शिमला: पिछले महीने राज्य में हुए उपचुनावों में पार्टी को मिली हार पर आत्ममंथन करने के लिए 24 से 26 नवंबर के बीच हुई बीजेपी की हिमाचल प्रदेश इकाई की तीन-दिवसीय कार्यसमिति बैठक में कुछ दिलचस्प टिप्पणियां सामने आईं हैं.
पार्टी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि हार के पीछे जो कारण गिनाए गए, उनमें कुछ प्रमुख थे पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच असंतोष (मुख्य रूप से गलत उम्मीदवार के चयन से), कार्यकर्ताओं के बीच अंदरूनी कलह, और पार्टी तथा जयराम ठाकुर की सरकार के बीच का फासला, जिसके नतीजे में सरकार द्वारा किए गए काम से लोगों को अवगत नहीं कराया जा सका.
दिप्रिंट के साथ एक खास इंटरव्यू में मुख्यमंत्री ठाकुर ने सरकार का मुखिया होने के नाते हार की पूरी जिम्मेवारी स्वीकार की है लेकिन साथ ही उन्होंने ये भी दावा किया कि पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता वीरभद्र सिंह के लिए सहानुभूति, जिनकी इसी साल जुलाई में मौत हुई, विरोधी पार्टी के पक्ष में काम कर गई.
तीन विधानसभा सीटों- जुब्बल कोटखाई, फतेहपुर और अर्की- पर 30 अक्टूबर को उपचुनाव कराए गए थे. बीजेपी इनमें से कोई भी सीट नहीं जीत सकी.
ठाकुर ने कहा, ‘इस हार के पीछे कई कारण सामने आए हैं. पार्टी उन सभी का आंकलन कर रही है. सूबे का मुख्यमंत्री होने के नाते मैं इस हार के लिए पूरी जिम्मेवारी स्वीकार करता हूं’.
जहां हार के बाद ठाकुर कई ओर से आलोचनाओं का शिकार हुए, वहीं बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा उनके समर्थन में खड़े नजर आए, जो इसी प्रांत से आते हैं. सूत्रों ने बताया कि कार्यकारी समिति की बैठक के आखिरी दिन नड्डा ने हिमाचल सीएम के कार्य की सराहना की.
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पार्टी ‘अति आत्मविश्वासी थी, अब आंखें खुल गईं’
हालांकि सीएम ठाकुर ने स्वीकार किया कि बीजेपी की हार का एक कारण ‘अति आत्मविश्वास’ था लेकिन साथ ही उन्होंने कांग्रेस को सतर्क भी किया और कहा कि विपक्षी पार्टी को याद रखना चाहिए कि उसे हर समय सहानुभूति का सहारा नहीं मिलेगा.
उन्होंने दावा किया, ‘कार्यकर्ताओं को लगा कि हम बिल्कुल आसानी से जीत जाएंगे क्योंकि हम सत्ता में हैं. लेकिन कांग्रेस को वीरभद्र सिंह की मौत से फायदा पहुंचा और उनके प्रति सहानुभूति ने कांग्रेस की जीत सुनिश्चित कर दी’.
राज्य में 2022 के आगामी विधानसभा चुनावों से बस एक साल पहले उपचुनावों में मिली इस हार को पार्टी के अंदर बहुत से लोग सरकार के प्रति लोगों के बढ़ते असंतोष का संकेत मान रहे हैं. लेकिन सीएम ने ऐसी आशंकाओं को खारिज कर दिया और कहा कि इसकी बजाय उपचुनाव में हार ने विधानसभा चुनावों से पहले, जो 2022 के अंत में होने हैं, बीजेपी के लिए आंखें खोलने का काम किया है,
ठाकुर ने कहा, ‘हमें सतर्क होने का अवसर मिल गया है, जबकि अभी समय बाकी है. विधानसभा चुनाव अभी एक साल दूर हैं, और हम अपनी खामियां तलाशने का काम करेंगे, चाहे वो संगठन के स्तर पर हों या सरकार के. इसके बाद उन्हें (खामियां) ठीक करके, अपनी पूरी ऊर्जा के साथ चुनाव में उतरेंगे’.
इस बात पर बल देते हुए कि सरकार उन सभी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सक्रियता से काम करेगी, जो उसने अपने कार्यकाल के शुरू में निर्धारित किए थे, ठाकुर ने कहा कि आने वाले दिनों में प्रदेश बीजेपी पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम करेगी, जिनका उत्साह उपचुनावों की हार के बाद ठंडा पड़ा है और ‘पूरे जुनून और जोश के साथ’ आगामी चुनाव लड़ेगी.
ठाकुर ने उन पार्टी कार्यकर्ताओं का भी जिक्र किया, जिन्होंने उपचुनावों में पार्टी की संभावनाओं को अंदर से कमज़ोर किया और जोर देकर कहा कि भविष्य में ऐसा व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
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सहानुभूति के लिए वोट
ठाकुर ने कहा कि सभी चारों सीटों पर उपचुनाव, इस्तीफों की बजाय पदधारियों की मौत की वजह से हुए थे, इसलिए सहानुभूति फेक्टर ने भी एक बड़ा रोल अदा किया.
