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Friday, 29 March, 2024
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वीर सावरकर की पुण्यतिथि से शिवसेना का किनारा, राउत ने भाजपा नेता को रीट्वीट कर की खानापूर्ति

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में सावरकर की पुण्यतिथि पर न ही कोई लेख छापा है न ही अपने संपादकीय में कोई जिक्र किया है.

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नई दिल्ली: विनायक दमोदर सवारकर की कभी कट्टर समर्थक रही शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ महाराष्ट्र में सरकार बनाने से ​मुश्किल में है. बुधवार को सावरकर की पुण्यतिथि के अवसर पर शिवसेना किनारा करते हुए नज़र आ रही है.

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में सावरकर की पुण्यतिथि पर न ही कोई लेख छापा है न ही अपनी संपादकीय में कोई जिक्र किया है. इसके अलावा हमेशा सावरकर के मुद्दे पर दूसरे दलों को घेरने वाले शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने भी भाजपा नेता राजीव पांडे के ट्वीट को केवल रीट्वीट कर इतश्री कर ली. शिवसेना के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से वीर सावरकर को नमन करते हुए एक पोस्ट शेयर की है.

जबकि भारतीय जनता पार्टी राज्यभर में वीर सावरकर की पुण्यतिथि जोर शोर से मना रही है. लेकिन इस बार भाजपा की नज़र शिवसेना पर बनी हुई है. प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष चंद्रकांत पा​टिल ने कहा कि वीर सावरकर की पुण्यतिथि पर आज शिवसेना का सावरकर प्रेम परखा जाएगा.

पाटिल का कहना है कि आज पता चलेगा कि सावरकर के प्रति शिवसेना का कितना आदर भाव व सम्मान है. या फिर वे उनके नाम पर ढोंग करते हैं. उन्होंने कहा कि यह देखते हैं कि सीएम ठाकरे मातोश्री में सावरकर की फोटों पर माल्यार्पण करते हैं या फिर विधानमंडल में अभिनंदन का प्रस्ताव लेकर आते हैं.

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गौरतलब है कि शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के बीच वीर सावरकर के मुद्दे को लेकर मतभेद रहे हैं. कांग्रेस सेवा दल द्वारा प्रकाशित पुस्तक में ​सावरकर को लेकर कई ​आपत्तिजनक लेख भी प्रकाशित किए थे. वहीं शिवसेना ​सावरकर के मुद्दे पर कभी भी समझौता नहीं करने की बात कहती रही है. ऐसी स्थिति में अगर शिवसेना ​सावरकर को लेकर कुछ सराहनीय कदम उठाती है तो कांग्रेस के साथ फिर टकराव की स्थिति बन सकती है.

वहीं दिल्ली में सावरकर दर्शन प्रतिष्ठान की ओर से 26 और 27 फरवरी को अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में दो दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. इसमें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी शामिल होंगे. कार्यक्रम को ‘सावरकर साहित्य सम्मेलन’ नाम दिया गया है.

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