scorecardresearch
Saturday, 4 May, 2024
होमराजनीतितबलीगी जमात में जुटे अनुयायियों की तुलना मंदिर और गुरुद्वारों के श्रद्धालुओं से नहीं की जा सकती-वीएचपी

तबलीगी जमात में जुटे अनुयायियों की तुलना मंदिर और गुरुद्वारों के श्रद्धालुओं से नहीं की जा सकती-वीएचपी

निजामुद्दीन मरकज़ के तबलीगी जमात में हजारों की संख्या में शामिल हुए इस्लाम के अनुयायियों और मौलवियों के एकत्रित होने को विश्व हिंदू परिषद ने 'अत्यंत शर्मनाक' बताया है और पूछा है क्यों खुली हैं मस्जिदें.

Text Size:

नई दिल्ली: निजामुद्दीन मरकज़ के तबलीगी जमात में हजारों की संख्या में शामिल हुए इस्लाम के अनुयायियों और मौलवियों के एकत्रित होने को विश्व हिंदू परिषद ने ‘अत्यंत शर्मनाक’ बताया है. जब से इस कार्यक्रम में देशभर के हजारों की संख्या में इस्लाम के अनुयायियों के शामिल होने की जानकारी मिली है केंद्र से लेकर राज्य सरकारों के माथे पर पसीना ला दिया है और सभी राज्य की सरकारें उनलोगों की तलाश में जुटी हुई हैं. वीएचपी ने निजामुद्दीन मरकज को कोरोना नामक ‘भूकंप का केंद्र’ बताया है.

मंगलवार को उस समय केंद्र से लेकर राज्य सरकारों के प्रमुखों के उस समय पसीने छूट गए जब नई दिल्ली के निज़ामुद्दीन स्थित तबलीगी जमात सम्मेलन में शामिल हुए 24 लोगों में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई और यह पता चला कि इस सम्मेलन में देशभर के हजारों लोगों ने इस विशाल सम्मेलन में भाग लिया था. इस सम्मेलन में शामिल होने वाले छह लोगों की तेलंगाना और एक व्यक्ति की जम्मू-कश्मीर में कोरोनावायरस संक्रमण से मौत हो गई है.

सभी धार्मिक स्थल बंद है फिर मस्जिद क्यों नहीं

वीएचपी के महामंत्री मिलिंद परांडे ने दिप्रिंट हिंदी से कहा, ‘देशभर में जहां मंदिर समेत अन्य धार्मिक स्थल हैं. वहां कई दिनों से लोगों ने दर्शन बंद कर दिए गए हैं. पिछले कई दिनों से लगातार मंदिरों के बंद किए जाने, मंदिरों के कपाट बंद किए जाने की खबरें आ रही हैं. जहां-जहां लोग अटक गए है वहां से उनको बाहर निकालने की कोशिश जारी है और उन्हें निकालना चाहिए. मौजूदा समय में किसी भी तरह की भीड़, दर्शन और एकत्रिकरण को प्रोत्साहन नहीं देना चाहिए. जो कानून तोड़ रहे है उनके खिलाफ एक्शन लेना चाहिए.’

गुरुद्वारे में कुछ लोगों के जमा होने के सवाल पर परांडे ने दिप्रिंट से कहा,’ मरकज ने लॉकडाउन के बाद भी लोगों को देशभर में भेजना शुरु किया, वह भी बिना किसी मेडिकल जांच के. लॉकडाउन के बाद भी लोगों को देशभर के मस्जिदों में भेजेंगे यह स्वीकार नहीं किया जा सकता. सीधे-सीधे सरकार ​के नियमों को तोड़ा जा रहा है.’

गुरुद्वारे में फंसे लोगों के मामले पर परांडे ने दिप्रिंट से कहा, ‘क्या व्यवस्था हो सकती है यह सरकार को निर्णय करना है.गुरुद्वारे का केस एक आईसोलेट मामला है. वहां से लोग बाहर नहीं गए है. उन्हें जांच के बाद घर पहुंचा देना चाहिए. मगर देशभर की मस्जिद में जो लोग मिल रहे है. इनमें कई विदेशी लोग भी शामिल है. इस तरह की बाते अन्य प्रार्थना स्थलों की तो नहीं है. इनकी उनसे तुलना की ही नहीं जा सकती है.’

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें


यह भी पढ़े: कोविड-19 से निपटने के लिए संंघ व वीएचपी बढ़ा आगे, शुरु किया दान खाता और जनता किचन


वीएचपी का कहना, ‘मकरज के पदाधिकारी अपने अपराध को ढकने के लिए प्रशासन और पुलिस को उत्तरादायी ठहराने का दुस्साहस कर रहे है. जो तथ्य सामने आ रहे है वह उनके अपराध की गंभीरता को ओर बढ़ा रहे है. 23 मार्च को लॉक डाउन की घोषणा के बाद 15 सौ से अधिक जमाती बिना जांच के भारत के कई राज्यों में भेजे गए. 24 मार्च को मरकज को खाली करने के लिए कहा था. जब वे नहीं माने तो 25 मार्च को मेडिकल टीम भेजी परंतु उन्हें अंदर नहीं घुसने दिया. पहले भी संख्या को नियंत्रित करने के आदेश की कई बार अवमानना की गई.’

दफनाएं नहीं दाहसंस्कार

वीएचपी ने आगे कहा कि,’कोरोना के प्रकोप के चलते भीड़ से बचने के लिए अधिकांश धार्मिक स्थल स्वयं प्रेरणा से बंद कर दिए गए है. लेकिन कुछ लोगों ने मस्जिद में नमाज पढ़ने का आग्रह किया. इसी प्रकार कोरोना पीड़ित मृतकों को दफनाने का आग्रह किया. जबकि सबकों ज्ञात हो कि दफनाने से जीवाणु तेजी से फैलता है. वीएचपी सरकार से अपील करता है कि वे अपने-अपने समाज की इस हठधर्मिता से पीछे हटने के लिए प्रेरित करें. इस मानसिकता से देश को नुकसान होगा ही अपना भी भला नहीं हो सकता.’


यह भी पढ़े: आरएसएस कोरोनावायरस के दौर में ‘नर सेवा नारायण सेवा’ के नाम से बंगाल में उतरी, क्या नज़र चुनावों पर हैं


जहां मिलें वहीं करें क्वारेंटाइन

विश्वहिंदू परिषद् ने कहा, ‘केंद्र सरकार और राज्य सरकार से अपील करते हुए कहा है कि ‘मरकज, मस्जिदों और मदरसों में छिपे इन तत्वों बाहर निकालने की जगह उनकी इमारतों को ही क्वॉरेंटाइन करके वहीं इलाज किया जाए. जिससे यह महामारी वहीं तक सीमित रहे. देशभर के सभी धार्मिक स्थल स्वयं प्रेरणा से बंद किए जा चुके है. भारत की सभी खुली हुई मस्जिद को तत्तकाल प्रभाव से मुस्लिम समाज आगे आकर बंद करें. वहीं कोरोना ग्रस्त मृतक का उसके धर्म का विचार किए बिना अनिवार्य रुप से दाह संस्कार किया जाना चाहिए. वहीं जो विदेशी मौलवी यहां टूरिस्ट वीजा लेकर यहां कट्टरपंथ का ​प्रचार करने आए है, उनका ​वीजा रद्द कर उन पर कार्रवाई होनी चाहिए.’

वीएचपी ने कहा, ‘हमारी लड़ाई कोरोना महामारी तक सीमित है.जो भी तत्व देश का साथ न देकर कोरोना का साथ दे रहे है उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए.’

share & View comments