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Tuesday, 16 April, 2024
होमहेल्थकोरोना के 32 हजार से ज्यादा मामले और 1100 मौतें- भारत के सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में से क्यों है लुधियाना

कोरोना के 32 हजार से ज्यादा मामले और 1100 मौतें- भारत के सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में से क्यों है लुधियाना

महामारी की शुरुआत से ही लुधियाना, पंजाब के पांच सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले ज़िलों में रहा है. औद्योगिक ज़िले में अभी तक 1,103 मौतें दर्ज हो चुकी हैं.

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लुधियाना: जिस समय पंजाब लगातार बढ़ते कोविड मामलों से जूझ रहा है, लुधियाना का सरकारी ज़िला अस्पताल शांति का नख़्लिस्तान नज़र आता है. जिस ज़िले का प्रदर्शन राज्य में सबसे खराब रहा है, वहां ये एकमात्र सरकारी तृतीयक देखभाल सुविधा है. लेकिन, कोविड पॉज़िटिव मरीज़ों के परिवार, जो प्रतीक्षा स्थल में घंटों गुज़ारते हैं, कहते हैं कि बिस्तर हासिल करने में कोई दिक्कत नहीं रही है.

ये आंशिक रूप से- कहानी कहता है कि कैसे कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद, शहर के लोग अस्पतालों में आने में झिझकते हैं.

शुक्रवार को पंजाब में 3,176 नए मामले और 59 मौतें दर्ज की गईं, जो कि इस साल में एक दिन की सबसे बड़ी उछाल है. इससे सूबे में एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 22,652 और मौतें 6,576 तक पहुंच गईं हैं. सूबे के कुल मामलों और मौतों में तकरीबन एक चौथाई अकेले लुधियाना में हैं.

26 मार्च तक ज़िले में कुल 32,476 मामले और 1,103 मौतें दर्ज हो चुके हैं.

महामारी की शुरूआत से ही लुधियाना, पंजाब के पांच सबसे खराब प्रदर्शन वाले ज़िलों में बना रहा है. अन्य चार हैं- जलंधर, पटियाला, एसएएस नगर और अमृतसर. 159 वर्ग किलोमीटर इलाके में 35 लाख की आबादी के साथ- 2011 की जनगणना के अनुसार- ज़िले की केस मृत्यु दर (सीएफआर) 3.4 प्रतिशत है- जो राज्य के औसत (3 प्रतिशत) से अधिक और राष्ट्रीय औसत (1.37 प्रतिशत) की दोगुनी है. लुधियाना में केवल एक कंटेनमेंट ज़ोन और नौ माइक्रो- कंटेनमेंट ज़ोन हैं.

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लॉकडाउन से थकान, कारोबार खोने का डर

इतनी अधिक संख्या के बावजूद, लोग सड़कों पर उमड़े पड़े हैं, सोशल डिस्टेंसिंग या मास्क की किसी को परवाह नहीं है.

स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने दिप्रिंट से कहा, ‘लोगों को लगता है कि सरकार झूठ बोल रही है और उसे हर कोविड मौत का पैसा मिल रहा है. वो टिकरी और सिंघु बॉर्डर्स पर चल रहे, किसान आंदोलन की मिसाल देते हैं. वो पूछते हैं ‘उन्हें संक्रमण क्यों नहीं हो रहा है’. मैंने उन्हें समझाया कि कैसे लोग, बिना लक्षण के भी संक्रमित हो सकते हैं लेकिन वो सुनना ही नहीं चाहते.’

अधिकारी ने आगे कहा कि लॉकडाउन की थकान और सिर्फ एक साल के अंदर, दोबारा अपना कारोबार खोने का डर, वो कारण हैं जिनकी वजह से लोगों में अब संक्रमित होने का डर नहीं रहा है.

उन्होंने आगे कहा, ‘सीएफआर बढ़ गई है क्योंकि लोग अस्पताल तब आ रहे हैं, जब उनकी ऑक्सीजन सैचुरेशन 60-50 प्रतिशत से नीचे आ रही है और फेफड़ों पर निमोनिया के पैच दिख रहे हैं. यही वो समय है जब उन्हें वेंटिलेटर पर रखना होता है लेकिन आंकड़ों से पता चलता है कि ऐसे में बचने की संभावना बहुत कम रहती है’.

ज़िले में रोज़ाना किए जा रहे लगभग 5,000 टेस्टों में, अधिकतर आरटी-पीसीआर होते हैं, जबकि बाकी एंटिजन टेस्ट होते हैं. 26 मार्च को ज़िले में 5,359 टेस्ट किए गए, जिनमें से 4,547 आरटी-पीसीआर टेस्ट थे. 395 लोगों के टेस्ट पॉज़िटिव पाए गए. लेकिन जहां लोगों में मास्क पहनने या सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने में ही रूचि नहीं है, वहां कोविड जांच कराने की इच्छा तो और भी कम है.


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रैंडम जांच, मास्क न पहनने पर चालान

पंजाब के स्वास्थ्य विभाग ने पुलिस के साथ समन्वय करके, 22 मार्च से नाकाबंदियों, फैक्ट्रियों, तथा स्कूलों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर रैंडम आरटी-पीसीआर जांच करनी शुरू की. इसके लिए ज़िले को 6 ज़ोन में बांटा गया. उसके बाद से 7,521 लोगों की जांच की गई जिनमें 16 कथित रूप से पॉज़िटिव पाए गए.

