नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चुनावी प्रतिष्ठा की लड़ाई में दो मोर्चों पर कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है— एक नंदीग्राम, जहां वह अपने ही पूर्व सहयोगी शुभेंदु अधिकारी का सामना कर रही हैं और दूसरा है उनका पूर्व निर्वाचन क्षेत्र भवानीपुर, जहां उनका घर है.
इन प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के चुनावी अभियान का जिम्मा गृह मंत्री अमित शाह ने दो वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों, गजेंद्र सिंह शेखावत और धर्मेंद्र प्रधान को सौंपा है.
शेखावत के मुताबिक, ममता बनर्जी को जहां नंदीग्राम में कड़ी चुनौती मिल रही है, वहीं वह भवानीपुर छोड़कर ‘भाग’ चुकी हैं. उन्होंने ममता के उम्मीदवार और बंगाल के ऊर्जा मंत्री सोभनदेव चट्टोपाध्याय की हार सुनिश्चित करने के लिए इस क्षेत्र में डेरा डाल रखा है.
शेखावत ने दिप्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में बताया, ‘पहले हमने यह सुनिश्चित किया कि ममता भवानीपुर से भाग निकलें. अब बारी है उनके गृह निर्वाचन क्षेत्र में उनके प्रत्याशी की हार सुनिश्चित करने की.’
‘निजी प्रतिबद्धता’ के तौर पर केंद्रीय जल संसाधन मंत्री यह वादा भी कर रहे हैं कि राज्य में भाजपा की सरकार बनने के दो साल के भीतर पूरे राज्य में नल से जल योजना के तहत पाइपलाइन से पानी की आपूर्ति होने लगेगी.
उन्होंने राज्य में मुख्यमंत्री का कोई चेहरा सामने न रखने के भाजपा के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि जहां भी पार्टी सत्ता में नहीं होती है, ऐसा ही करती है.
इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि अगर पार्टी सत्ता में आई तो बंगाल में कानून-व्यवस्था की बहाली उसकी शीर्ष प्राथमिकताओं में शुमार होगी.
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भवानीपुर की जंग
शेखावत की निगरानी में करीब 35 निर्वाचन क्षेत्र आते हैं लेकिन वे अपना अधिकांश समय भवानीपुर को ही दे रहे हैं.
उन्होंने बताया कि पार्टी ने ज्यादा से ज्यादा चुनावी सफलता के लिए कई केंद्रीय मंत्रियों को बंगाल भेजा है. उनमें से हर एक को 5-6 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों का जिम्मा दिया गया, जिससे वे करीब 30-35 विधानसभा क्षेत्रों की निगरानी कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘जैसे ही मुझे दिसंबर में भवानीपुर का प्रभार सौंपा गया, मैंने उसी समय दीदी को चुनौती दी…आपने राज्य में अगर इतना ही अच्छा काम किया है तो भवानीपुर से चुनाव लड़ें और जीत हासिल करके लोगों को एक संदेश दें.’
उन्होंने आगे कहा, ‘लेकिन हार के डर से उन्होंने भवानीपुर छोड़ दिया. अगर उन्होंने काम किया है तो हार का डर क्यों सता रहा है? भवानीपुर के लोगों ने दीदी को खारिज कर दिया है, इसलिए वह चली गई हैं. अब लोग चुनाव में उनकी सरकार की हार सुनिश्चित करके एक स्पष्ट संदेश देंगे.’
भवानीपुर सीट ममता बनर्जी और भाजपा दोनों के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बन चुकी है. ममता यहां से दो बार चुनाव लड़ चुकी हैं. पहली बार 2011 में जब उन्होंने 77.46 प्रतिशत वोट के साथ जीत हासिल की थी. इसके बाद 2016 के चुनावों में उनका वोट शेयर घटकर 48 फीसदी पहुंच गया था.
फिर 2019 के लोकसभा चुनाव मुख्यमंत्री के लिए एक चेतावनी के तौर पर सामने आए, जब भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र में उनकी बढ़त मात्र 3,000 वोटों की रही और उनकी तृणमूल कांग्रेस इससे ही लगी रासबिहारी सीट पर 5,000 वोटों से पिछड़ गई.
भवानीपुर में 70 प्रतिशत मतदाता गैर-बंगाली हैं और ममता को इस बार इस निर्वाचन क्षेत्र में अपनी जीत को लेकर संदेह था.