ठाकुर ने कहा, ‘मंडी में (जहां के पदासीन बीजेपी सांसद राम स्वरूप शर्मा की कथित रूप से खुदकुशी से मौत हुई), वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह चुनाव लड़ रहीं थीं. वीरभद्र राज्य के एक बड़े नेता थे, जो पांच बार सांसद और छह बार सीएम रह चुके थे. उनकी पत्नी भी दो बार की सांसद थीं. उनकी (पूर्व) रियासत के सभी हिस्सों, जैसे रामपुर, किन्नौर, और लाहौल-स्पीति में, लोगों ने सहानुभूति के नाते कांग्रेस को वोट दिया. हम 1 प्रतिशत वोटों के बेहद कम अंतर से हारे’.
उन्होंने कहा, ‘फतेहपुर में, पदधारी कांग्रेस विधायक सुजान सिंह पठानिया का फरवरी में निधन हो गया और उनका बेटा चुनाव लड़ रहा था. वीरभद्र सिंह स्वयं अर्की से विधायक थे. ये सीटें पहले से ही कांग्रेस पार्टी के पास थीं. सहानुभूति फेक्टर ने जुब्बल-कोटखाई में भी काम किया. वो सीट सिर्फ पिछली दो बार से हमारे पास रही थी. पिछली बार भी, नरिंदर ब्राग्टा ने इस सीट पर बहुत कम अंतर से जीत हासिल की थी’.
बीजेपी ने जुब्बल-कोटखाई से ब्राग्टा के बेटे चेतन को टिकट नहीं दिया था, इसके बावजूद कि जून में उसके पिता की मौत होने के बाद युवा नेता को सहानुभूति का लाभ मिलने की संभावना थी. बाद में चेतन ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा, जिससे कथित तौर पर वोटों का बंटवारा हो गया और कांग्रेस उम्मीदवार रोहित ठाकुर जीत गए.
सूत्रों के अनुसार, बीजेपी पन्ना प्रमुखों (वोटर लिस्ट के इंचार्ज) तथा पार्टी के दूसरे सदस्यों ने बीजेपी उम्मीदवार नीलम सेरायक की जगह चेतन के लिए काम किया था.
चेतन ब्राग्टा को टिकट न देने का कारण बताते हुए सीएम ठाकुर ने कहा, ‘केंद्रीय आलाकमान ने फैसला किया है कि वंश या पारिवारिक राजनीति के नाम पर टिकट नहीं दिए जाएंगे. ऐसा सिर्फ हिमाचल के संदर्भ में ही नहीं किया गया, बल्कि ये पूरे देश के लिए संदेश था कि हम अपने आम कार्यकर्ताओं का सम्मान करते हैं और पारिवारिक राजनीति को राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार नहीं किया जाएगा. चूंकि इन उपचुनावों पर सरकार का अस्तित्व नहीं टिका था, इसलिए वंशवाद की राजनीति को रोकने के लिए उन्होंने ऐसा फैसला लिया. हाईकमान के लिए हुए फैसले पर मैं टिप्पणी नहीं करूंगा. लेकिन ये चुनाव कुछ विशेष परिस्थितियों में थे और उन्हें (विपक्ष) सहानुभूति फेक्टर का पूरा फायदा मिला.
कांग्रेस को चेतावनी देते हुए ठाकुर ने कहा कि उसे इसकी तरह ‘सहानुभूति’ फेक्टर पर आधारित और जीत की (खासकर आगामी विधानसभा चुनावों में) उम्मीद नहीं करनी चाहिए’.
उन्होंने कहा, ‘हम जनादेश का सम्मान करते हैं और अपनी खामियों को दूर करने की दिशा में काम करेंगे. लेकिन कांग्रेस जिस तरह से जश्न मना रही है, उसे समझना चाहिए कि सहानुभूति के आधार पर, लोग केवल एक बार वोट देते हैं. वो इसे बार-बार नहीं दोहराते. उन्हें किसी गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए. सहानुभूति फेक्टर आम चुनावों में काम नहीं करेगा, क्योंकि इस चुनाव में कांग्रेस ने अपने मृत नेताओं को श्रद्धांजलि के तौर पर लोगों से वोट मांगे थे’.
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भीतरघात, अनुशासनहीनता सहन नहीं की जाएगी
ठाकुर ने उन बीजेपी सदस्यों को भी चेतावनी दी, जिन्होंने उपचुनावों में कथित तौर पर पार्टी की संभावाओं को नुकसान पहुंचाया था. ठाकुर ने कहा, ‘पार्टी में ऐसे लोगों के लिए कोई जगह या गुंजाइश नहीं है, जो पार्टी के अंदर रहते हुए उसे हराने के लिए काम करते हैं. इसे अब बिल्कुल भी सहन नहीं किया जाएगा. हमने तय किया है कि अनुशासनहीनता को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. अगर कोई ये सोच रहा है कि आज वो हमारा विरोध कर सकते हैं और कल फिर से हमारे साथ आ सकते हैं, तो ऐसा नहीं होने वाला है’.
