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Tuesday, 3 December, 2024
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PM मोदी ने भाजपा की बैठक में दो किस्से सुनाकर दिया संदेश—आत्म संतुष्ट होकर सेवा भाव न छोड़ें

राष्ट्रीय कार्यकारिणी की रविवार को हुई बैठक में भाग लेने वाले भाजपा नेताओं का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी के संदेश में चिंता और सतर्कता निहित थी, क्योंकि उन्होंने पाया कि दूसरी कोविड लहर के दौरान भाजपा संगठन काफी बेपरवाह हो गया था.

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नई दिल्ली: नई दिल्ली में रविवार को आयोजित भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में अपने समापन भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं को आम आदमी का भरोसा बढ़ाने के लिए सेतु का काम करना चाहिए. लेकिन यह संदेश अलग से नहीं दिया गया.

राष्ट्रीय कार्यकारिणी की रविवार को हुई बैठक में भाग लेने वाले भाजपा नेताओं का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी के बयान में चिंता और सतर्कता निहित थी, क्योंकि उन्होंने पाया कि देश में दूसरी कोविड लहर के दौरान भाजपा संगठन काफी बेपरवाह हो गया था.
उन्होंने अपने 50 मिनट के भाषण में हाइब्रिड मोड (ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों) के जरिये बैठक का हिस्सा बने 342 कार्यकारी सदस्यों को दो किस्से सुनाए. इनके जरिये उन्होंने यह संदेश देने की कोशिश की कि चुनावी जीत का मतलब यह नहीं होना चाहिए कि पार्टी जमीनी जुड़ाव खो दे, और आत्मसंतुष्टि कभी भी ‘सेवा’ भाव के आड़े नहीं आनी चाहिए.

‘हर त्रासदी में छिपी होती है आशा की किरण’

अपने भाषण की शुरुआत में प्रधानमंत्री मोदी ने उन दिनों का एक वाकया सुनाया जब 2001 में उन्होंने उसी वर्ष गणतंत्र दिवस पर कच्छ में आए विनाशकारी भूकंप के नौ महीने बाद गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला था.

भाजपा के एक नेता ने मोदी का हवाला देते हुए बताया, ‘उन्होंने कहा कि उन्हें इस बारे में कुछ पता नहीं था कि लोगों के जीवन में किसी भी तरह से सामान्य स्थिति कैसे बहाल की जाए; राज्य को संभालने का कोई अनुभव नहीं था. उन्हें यह भी नहीं पता था कि कांस्टेबल कैसे काम करते हैं या सिस्टम कैसे काम करता है.’

नेता ने आगे बताया, ‘उन्होंने कहा कि एक दिन उन्होंने एक अखबार में एक छोटी-सी खबर पढ़ी कि कच्छ क्षेत्र के लोग धनतेरस के अवसर पर खरीदारी कर रहे थे. पीएम ने कहा, इसी से उन्हें जो हुआ उसे भूलने और भविष्य के बारे में सोचना शुरू करने का विचार आया.’

नेता ने कहा, प्रधानमंत्री द्वारा कच्छ की भयावह त्रासदी का जिक्र किए जाने और दूसरी कोविड लहर के दौरान जो हुआ, उसके बीच एक स्पष्ट संबंध था, ‘हर त्रासदी में आशा की एक किरण छिपी होती है’ और पार्टी और सरकार को उसी उम्मीद पर आगे बढ़ना चाहिए.

नेता ने आगे जोड़ा, ‘कोविड से हुई तबाही बहुत बड़ी है, लेकिन हम अगर समय पर सामूहिक रूप से काम करें तो देश की सोच बदल सकती है. प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर आज दुनिया भारत की प्रशंसा कर रही है तो इसकी वजह मोदी नहीं है, बल्कि यह उन लोगों के प्रयासों का नतीजा है, जिन्होंने कोविड से मुकाबले के लिए अथक प्रयास किए.’

नेता ने बताया कि मोदी ने इसका उल्लेख भी किया कि कितने लोग कह रहे थे कि इतने कम समय में इतनी बड़ी आबादी का टीकाकरण करना असंभव होगा, लेकिन ‘यह लोगों का भरोसा ही था जिसने 100 करोड़ खुराक पूरी करने का मार्ग प्रशस्त किया.’
एक दूसरे नेता ने बताया कि मोदी ने उपस्थित पार्टी नेताओं को याद दिलाया कि कोविड की लहर के दौरान वह नियमित रूप से विभिन्न राज्यों में भाजपा कार्यकर्ताओं को फोन करते थे और उनका हालचाल लेते थे, और साथ ही पूछते थे कि उन्हें कोई समस्या तो नहीं हो रही है.