लुधियाना के ज्वाइंट सीपी दीपक पारीक ने दिप्रिंट से कहा, ‘कोविड की दूसरी लहर में, हमने दो आयामी उपाय किए हैं- मास्क नहीं पहनने वालों का चालान और मौके पर ही कोविड जांच कराना. हम हर रोज़ 1,000-1,500 टेस्ट कर रहे हैं’. गरीबों को मास्क भी मुफ्त बांटे जा रहे हैं.

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सार्वजनिक जगहों पर लोगों का आरटी-पीसीआर टेस्ट करते पंजाब स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी | मनीषा मोंडल | दिप्रिंट

26 मार्च को, शहर में मास्क न पहनने के 160 मामले सामने आए और दिन भर में 1,60,000 रुपए तक के चालान काटे गए. इस बीच, 627 आरटी-पीसीआर टेस्ट किए गए. पिछले एक साल में लुधियाना पुलिस ने जुर्माने के रूप में कुल 7,95,55,100 रुपए वसूल किए हैं.

लुधियाना में बहुत सारे उद्योग काम कर रहे हैं, जिनमें होज़री, साइकिल, टायर व ऑटो पार्ट्स, छोटे-स्तर के निर्माताओं से लेकर हिंदुस्तान टायर, हीरो साइकिल्स, और मॉन्टी कार्लो जैसे बड़े नाम तक शामिल हैं. जिन कारखानों के मालिकों ने अनुमति दी, वहां रैंडम टेस्ट कराए गए. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘कुछ तो वाकई दुविधा में थे, लेकिन दूसरों ने इस प्रक्रिया में हमारे साथ बहुत अच्छे से सहयोग किया’.

फैक्ट्रियों में पहले दौर की रैंडम टेस्टिंग, पिछले साल सितंबर में की गई और वो चार महीने तक चली. अधिकारी ने कहा कि 75 प्रतिशत फैक्ट्रियों को रैपिड एंटिजेन जांच से कवर किया गया. उन्होंने बताया कि ‘सकारात्मकता दर बहुत नीची थी, करीब 1-1.5 प्रतिशत. वहां पर श्रमिकों में इम्यूनिटी स्तर काफी ऊंचा था’.

लेकिन, इस बार आरटी-पीसीआर टेस्ट किए जा रहे हैं, जिनके आंकड़े अभी उपलब्ध नहीं हैं.

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लुधियाना में रात्रि कर्फ्यू लगाया गया है | मनीषा मोंडल | दिप्रिंट

‘लुधियाना अब बेहतर स्थिति में’

लुधियाना ने अपना आखिरी कोविड पीक, सितंबर 2020 में देखा था, जब सूबे के अधिकांश कोविड मामले और मौतें, यहीं दर्ज की गईं थीं. छह महीने के बाद भी यही स्थिति बनी हुई है. लेकिन, लुधियाना के उपायुक्त वरिंदर शर्मा का कहना है कि ज़िला अब ‘बेहतर स्थिति’ में है.

शर्मा ने दिप्रिंट से कहा, ‘लुधियाना आकार में बड़ा है, इसीलिए यहां इतने अधिक मामले हैं. आप संख्या को नहीं देख सकते, हमारे यहां प्रति लाख मामले कम हैं. पिछले सितंबर के पीक की अपेक्षा, हम आज बेहतर स्थिति में हैं’.

ज़िले के स्वास्थ्य सेवा इनफ्रास्ट्क्चर के बारे में उनका कहना है कि ये सूबे में सबसे अच्छा है और यहां पड़ोसी ज़िलों तथा राज्यों से भी बहुत से लोग इलाज के लिए आए हैं. लुधियाना में फिलहाल 20 निजी और एक सरकारी अस्पताल हैं, जहां तृतीयक देखभाल सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं. सितंबर 2020 में सरकारी अस्पतालों में ज़ीरो तृतीयक देखभाल सुविधाओं में ये एक बड़ी उछाल है.

लुधियाना पंजाब का पहला ज़िला भी है, जहां एक अप्रैल से 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए घर-घर जाकर टीका लगाने का कार्यक्रम शुरू किया जाएगा. उद्योगों, गांवों और रिहाइशी इलाकों पर फोकस करते हुए, तीन-चार मोबाइल टीमें तैनात की जाएंगी. स्वास्थ्य विभाग के एक अन्य अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘ये हमारा नैतिक कर्त्तव्य है कि हर किसी को टीका लगाया जाए. ये सेवा उन लोगों के लिए है, जो टीका लगवाने के लिए स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों पर नहीं आ सकते- जैसे बुज़ुर्ग और श्रमिक जिन्हें इसके लिए अपने काम से एक दिन की छुट्टी लेनी पड़ेगी’.

ज़िले के कुल 700 बिस्तरों में से- 260 तृतीयक देखभाल तथा 450 माध्यमिक देखभाल सुविधाएं- करीब 300 खाली पड़े हुए हैं. शर्मा का कहना है कि ज़िले में टीका लगाए गए लोगों की संख्या- 1,35,000- राज्य में सबसे अधिक है. 26 मार्च तक पंजाब में 6,66,395 लोगों को टीके लगाए जा चुके हैं जिनमें से सिर्फ 94,954 को अभी दोनों खुराकें मिली हैं.

उन्होंने कहा, ‘पिछले दो हफ्तों में लोगों में ज़िम्मेदारी का एहसास बढ़ा है. त्योहार के सीज़न में हर कोई बहुत ढीला पड़ गया था. लेकिन हमने जागरूकता फैलाने के लिए कई अभियान चलाए हैं और हर दिन गुज़रने के साथ अनुपालन बढ़ रहा है’.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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