इस सवाल का जवाब देते हुए कि क्या उपचुनावों की हार ने बीजेपी संगठन की खामियों को उजागर कर दिया है, मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मैं इसपर टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा लेकिन कभी-कभी इस तरह की परिस्थितियां अपने आप पैदा हो जाती हैं’.
उन्होंने कहा, ‘हमारी पार्टी काडर-आधारित है, और हम भारत ही नहीं बल्कि विश्व की सबसे बड़ी पार्टी हैं. पार्टी सामान्य कार्यकर्ताओं के पसीना बहाने से बनी है. आम पार्टी कार्यकर्ता सांसद, विधायक, मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री तक बने हैं. ये कोई परिवार-आधारित पार्टी नहीं है. इसलिए पार्टी के भीतर पारिवारिक राजनीति को रोकने के लिए केंद्रीय नेतृत्व ने सही कदम उठाए हैं’.
ठाकुर ने इससे भी इनकार किया कि चुनाव परिणाम, सरकार और पार्टी के बीच जुड़ाव न होने को प्रतिबिंबित करते हैं.
ठाकुर ने कहा, ‘मैं जहां भी गया लोग कहते थे कि सरकार असाधारण रूप से अच्छा कर रही है. विकास कार्यों में कोई ढिलाई या देरी नहीं थी’. उन्होंने कहा, ‘हमारी सरकार के प्रदर्शन को केवल उपचुनावी नतीजों के आधार पर नहीं आंका जाना चाहिए. पहले भी बड़े नेता उपचुनावों में हारे हैं. ये उपचुनाव कुछ विशेष परिस्थितियों (नेताओं की मौत) में हुए थे, लेकिन अतीत में हमने लगातार चुनाव जीते हैं’.
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5वें साल के लिए रोडमैप
भविष्य के लिए सरकार और प्रदेश बीजेपी के रोडमैप के बारे में आशावादी ढंग से बात करते हुए जयराम ठाकुर ने कहा कि हमें अपना फोकस पार्टी काडर पर रखना होगा.
सीएम ने कहा, ‘अब चुनावी साल शुरू होने जा रहा है. हमारे शासन के चार साल 27 दिसंबर को पूरे हो जाएंगे और हम एक नए साल में दाखिल हो रहे हैं. हमें पार्टी काडर पर फोकस करना होगा. इन चुनावों में हार के बाद वो थोड़े हतोत्साहित हैं. वो थोड़ी बेचैनी महसूस कर रहे हैं. उन्हें ये भी अहसास हो रहा है कि ऐसा नहीं होना चाहिए था. लेकिन हम सतर्क हो गए हैं. हमारी मुख्य प्राथमिकता उनका उत्साह बढ़ाकर, उन्हें अधिक सतर्क और सक्रिय करना है’.
उन्होंने चेतावनी दी, ‘अपने शासन के अंतर्गत हम अपने सभी लक्ष्य एक समय-बद्ध तरीके से प्राप्त कर लेंगे. जो भी परियोजनाएं लंबित हैं, उन्हें पांच-छह महीने की लक्षित समय सीमा के अंदर पूरा किया जाना है. अगर अधिकारी इसका अनुपालन नहीं करते, तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी’.
सरकार के विज़न डॉक्युमेंट और कार्यकाल के शुरू में किए गए वादों के पूरा किए जाने पर बात करते हुए ठाकुर ने कहा, ‘सरकार ने अपने अधिकतर वादे पूरे कर लिए हैं. बल्कि हमने उससे कहीं ज्यादा हासिल किया है. पिछली बार चुनावी घोषणापत्र की जगह हमने एक विज़न डॉक्युमेंट पेश किया था और हमने उससे भी आगे बढ़ने के लिए कड़ी मेहनत की है’.
सीएम ने- जो क्रिकेट के शौकीन हैं और जिन्हें उनकी बैटिंग कुशलता के लिए जाना जाता है- आगामी विधानसभा चुनावों में अपनी रणनीति से जुड़े सवाल के जवाब में, क्रिकेट से उपमा देते हुए कहा, ‘रक्षात्मक रूप से खेलने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता. बीजेपी को सत्ता में बनाए रखने के लिए सरकार और पार्टी आगे बढ़कर खेलेगी’.
हिमाचल का इतिहास रहा है कि वहां लगातार चुनावों में बारी-बारी से कांग्रेस और बीजेपी चुनकर आती है लेकिन ठाकुर को यकीन है कि उनकी पार्टी इस ढर्रे को तोड़ेगी.
उन्होंने कहा, ‘हमने हमेशा पूरी गंभीरता के साथ चुनाव लड़े हैं. इस बार भी हम पूरे जुनून और जोश के साथ लड़ेंगे. हमने किसी चुनाव को हल्के में नहीं लिया है. हमने 2017 का विधानसभा चुनाव जीता, फिर 2019 का लोकसभा चुनाव जीता, जिसमें हमने चारों सीटों पर अधिकतम वोटों के साथ विजय प्राप्त की. पंचायत और निकाय चुनावों के अलावा, हमने दो उपचुनावों में भी जीत हासिल की’.
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