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नेता ने कहा, ‘उन्होंने कहा कि मेरे एक फोन ने कार्यकर्ताओं को खुश कर दिया, और उन्हें लगा कि वे इतने महत्वपूर्ण लोग हैं कि प्रधानमंत्री भी उन्हें कॉल करते हैं…भाजपा नेताओं को आम कार्यकर्ताओं से जुड़ना चाहिए, उनका हालचाल जानना चाहिए. ये पार्टी कार्यकर्ताओं के जुड़ाव को और मजबूत करेगा. उनकी तीन पीढ़ियों के संघर्ष के कारण ही हम यहां तक पहुंचे हैं.’

ऋषि कुमार कौशल की कहानी

जनसंघ की तीन पीढ़ियों और लोगों से भाजपा कार्यकर्ताओं के जुड़ाव का विषय दूसरी बार सामने आया जब मोदी ने जम्मू-कश्मीर के जनसंघ के नेता ऋषि कुमार कौशल की कहानी सुनाई.

बैठक में शामिल एक तीसरे भाजपा नेता ने प्रधानमंत्री के हवाले से दिप्रिंट को बताया, ‘भाजपा के संगठनात्मक महासचिव (1998-2001) रहने के दौरान उन्होंने कौशल के साथ काम किया था. यह सज्जन जम्मू प्रजा परिषद और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ काम कर चुके थे. उन्होंने और उनकी पत्नी ने प्रतिज्ञा की थी कि जब तक जम्मू-कश्मीर के ‘प्रधानमंत्री’ का पद बदलकर मुख्यमंत्री का नहीं हो जाता, तब तक जमीन पर ही सोएंगे.’

नेता ने बताया, ‘प्रधानमंत्री ने कहा कि कौशल ने हमेशा बिना किसी स्वार्थ के लोगों की मदद की और हमें इस तथ्य को कभी नहीं भूलना चाहिए कि ऐसे लोगों ने भाजपा के विकास में अहम योगदान दिया है. हमें हमेशा लोगों की सेवा के लिए हाजिर रहना चाहिए.’

नेता ने आगे जोड़ा, ‘मोदी ने कहा कि हमने देश की राजनीतिक संस्कृति को बदल दिया है और सेवा हमारा परम लक्ष्य होना चाहिए. हम सरकार में हैं, इसलिए ‘जिंदाबाद’ या ‘मुर्दाबाद’ के नारे लगाना हमारा काम नहीं है. सरकार हर काम नहीं कर सकती है, इसलिए सरकार के कार्यों को अंजाम तक पहुंचाना पार्टी कार्यकर्ताओं का कर्तव्य है.’

प्रधानमंत्री के किस्सों की अहमियत

भाजपा के एक अन्य नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा कौशल की कहानी सुनाए जाने और कोविड महामारी के दौरान उनके द्वारा कार्यकर्ताओं को फोन करने की जानकारी दिए जाने के पीछे यह संदेश देने की कोशिश थी कि अप्रैल-मई में दूसरी लहर के समय पार्टी बेपरवाह हो गई थी जबकि सरकार ऑक्सीजन सिलेंडर और अस्पताल में बेड की कमी जैसे संकटों से जूझ रही थी.

उक्त नेता ने कहा, ‘पार्टी में सक्रियता तभी आई जब प्रधानमंत्री ने भाजपा अध्यक्ष को सेवा कार्य शुरू करने और सरकार के खिलाफ बढ़ती जनभावना पर काबू पाने की सलाह दी.’

मोदी ने कई उपाय भी सुझाए जो पार्टी को अपनी जिम्मेदारियों के पालन के साथ जमीनी स्तर पर मजबूती भी देंगे.

आखिरी में उद्धृत नेता ने कहा, ‘उन्होंने याद दिलाया कि अपने कैबिनेट सहयोगियों के साथ बातचीत के दौरान वह अक्सर मंत्रियों से पूछते हैं कि वे जो मंत्रालय संभाल रहे हैं, उनके अलावा समाज के लिए और क्या कर रहे हैं? उन्होंने बताया कि उन्हें पता चला कि कई मंत्री एनजीओ और अन्य माध्यमों से बहुत अच्छे काम कर रहे हैं, और हमें न केवल उनका सहयोग करना चाहिए बल्कि उनके सकारात्मक कार्यों को उजागर भी करना चाहिए. यह पार्टी को लेकर सकारात्मकता बढ़ाएगा.’

नेता ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि पार्टी के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पुराने भाजपा कार्यकर्ताओं के काम को भी सामने लाया जाना चाहिए.

नेता ने कहा, ‘यह न केवल इतिहास को सहेजने का काम करेगा, बल्कि पार्टी के नए कार्यकर्ताओं को पिछली पीढ़ियों के संघर्षों और निस्वार्थ सेवा भाव की जानकारी भी मिलेगी.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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