उनके उम्मीदवार सोभनदेब चट्टोपाध्याय जिन्होंने 1991 और 1996 में बरूईपुर से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीता और फिर 2001, 2006 और 2016 में दक्षिण कोलकाता की रासबिहारी सीट से बतौर तृणमूल कांग्रेस प्रत्याशी सफलता हासिल की थी— यहां पर बंगाल के ‘नवाजुद्दीन सिद्दीकी’ माने जाने वाले फिल्म स्टार और भाजपा प्रत्याशी रुद्रनील घोष का सामना कर रहे हैं.
घोष पहले तृणमूल कांग्रेस से ही जुड़े थे लेकिन अब चट्टोपाध्याय को हराने के लिए भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.
भवानीपुर में 26 अप्रैल को मतदान होना है.
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बंगाल में राष्ट्रीय लक्ष्य से दो साल पहले नल से जल
पार्टी प्रत्याशी के साथ मिलकर एकदम आक्रामक तरीके से प्रचार अभियान में जुटे शेखावत ने दिप्रिंट से बातचीत के दौरान राज्य में नल से जलापूर्ति के बारे में भी चर्चा की.
उन्होंने कहा, ‘जैसे ही मैं जल संसाधन मंत्री बना, हमने नल से जल कार्यक्रम शुरू किया. 15 महीनों के दौरान ही हम 34 फीसदी कनेक्टिविटी (से ऊपर) पर पहुंच गए हैं जो कि 17 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ चुकी है. पिछले 70 सालों में देश में 3.23 करोड़ परिवारों को कनेक्शन मिला. लेकिन हमने अपने कार्यकाल में 4 करोड़ और घरों को इससे जोड़ा है.’
हालांकि, उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में तमाम कोशिशें नाकाम रही है. उन्होंने बताया, ‘इसका रिकॉर्ड अन्य राज्यों की तुलना में सबसे खराब रहा है और केंद्र सरकार की तरफ से संसाधन उपलब्ध कराए जाने के बावजूद बंगाल में कुछ काम नहीं हुआ है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘लेकिन मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि जब हम सरकार बनाएंगे, तो मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि 2024 की राष्ट्रीय समयसीमा से दो साल पहले 2022 में ही पूरे राज्य में कनेक्टिविटी पूरी हो जाए.’
केंद्रीय पेयजल विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, ग्रामीण घरों में नल के जलापूर्ति के लिए कनेक्शन का राष्ट्रीय औसत 37.28 प्रतिशत है, वहीं बंगाल के लिए यह औसत मात्र 8.63 प्रतिशत है. डेटा दर्शाता है कि पुरुलिया, मुर्शिदाबाद और झारग्राम जिलों में तो केवल पांच प्रतिशत कनेक्टिविटी है.
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मुख्यमंत्री के चेहरे पर
यह पूछे जाने पर कि भाजपा ने ममता बनर्जी के खिलाफ मुख्यमंत्री पद का कोई चेहरा क्यों नहीं उतारा है और क्या यह पार्टी की संभावनाएं घटा रहा है, केंद्रीय मंत्री ने इस पर जोर दिया कि भाजपा उन राज्यों में मुख्यमंत्री का चेहरा सामने नहीं रखती है, जहां वह कभी सत्ता में ना रही हो या फिर जहां लंबे समय से सत्ता से बाहर हो.
उन्होंने कहा, ‘कई राज्यों, जहां भाजपा ने पहली बार या तो फिर कई सालों के बाद सत्ता में आने की कोशिश की, में हमने कभी भी मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं बनाया. उत्तर प्रदेश में हमने किसी को प्रोजेक्ट नहीं किया और किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बनेंगे.’
उन्होंने कहा, ‘हमने उत्तराखंड में कोई चेहरा प्रोजेक्ट नहीं किया, हमने महाराष्ट्र में कोई चेहरा सामने नहीं रखा जहां देवेंद्र फड़णवीस मुख्यमंत्री बने. जिन राज्यों में हमारी सरकार चल रही है जैसे मध्य प्रदेश में शिवराज जी तीन-चार कार्यकाल से सीएम हैं.’
बंगाल में, मुख्यमंत्री एक भूमि पुत्र होगा.
उन्होंने कहा, ‘लोगों ने सोचा कि हम मुख्यमंत्री पद का कोई उम्मीदवार प्रोजेक्ट करने जा रहे हैं. लेकिन जैसा गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने कहा है, मुख्यमंत्री बंगाल का ही कोई भूमि पुत्र होगा…इसमें कोई संदेह नहीं है.’
सत्ता में आने पर भाजपा की तीन प्राथमिकताओं के बारे में पूछे जाने पर शेखावत ने कहा कि इसमें ‘सुशासन, कानून-व्यवस्था बहाल करना और लोगों को उनकी क्षमता के मुताबिक काम करने के लिए उचित वातावरण देना शामिल है.’
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