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Friday, 3 May, 2024
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आईएमएफ ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटाया, ग्रामीण क्षेत्र की आय का कमज़ोर होना बड़ा कारण

मुद्राकोष ने कहा कि भारत में घरेलू मांग उम्मीद से हटकर तेजी से घटी है. इसका कारण एनबीएफसी में दबाव और कर्ज वृद्धि में नरमी है.

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दावोस: अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने 2019 के लिये भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को कम कर 4.8 प्रतिशत कर दिया है. गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनियों में दबाव और ग्रामीण भारत में आय वृद्धि कमजोर रहने का हवाला देते हुए वृद्धि अनुमान को कम किया गया है.

विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) का सालाना शिखर सम्मेलन शुरू होने से पहले वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति के बारे में जानकारी देते हुए आईएमएफ ने वैश्विक वृद्धि दर के साथ साथ भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान में संशोधन की जानकारी दी है.

मुद्राकोष के अनुसार 2019 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 4.8 प्रतिशत, 2020 में 5.8 प्रतिशत और 2021 में 6.5 प्रतिशत रह सकती है.

भारत में जन्मीं आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि मुख्य रूप से गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र में नरमी तथा ग्रामीण क्षेत्र की आय में कमजोर वृद्धि के कारण भारत की आर्थिक वृद्धि दर अनुमान कम किया गया है.

उन्होंने कहा कि वहीं दूसरी तरफ चीन की आर्थिक वृद्धि दर 2020 में 0.2 प्रतिशत बढ़कर 6 प्रतिशत करने का अनुमान है. यह अमेरिका के साथ व्यापार समझौते के प्रभाव को बताता है.

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मुद्राकोष ने कहा कि भारत में घरेलू मांग उम्मीद से हटकर तेजी से घटी है. इसका कारण एनबीएफसी में दबाव और कर्ज वृद्धि में नरमी है.

आईएमएफ ने कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2019 में कम होकर 4.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है. हालांकि 2020 और 2021 में यह सुधरकर क्रमश: 5.8 प्रतिशत और 6.5 प्रतिशत रह सकती है. मुद्राकोष के अक्टूबर में जारी विश्व आर्थिक परिदृश्य के पूर्व अनुमान के मुकाबले यह आंकड़ा क्रमश: 1.2 प्रतिशत और 0.9 प्रतिशत कम है.

गोपीनाथ ने यह भी कहा कि 2020 में वैश्विक वृद्धि में तेजी अभी काफी अनिश्चित बनी हुई है. इसका कारण यह अर्जेन्टीना, ईरान और तुर्की जैसी दबाव वाली अर्थव्यवस्थाओं के वृद्धि परिणाम और ब्राजील, भारत और मेक्सिको जैसे उभरते और क्षमता से कम प्रदर्शन कर रहे विकासशील देशों की स्थिति पर निर्भर है.

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