फाल्के अवार्डी और पार्वथम्मा, के तीन बेटों में सबसे छोटे थे, जिनका 2017 में निधन हो गया था.

अभिनेता या निर्माता के रूप में, उनके भाई, शिव राजकुमार और राघवेंद्र राजकुमार, और कई अन्य रिश्तेदार भी कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा हैं. सैंडलवुड के लिए राजकुमार वही हैं जो बॉलीवुड के लिए कपूर हैं.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

फिल्म उद्योग में लौटने से पहले, पुनीत ने कर्नाटक के चामराजनगर में ग्रेनाइट खनन सहित कई अन्य बिजनेस में हाथ आजमाया था.

पुनीत ने रमेश के साथ वीकेंड पर कहा, “मैंने कई चीजों की कोशिश की और पैसे बर्बाद किए.” उन्होंने कहा, “लेकिन अगर कोई है जिसने मुझे जिम्मेदार बनाया है, तो वह मेरी मां थी.”


यह भी पढ़ें: 1996 में BJP सबसे बड़े दल के रूप में उभरी, फिर क्यों 13 दिन में ही गिर गई थी अटल वाजपेयी की सरकार


कई चीजों में माहिर

पुनीत बेंगलुरु से मैसूर तक साइकिल चलाने के लिए जाने जाते थे – लगभग 143 किमी – और कई कम महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और सामुदायिक कार्यक्रमों में अक्सर दिख जाया करते थे. उनके वर्कआउट वीडियो बहुत लोकप्रिय थे, लेकिन लोगों को आश्चर्य हुआ कि क्या उनके बहुत अधिक एक्सरसाइज के कारण उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ.

उनकी आखिरी फिल्म जेम्स (2022) को उनके भाई शिवराजकुमार की आवाज का इस्तेमाल करके पूरा किया गया. इसने बॉक्स ऑफिस पर लगभग 150 करोड़ रुपये की कमाई की क्योंकि प्रशंसक अपने प्यारे अप्पू को फिर से स्क्रीन पर देखने के लिए सिनेमाघरों में उमड़ पड़े थे.

उन्होंने 2022 के डॉक्यूमेंट्री गंधाडा गुड़ी में भी अभिनय किया और कर्नाटक के समृद्ध वन्य जीवन और इकोलॉजी को प्रदर्शित किया.

2012 में, पुनीत ने अपने पिता की जीवनी डॉ. राजकुमार: द पर्सन बिहाइंड द पर्सनैलिटी प्रकाशित की. उन्होंने इससे मिलने वाली रॉयल्टी को दान में दे दिया – ज्यादातर कर्नाटक के सीमावर्ती क्षेत्रों में स्कूलों और घरों में. अभिनेता ने अपने पिता की तरह मृत्यु के बाद अपनी आंखें दान करने का संकल्प भी लिया था.

फरवरी 2022 में प्रकाशित नीने राजाकुमारा (तुम्हारा राजकुमार )में पुनीत के जीवनी लेखक शरणू हुल्लुर लिखते हैं, “जब वह अपनी शूटिंग के लिए यात्रा करते थे तो अपनी चेकबुक साथ रखते थे और किसी भी स्कूल या संस्थानों को दान देते थे, जिसकी सख्त जरूरत थी.”

पुनीत ने युवा प्रतिभाओं और रचनात्मक सामग्री को प्रोत्साहित करने के लिए पीआरके प्रोडक्शंस की भी स्थापना की थी, हालांकि उन्होंने जिन फिल्मों में अभिनय किया, उनमें से अधिकांश में सामान्य जन-मनोरंजन स्क्रिप्ट को ही यूज किया.

हुल्लुर ने याद किया करते हुए कहा, “वह अपनी जीवनी को प्रकाशित करने से हिचकिचा रहे थे क्योंकि उनका मानना था कि उन्होंने अपने माता-पिता सहित दूसरों की तुलना में कुछ भी सराहनीय नहीं किया है.”


यह भी पढ़ें: इंडिया को पहले भी मिल चुका है ऑस्कर, लेकिन इस बार बात कुछ और है


‘स्टार वार्स का अंत’

खाने के शौकीन पुनीत ने शूटिंग, फिटनेस, या नए-नए खाने के शौक के लिए दूर-दूर की यात्रा की. कर्नाटक के आधा दर्जन होटल व्यवसायियों का कहना है कि अभिनेता हर निवाले का लुत्फ उठाते थे. भोजन के प्रति अपने प्यार को दिखाता हुआ अभिनेता के अनगिनत वीडियो हैं.

अप्पू के प्रशंसक और बेंगलुरू के बाहरी इलाके बिदादी में एक लोकप्रिय भोजनालय के मालिक लोकेश कहते हैं, “जब भी वह शूटिंग या किसी भी चीज़ के लिए इस रास्ते से गुजरते थे तो वे यहां आते थे या कहते थे कि भोजन उनके खेत में ले आया जाए.” उन्हें अच्छे से याद है कि कैसे अप्पू उन्हें ‘रामचारी’ कहा करते थे.

उनके होटल की दीवारें अप्पू की तस्वीरों से अटी पड़ी हैं. लोकेश थोड़ा खुश हो जाते हैं जब वह अप्पू को उसके जन्मदिन पर बधाई देते हुए एक वीडियो दिखाते हैं.

बेंगलुरु के मराठा भवन के प्रबंधकों ने पुनीत की कब्र पर उनकी पसंदीदा डिश, काइमा उंडे (मीटबॉल) भी रख दी.पूर्वी बेंगलुरू में दोने-बिरयानी ने अभिनेता के मरने पर उसके पोस्टर के साथ ‘एक खरीदो-एक पाओ’ का प्रस्ताव रखा.

पुनीत ने एक लोकप्रिय खाद्य ब्लॉगर कृपाल के साथ एक एपिसोड में भी अभिनय किया. कम ही लोग जानते हैं कि कन्नड़ अभिनेता ने 7 साल की उम्र में गाना गाया था – कानादंते मायावादानु, नम्मा शिव, कैलसा सेरिकोंडानु (मेरे भगवान लापता हो गए और कैलाश पहुंच गए)।

एक व्यक्तिगत क्षति

पुनीत की मौत ने देश को झकझोर कर रख दिया. उस दौरान अभिनेता एक्सरसाइज कर रहे थे, जब उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ. यह खबर तेजी से फैली, सैकड़ों और हजारों लोगों की भीड़ उस अस्पताल के पास जमा हो गई, जहां उन्हें कोविड प्रतिबंधों के बावजूद भर्ती कराया गया था, वे रो रहे थे और रो रहे थे. कुछ घंटों बाद उनका डर सच हो गया.

अभिनेता की मृत्यु को कर्नाटक में व्यक्तिगत क्षति के रूप में लिया गया.

हर चीज पर अप्पू के पोस्टर लगे हुए थे. आज भी पुनीत की तस्वीरों के बिना ऑटो-रिक्शा मिलना मुश्किल है, और कोई भी कन्नड़ फिल्म दिवंगत अभिनेता को श्रद्धांजलि दिए बिना शुरू नहीं होती है. बेंगलुरु के स्थानीय मूर्तिकारों के अनुसार, अन्य की तुलना में पुनीत की मूर्तियों और प्रतिमाओं की मांग अधिक है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)

(संपादन: पूजा मेहरोत्रा)


यह भी पढ़ें: ‘रंगीन माहौल के बीच खोखली कहानी’, रंगीनियों में डूबी एक हल्की फिल्म है ‘तू झूठी मैं मक्कार’


share & View comments